सरकार ही वन क्षेत्र खत्म करने को आतुर तो भूमाफिया क्यों पीछे रहें

सरकार ही वन क्षेत्र खत्म करने को आतुर तो भूमाफिया क्यों पीछे रहें
September 20 00:07 2023

फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) अनंगपुर वन क्षेत्र में भू माफिया रितेश सोनी और मुकेश रावत ने अवैध फार्म हाउस में प्लॉटिंग कर डाली। इन लोगों ने वहां बाकायदा रोड नेटवर्क तैयार कर 1200 से 1800 वर्गगज के करोड़ों रुपये कीमत के प्लॉट काट दिए। संरक्षित वन क्षेत्र में काटे गए इन प्लॉटों की बिक्री के लिए विज्ञापन जारी किया तब कहीं जाकर जिला प्रशासन को इसकी जानकारी हुई। आनन-फानन कार्रवाई करते हुए जिला प्रशासन ने निर्माण कार्य रुकवाया और भूमाफिया के खिलाफ कार्रवाई करने की तैयारियां की जा रही हैँ। यदि भूमाफिया विज्ञापन न देता तो सोते हुए प्रशासन और वन विभाग को इसकी जानकारी भी नहीं होती।

रितेश और मुकेश ने यह हिमाकत ऐसे ही नहीं कर डाली, दरअसल उन्हें यह प्रेरणा तो अनंगपुर आदि इलाके को संरक्षित क्षेत्र से बाहर किए जाने की सरकार तैयारियों से मिली है। प्रदेश सरकार ने कुछ समय पहले केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को पत्र लिख कर फरीदाबाद में पीएलपीए के तहत संरक्षित कुछ इलाकों को इस कानून से बाहर किए जाने की मांग की थी। इसमें अनंगपुर, अनखीर गांव, सेक्टर 46, लेजर वैली सहित कुछ अन्य इलाकों को संरक्षित क्षेत्र से बाहर किए जाने की सिफारिश की गई थी। सरकार के स्तर पर कोई कार्रवाई हुई हो या नहीं, यह बात सत्तापक्ष के नेताओं के जरिए भू माफिया तक पहुंच गई, नेता खुद भी यह मलाई खाना चाहते हैं। नतीजा अनंगपुर में अवैध प्लॉटिंग के रूप में सामने आया।

हालांकि कुछ लोग भू माफिया का बचाव यह कहते हुए कर रहे हैं कि अनंगपुर के जिस इलाके में प्लॉटिंग की जा रही है वह पीएलपीए से बाहर है। यदि ऐसा है तब भी वह वन क्षेत्र और क़ृषि भूमि तो है ही, और इन पर भी प्लॉटिंग अवैध है। सत्ता चाहे कांग्रेस की रही हो या वर्तमान में भाजपा की आबादी से सटे अनंगपुर, अनखीर, सेक्टर 46 का कुछ इलाका पीएलपीए संरक्षित होने के बावजूद भू माफिया के निशाने पर हमेशा से रहा है। भाजपा शासन काल में तो इस संरक्षित जमीन पर न केवल भू माफिया बल्कि वरिष्ठ आईएएस और प्रशासनिक अधिकारियों तक ने अवैध रूप से जमीन खरीद डाली। पूर्व निगमायुक्त एम शाईन द्वारा कराए गए सर्वे में अरावली संरक्षित वन क्षेत्र में 140 से अधिक अवैध फार्म हाउस और कब्जे पाए गए थे, इनमें से चौथाई कब्जे और निर्माण आला प्रशासनिक अधिकारियों, उनकी पत्नी या रिश्तेदारों के नाम पाए गए थे।

अहम सवाल यह है कि वन विभाग, डीटीपी एन्फोर्समेंट और नगर निगम को अरावली वन क्षेत्र में धड़ल्ले से हो रहे अवैध कब्जे और अवैध निर्माण नजर क्यों नहीं आते। क्षेत्र में केवल ये दो भू माफिया ही नहीं सक्रिय हैं, गौशाला के नाम पर, धार्मिक स्थलों के नाम पर लगातार कब्जे होते जा रहे हैं, नई दीवारें खड़ी कर बड़े इलाके कब्जाए जा रहे हैं लेकिन तीनों ही विभाग कार्रवाई नहीं कर रहे। दरअसल, ये अवैध कब्जे सत्ताधारियों के संरक्षण और शह पर ही हो रहे हैं, कई जगहों पर तो बेनामी तौर पर सत्ताधािरयों का ही कब्जा है। लूट कमाई की मलाई काटने में मशगूल निगम के अधिकारी हों या डीटीपी एन्फोर्समेंट या वन विभाग इन बड़े और रसूखदारों केे कब्जों की अनदेखी कर अरावली को बेचने में लगे हुए हैं।

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Mazdoor Morcha
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