संघी दंगाइयों को नहीं बनाया ‘जीजा’ तो मेवातियों पर लगाया यूूएपीए

संघी दंगाइयों को नहीं बनाया ‘जीजा’  तो मेवातियों पर लगाया यूूएपीए
March 04 04:17 2024

फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) जलाभिषेक यात्रा के नाम पर भडक़ाऊ और ललकारने वाले नारे लगाने वाले संघी दंगाइयों को बुरी तरह खदेड़े जाने का बदला खट्टर पुलिस, मेवातियों पर गैर कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) लगाकर ले रही है। गुपचुप तरीके से यूएपीए लगा कर नूंह पुलिस दंगे के आरोप में बंद करीब चालीस लोगों की निचली अदालत में जमानत नहीं होने देगी। इसके विपरीत दंगा भडक़ाने वाला बिट्टू बजरंगी खुलेआम घूम रहा है, यूएपीए तो बिट्टू और उसके गिरोह पर लगना चाहिए था लेकिन सत्ता संरक्षण में इस गिरोह के खिलाफ जांच ही ठंडे बस्ते में डाल दी गई है। आरोपियों के वकील ताहिर हुसैन के अनुसार मूल एफआईआर में यूएपीए का जिक्र ही नहीं था, घटना के सात महीने बाद चुपचाप लगाया गया है। न्यायालय से स्टेटस रिपोर्ट मिलने के बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी।

हिंदू-मुस्लिम सौहार्द और भाईचारे के प्रतीक नूंह में हर साल जलाभिषेक यात्रा होती रही है। यात्रा के हिंदू भाइयों की सेवा के लिए मुसलमान चाय-पानी-नाश्ते का स्टाल लगाते थे। लेकिन बीते वर्ष सावन में संघी दंगाई कथित गोरक्षक मोनू मानेसर और बिट्टू बजरंगी ने जलाभिषेक यात्रा के नाम पर भडक़ाऊ भाषण देकर माहौल बिगाड़ दिया। मेवात के लोगों में राजस्थान के पशु पालक नासिर और जुनैद की हत्या से मोनू मानेसर के खिलाफ रोष था। दंगाई बिट्टू बजरंगी ने भी हाजी जमात अली का पशुधन लूट लिया था और नूंह के गांवों के बीच से ललकारते हुए भडक़ाऊ नारे लगाते हुए लूटा हुआ पशुधन लेकर गुजरा था। इन घटनाओं से मेवात के मुसलमानों में बिट्टू और मोनू मानेसर के खिलाफ रोष था।

31 जुलाई 2023 की जलाभिषेक यात्रा से पहले मोनू मानेसर ने खुद इसमें शामिल होने की बात कह लोगों का आह्वान किया था। यात्रा वाले दिन बिट्टू बजरंगी ने पोस्ट की थी-पूरी लोकेशन दे दूं कि मैं कहां-कहां आ रहा हूं, नहीं तो ये कहेंगे कि बताया नहीं, कि हम ससुराल आए और मुलाक़ात नहीं हुई इसलिए हम पूरी लोकेशन देंगे। अभी हम पाली हैं और निकलेंगे धौज से, फूल माला तैयार रखना, कोई दिक्कत नहीं है। तुम्हारे जीजा आ रहे हैं, जैसे भडक़ाऊ बातें कहीं। कहने को तो बिट्टू बजरंगी बड़ा धार्मिक यात्रा पर गया था लेकिन उसके पास तलवार व अन्य घातक हथियार मिले थे, जिन्हें नूंह पुलिस ने कब्जे में लिया था लेकिन बिट्टू द्वारा उन्हें छीन कर भागने दिया गया था।

बिट्टू बजरंगी और मोनू मानेसर की भडक़ाऊ बातों के साथ ही यात्रा में मोनू मानेसर जिंदाबाद जैसे नारे लगाए गए तो मेवातियों नेे हमला बोल दिया। बिट्टू बजरंगी और उसके सहयोगी जैसे दंगाई तो जान बचा कर भाग निकले, गुस्से का शिकार जलाभिषेक यात्रा के नाम पर जुटाई गई भीड़ बनी। दंगे में पांच लोगों की जान गई थी जिसमें दो होमगार्ड्स भी थे। पुलिस ने दंगे में 116 लोगों को गिरफ़्तार और 90 लोगों को हिरासत में लिया था। तीन अलग अलग एफआईआर में करीब साठ लोगों को जेल भेजा गया था। तब इन एफआईआर में यूएपीए का जिक्र भी नहीं था।

दंगे का पूर्वानुमान लगाने और उसे रोकने में नाकाम रही नूंह पुलिस की कार्रवाई भी सवाल के घेरे में है। जो बिट्टू बजरंगी हथियारों का जखीरा लेकर पहुंचता हो, जिसके भडक़ाऊ भाषण की वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हो, उसके खिलाफ हल्की धाराओं में केस दर्ज कर जमानत का विरोध भी नहीं किया जाता। इधर, बिट्टू को जीजा नहीं मानने वालों पर गंभीर से गंभीर धाराएं लगाकर उन्हें जेल पहुंचा दिया गया। सात महीने बाद पुलिस ने अचानक यूएपीए लगा दिया। आरोपियों के वकील ताहिर हुसैन के अनुसार यूएपीए लगाने के लिए केंद्र सरकार से अनुमति लेने की जरूरत होती है, पुलिस ने यह अनुमति हासिल की है या नहीं, स्टेटस रिपोर्ट मिलने पर ही पता चलेगा।

कानून के मामलों के जानकारों का कहना है कि यूएपीए उन संगठनों के सदस्यों पर लगाया जाता है जिन्हें सरकार ने देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने के कारण प्रतिबंधित घोषित किया हो। मेवात दंगे के आरोपी किसी भी संगठन से जुड़े नहीं हैं, ऐसे में उन पर यूएपीए लगाना एक पक्ष को खुश करने की कार्रवाई है, जबकि पुलिस को निष्पक्ष होकर काम करना चाहिए।

                                                                                  यूएपीए लगाकर मामन खान की विधायकी छीनने का प्रपंच
नूंह दंगे के मामले में पुलिस ने फिरोजपुर झिरका के कांग्रेस विधायक मामन खान पर दर्ज एफआईआर में भी करीब सात महीने बाद गैर कानूनी गतिविधियां रोकथाम कानून यूएपीए की धाराएं जोड़ी हैं। इस एक्ट के तहत गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को आसानी से ज़मानत नहीं मिलती। धाराएं जोड़े जाने के बाद मामन खां को गिरफ्तार किया जा सकता है। सदन में इनेलों के विधायक अभय चौटाला ने कार्रवाई का विरोध करते हुए बयान दिया कि सरकार हर मामले में दोहरा रवैया अपना रही है, नूंह हिंसा के दौरान गुडग़ांव में मस्जिद में आग लगाई गई थी और इमाम की हत्या भी की गई थी, सरकार ने उस मामले में यूएपीए की धाराएं नहीं लगाई हैं। लेकिन जनता के चुने प्रतिनिधि पर यूएपीए लगाया गया, विधायकों से ऐसा व्यवहार गलत है। राजनीतिक जानकारों के अनुसार सरकार मामन खान की विधानसभा सदस्यता खत्म करने के इरादे से काम करती प्रतीत हो रही है।

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Mazdoor Morcha
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