सरकारी स्कूलों की खस्ता हालत को लेकर हाई कोर्ट की हरियाणा सरकार को फटकार 5 लाख का जुर्माना और मुख्य सचिव को कोर्ट के सामने व्यक्तिगत तौर पर हाजिर होने के आदेश

सरकारी स्कूलों की खस्ता हालत को लेकर हाई कोर्ट की हरियाणा सरकार को फटकार 5 लाख का जुर्माना और मुख्य सचिव को कोर्ट के सामने व्यक्तिगत तौर पर हाजिर होने के आदेश
December 12 01:40 2023

फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा)। पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट के जज जस्टिस विनोद भारद्वाज ने बृहस्पतिवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान हरियाणा के शिक्षा विभाग को कड़ी फटकार लगाते हुए 5 लाख का जुर्माना लगाया है। सरकारी स्कूल में मूलभूत सुविधाओं की कमी को लेकर कैथल जिले के बालू स्कूल के छात्रों ने अपने वकील प्रदीप कुमार रापडिय़ा के माध्यम से हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार की शिक्षा विभाग से एफिडेविट के माध्यम से स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं की कमी के बारे में विस्तार से जानकारी मांगी थी जिसके जवाब में जो आंकड़े व तथ्य सामने आये वो चौंकाने वाले हैं। शिक्षा विभाग द्वारा दिये गए एफिडेविट के मुताबिक हरियाणा के 131 सरकारी स्कूलों में पीने के पानी की सुविधा नहीं है, 236 स्कूलों में बिजली कनेक्शन ही नहीं है, 538 स्कूलों में लड़कियों के शौचालय नहीं है और 1047 स्कूलों में लडक़ों के शौचालय नहीं है। इसके अलावा कोर्ट को बताया गया कि छात्रों के लिए 8240 क्लासरूम की जरूरत है।

याचिकर्ता की तरफ से पेश हुए वकील प्रदीप रापडिय़ा और रिपुदमन बूरा ने हाई कोर्ट को बताया कि एक तरफ तो बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ और खुले में शौच मुक्त भारत जैसे नारे दिए जा रहे है और दूसरी तरफ स्कूलों में शौचालय व पीने के पानी जैसी मूलभूत सुविधाएं भी नहीं है और इन सुविधाओं के लिए स्कूली बच्चों को मजबूरन हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ता है।

हाई कोर्ट में दिए गए ऐफिडेविट के मुताबिक जहां हरियाणा के सरकारी स्कूलों में शौचालय, पीने के पानी, बिजली कनेक्शन जैसी मूलभूत सुविधाओं की कमी है वहीं शिक्षा विभाग ने 10,675.99 करोड़ रूपये कि ग्रांट को बिना उपयोग किये सरकार को वापिस भेज दिया।

हाई कोर्ट ने कहा कि हरियाणा सरकार कोर्ट के सामने सिर्फ आंकड़ों का खेल खेल रही है और धरातल पर कोई काम नहीं कर रही। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि एक तरफ भारत सरकार ‘स्वच्छ भारत मिशन’ का नारा देते हुए हर घर में शौचालय उपलब्ध करवाने का दावा कर रही है वहीं दूसरी तरफ लड़कियों के 538 स्कूलों में शौचालय ही नहीं हैं और दिन प्रतिदिन स्कूली छात्राओं के शोषण के मामले सामने आ रहे हैं ।

हरियाणा सरकार की स्कूली बच्चों के हितों के प्रति संवेदनहीनता व एफिडेविट के चौंकाने वाले आंकड़ों की गंभीरता को देखते हुए हाई कोर्ट ने शिक्षा विभाग पर 5 लाख रुपयों का जुर्माना लगाते हुए उनसे एक हफ्ते के अंदर सरकारी स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं की पूर्ती के लिए समय सीमाबद्ध योजना पेश करने के आदेश दिए हैं और हरियाणा सरकार के मुख्य सचिव व स्कूली शिक्षा निदेशक को 15 दिसम्बर को व्यक्तिगत तौर पर कोर्ट के सामने हाजिर होने के आदेश दिए हैं।

स्कूलों की इस भयंकर स्थिति को देखने के पश्चात हाईकोर्ट ने जो पांच लाख का जुर्माना हरियाणा सरकार पर किया है उससे बड़ा कोई मजाक हो नहीं सकता। बतौर जुर्माने की यह रकम कौन किसको देने जा रहा है? बड़ी स्पष्ट सी बात है कि सरकार ही जुर्माना देने वाली और सरकार ही लेने वाली है। इसके बावजूद भी यदि सरकार ने कोर्ट के आदेश की पालना नहीं की तो कोर्ट क्या करेगी? क्या यही जुर्माना-जुर्माना का खेल बराबर खेलती रहेगी? यदि माननीय अदालत वास्तव में ही समस्या का हल करना चाहती है तो जुर्माने की वसूली तमाम सम्बन्धित अधिकारियों के वेतन से करती तो तुरन्त ही समस्या का समाधान हो जाता।

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Mazdoor Morcha
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