सरकारी दफ्तरों में हाजिरी के लिए बायोमीट्रिक की जगह अब जीपीएस घड़ी

सरकारी दफ्तरों में हाजिरी के लिए बायोमीट्रिक की जगह अब जीपीएस घड़ी
November 05 11:33 2021

फरीदाबाद (म.मो.) सात साल राज करने के बाद सीएम खट्टर को अपने उन कर्मचारियों की हरामखोरी नजर आने लगी है जो काम पर आए बिना या देरी से आने के बावजूद अपना पूरा वेतन वसूलते रहते हैं। जाहिर है इसके चलते नागरिकों को उन सेवाओं का लाभ नहीं मिल पाता जिन सेवाओं के लिए सरकार इनको वेतन देती रहती है। इसके लिए सरकार ने कुछ वर्ष पूर्व बायोमीट्रिक प्रणाली लागू की थी। इस प्रणाली में कर्मचारी को मशीन पर अंगूठा लगाना होता है, लेकिन हरामखोरी करने पर तुले लोगों ने इसके भी तोड़ निकाल लिए तो अब खट्टर महोदय ऐसी स्मार्ट घड़ी कर्मचारियों की कलाई पर बाँधेंगे जिससे उनकी वास्तविक लोकेशन पता लग सकेगी। यह घड़ी भी कोई ऐसी चीज नहीं हो सकती जिसका तोड़ न निकाला जा सके। इसका तोड़ निकलने के बाद खट्टर जी क्या करेंगे? यह एक अहम सवाल है।

विदित हो कि बायोमीट्रिक प्रणाली पर सरकार का करोड़ों रुपया खर्च हुआ, जो पानी हो गया। अब स्मार्ट घडिय़ों पर करोड़ों रुपया फिर खर्च होगा जिसका पानी में जाना तय है। सुधी पाठकों ने गतांक में पढ़ा था कि किस तरह सेहतपुर के हाई स्कूल में एक अध्यापिका पूरे 3 साल स्कूल नहीं आई और वेतन का चेक हर माह उसके घर पहुंचता रहा। इस तरह अन्य अनेक शिक्षक भी लगातार कई-कई दिन अथवा महीनों स्कूल के दर्शन किये बिना वेतन डकारते रहे। शिक्षा विभाग कोई इकलौता महकमा नहीं है जहां इस तरह की हरामखोरी पनपी हुई है बल्कि शायद ही कोई सरकारी महकमा इस बीमारी से अछूता बचा हो। इसमे वे कर्मचारी भी शामिल हैं जिन्हें वेतन तो सरकारी काम करने का मिलता है पर उन्हें लगा दिया जाता है अफसरों एवं राजनेताओं की बेगार करने पर। इसमें पुलिस, नगर निगम, ‘हुड्डा’, लोकनिर्माण विभाग इत्यादि प्रमुख हैं। यहाँ क्या तो बायोमीट्रिक प्रणाली करेगी और क्या स्मार्ट घडिय़ाँ?

इस देश ने वह वक्त भी देखा जब न तो बायोमीट्रिक प्रणाली थी और न स्मार्ट घडिय़ाँ बल्कि ये नाम तो सुने भी नहीं थे, लेकिन किसी कर्मचारी एवं अधिकारी की क्या मजाल जो कभी एक मिनट भी लेट हो जाए। प्रशासनिक अनुशासन इतना कड़ा होता था कि कोई उसकी उल्लंघना करने की सोच भी नहीं सकता था। इसके पीछे हरामखोरी एवं गैरहाजिरी पकड़े जाने पर मिलने वाली वह कड़ी सजा होती थी जिसके खौफ से कोई अनुशासन तोडऩे का जोखिम नहीं उठा सकता था। इसके विपरीत आज किसी को कतई कोई खौफ नहीं। वह चाहे कितने भी दिन, महीनों, वर्षों तक काम पर आए बिना वेतन लेता रहे, कोई उसे पूछने वाला नहीं। खट्टर जी खुद बता दें कि उन्होंने गैरहाजिर रहने वाले कितने कर्मचारियों या अधिकारियों को सजा दी? ध्यान रहे कि कोई भी छोटा कर्मचारी तभी हरामखोरी कर सकता है जब उसे अपने उच्चाधिकारी का संरक्षण प्राप्त हो। ऐसे ही संरक्षण के चलते लोग अपने बच्चों की वर्षों तक कोचिंग कराने कोटा तक रह आते हैं बल्कि दुबई तक घूम आते हैं। समझा जा सकता है कि इन सबके पीछे प्रशासनिक कमजोरी है। इसका हल न बायोमीट्रिक हो सकता है न स्मार्ट घडिय़ाँ। इसका एकमात्र हल कड़ी प्रशासनिक व्यवस्था ही हो सकती है जो इस सरकार के बस की बात नहीं। वरना अनुशासन तोडऩे और गैरहाजिर रहने वाले कर्मचारियों को तो रगड़ लगे ही साथ ही उनके ऊपर तैनात वरिष्ठ अधिकारियों को भी बुक किया जाना चाहिए जिनकी शह पर वह हरामखोरी करता है। यदि खट्टर जी इतना कर पाएं तो न तो बायोमीट्रिक की जरूरत होगी न ही स्मार्ट घडिय़ों की।

  Article "tagged" as:
  Categories:
view more articles

About Article Author

Mazdoor Morcha
Mazdoor Morcha

View More Articles