करनाल। सत्ता पक्ष ने संसद से 142 सांसदों निलम्बित कर लोकतन्त्र की धज्जियां उडाई है । सरकार संसद को विपक्ष विहीन बनाना चाहती है। भारतीय संसदीय प्रणाली के इतिहास में यह पहली बार हुआ है। सरकार ने तानाशाही की सभी सीमाएं पार कर दी हैं। यह बात अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के विचार (बुद्धिजीवी) विभाग के राष्ट्रीय महासचिव प्रोफेसर कृष्ण कारसा ने कही। वे हाल ही में दिल्ली में संपन्न हुई एआईसीसी के विचार (बुद्धिजीवी) विभाग की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भाग लेकर लौटे हैं।
प्रो. कृष्ण कारसा ने बताया कि विभाग की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व केन्द्रीय मन्त्री डॉ. गिरिजा व्यास की अध्यक्षता में हुई इस बैठक मेें जनता के बीच जाकर भाजपा सरकार के झूठ और नाकामियों को उजागर करने से लेकर संगठन मजबूत करने जैसे मुद्दों पर महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए।
पत्रकारों से रूबरू हुए प्रो. कारसा ने बताया कि बैठक में आगामी 2024 लोकसभा चुनावों की तैयारियों को लेकर चर्चा हुई। देश भर से आए हुए एआईसीसी विचार विभाग के पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं ने अपने सुझाव दिये। विपक्ष के सांसदों के निलंबन के पीछे सत्ता पक्ष की मंशा और नीयत पर विस्तार से विमर्श किया गया। माना गया कि सरकार तानाशाही तरीके अपना कर संसद को विपक्ष विहीन बनाना चाहती है ताकि बिना किसी विरोध के वह जन विरोधी कानून पास कर सके। इसीलिए 143 सांसदों का निलंबन किया गया। भारतीय संसदीय प्रणाली के इतिहास में यह पहली बार हुआ है। सरकार ने तानाशाही की सभी सीमाएं पार कर दी हैं।
निर्णय लिया गया कि आज देश के सामने लोकतंत्र को बचाने, गंगा जमुनी तहजीब को बचाने, पंडित नेहरू, महात्मा गांधी, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के सपनों के भारत को बचाने और हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई वाली सांझी संस्कृति को बचाने की चुनौती है जिसे कांग्रेस साकार करेगी। महंगाई, बेरोजगारी, साम्प्रदायिकता, जातीय वैमनस्य और कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाली जैसे ज्वलंत मुद्दों पर जनता को जागरूक करने का निर्णय लिया गया। यह भी तय किया गया कि विभाग के सभी कार्यकर्ता अपने अपने प्रदेशों में जाकर सरकार की विफलताओं और अपनी पार्टी की विचारधारा का प्रचार करेंगे। डॉ. कृष्ण ने बताया कि वह लोकसभा चुनावों से पहले तीनों प्रदेशों का दौरा कर विभाग का प्रदेश, जिला और ब्लॉक स्तर पर सगंठन खड़ा कर देंगे।