मज़दूर मोर्चा ब्यूरो राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ इतना अविश्वसनीय है कि इस पर भरोसा करना खतरे से खाली नहीं हो सकता। जिस बिट्टू बजरंगी उर्फ राजकुमार से इन्होंने पल्ला झाड़ लिया है, उसे अब तक गोद में क्यों बैठाए हुए थे? यदि संघियों, विश्व हिंदू परिषद आदि आदि का उससे कोई संबंध नहीं था तो बीते डेढ़ दो साल से जब वह भडक़ाऊ भाषण बाजी करता आ रहा था तब इनके मुंह में दही क्यों जमी हुई थी, तब इन्होंने खड़े होकर क्यों नहीं इसके विरोध में अपनी जबान खोली? संघियों की कथनी और करनी में यहीं से फर्क नजऱ आता है कि जब तक बिट्टू गिरफ़्तार नहीं किया गया विहिप ने उसके बजरंगदल का नहीं होने संबंधी कोई बयान जारी नहीं किया। बिट्टू ने 31 जुलाई को भडक़ाऊ भाषण दिया तब विहिप कहां थी, तब बयान क्यों नहीं जारी किया गया?
तब तो उसे लग रहा था कि हिंदुत्व का एजेंडा परवान चढ़ रहा है तो क्यों कुछ बोला जाए लेकिन जैसे ही बिट्टू पुलिस के हत्थे चढ़ा, विहिप ने बयान जारी कर उससे पल्ला झाड़ लिया।
बीते करीब डेढ़ दो साल से शायद ही कोई सप्ताह ऐसा बीतता होगा जिसमें यह शहर में कोई न कोई सांप्रदायिक हुड़दंगबाजी न करता हो। पिछले ही माह इस बिट्टू ने अपने गुंडोंं के साथ मिलकर थाना धौज के इलाके में एक गऱीब जमात अली की 55 गांयें, 14 बकरियों और चार गधे लूट लिए थे तो इसके विरुद्ध कार्रवाई करने के बजाय उल्टे जमात अली पर ही गोकशी का केस लाद दिया गया।
क्या ये सारी बदमाशी केवल बिट्टू के कहने पर ही पुलिस कर रही थी? यदि बिट्टू को सरकारी संरक्षण नहीं था तो कोताही करने पर पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सरकार द्वारा कार्रवाई क्यों नहीं की गई?
इससे कुछ माह पहले भी थाना कोतवाली के सामने मज़ार पर जब ये हनुमान चालीसा पढऩे आया तो पुलिस ने बजाय इसे गिरफ्तार कर जेल में डालने के उसे बाकायदा संरक्षण दिया था। कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं के दबाव में कोतवाली पुलिस ने इसके विरुद्ध एफआईआर तो जरूर दर्ज कर ली लेकिन कार्रवाई आज तक नहीं की गई, क्या यह बिना सरकारी संरक्षण के हो रहा था? सारा शहर जानता है कि बिट्टू जो उछलकूद कर रहा था वह सब सरकारी दम के भरोसे ही कर रहा था। यह भेद किसी से छिपा नहीं है कि आरएसएस, विहिप, भाजपा आदि सैकड़ों संगठन एक ही बेल खरबूजे हैं। अपनी सुविधानुसार ये जब चाहे जिससे संबंध तोड़ लेते हैं जब चाहे संबंध जोड़ लेते हैं। ख़ैर, जो भी जरा भी समझ रखने वाले लोगों को यह समझ लेना चाहिए कि इनके बहकावे में आकर अपने आप को संकट में नहीं डालना चाहिए। इनका कोई भरोसा नहीं कब ये आपको जलती आग में झोंक कर हाथ सेकने लग जाएं।
सब्जी बेचकर घर चलाने वाला जो राजकुमार संघ, विहिप और भाजपा के प्रोपेगंडे में फंस कर बजरंगी बना और उसने जमात अली जैसे न जाने कितने पशु पालकों को गोरक्षा के नाम पर लूटा-पीटा और मारा उसे विहिप ने एक झटके में किनारे कर दिया। जिस विहिप, बजरंगदल और संघियों के लिए जान की बाजी लगा कर दुनिया से दुश्मनी मोल ली अब उन्होंने बिट्टू से विश्वासघात कर उसे दुश्मनों का सामना करने के लिए अकेला छोड़ दिया।
विहिप ने बिट्टू से पल्ला तो झाड़ लिया लेकिन पूर्व में उसके द्वारा किए गए बड़े बड़े ‘कारनामे’ बताते हैं कि उसके पीछे किसी बड़े संगठन का हाथ जरूर था। नूंह की जलाभिषेक यात्रा के लिए बिट्टू बजरंगी 150 से अधिक वाहनों और एक हजार से अधिक हथियारबंद लोगों का काफिला लेकर गया तो यूं ही तो नहीं चला गया था। इतने बड़े काफिले के वाहनों के लिए ईंधन, भोजन-पानी, हथियार आदि का इंतजाम करना बिट्टू के बस का तो था नहीं, उसमें जाने वाले अधिकतर उन्मादी बेरोजगार और निठल्ले थे यानी उन्हें भी भाड़े पर ले जाया गया था। इसी तरह प्रत्येक सप्ताह किसी न किसी काम के लिए बिट्टू भीड़ जुटाता था, जाहिर है उसे यह काम करने के लिए किसी संगठन से फंडिंग की जाती थी।
संघ और विहिप बीते दो- तीन दशक में अपने सहयोगी संगठनों के जरिए हिंदुओं को तलवार, त्रि शूलआदि हथियार बंटवाने का काम कर रहे हैं। बिट्टू बजरंगी कई तस्वीरों में तलवारों, त्रिशूल आदि के साथ दिख रहा है, यह बताता है कि बिट्टू इन संगठनों से जुड़ा हुआ था। सोशल मीडिया पर कई तस्वीरें वायरल हैं जिनमें बिट्टू भाजपा, विहिप, संघ के कार्यक्रमों में शामिल होते और उनके पदाधिकािरयों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होते देखा जा सकता है। ऐसे में विहिप का बिट्टू का बजरंग दल से जुड़े होने से इनकार करना संघ के चाल चरित्र को दर्शाता है।