साइकिल चोरी को पुलिस अपराध ही नहीं मान रही

साइकिल चोरी को पुलिस अपराध ही नहीं मान रही
March 29 16:18 2022

शेखर दास
फरीदाबाद (म.मो.) दिनांक 12 मार्च 2022 की रात को जय मिश्रा की साइकिल उनके घर के बाहर से चोरी हो गई, जबकि साइकिल में दो ताले लगे थे। मिश्रा जी इसकी शिकायत 21 मार्च को एसजीएम नगर थाने में करने गए। वहां एफआईआर तो दर्ज नहीं हुआ किंतु ज्ञान बहुत मिला। इस ज्ञान से तो यही प्रतीत होता है कि किसी व्यक्ति का कोई छोटा-मोटा सामान चोरी हो जाय तो वह थाने में एफआईआर दर्ज न करवाकर उसे भूल जाये।

12 मार्च की रात साइकिल चोरी हो जाने पर मिश्रा जी सुबह उठे तो पहले अपने अड़ोस-पड़ोस में ढूंडा । साइकिल का कहीं पता न चलने पर दुखी होकर बैठ गये। यह तो समझने वाली बात है कि किसी आदमी के मेहनत से कमाया गया सामान चोरी चला जाय और कोई कमाई का साधन न हो तो उसके ऊपर क्या गुजरेगी? मिश्रा जी ने दुखी होते हुए अपने एक मित्र को बताया कि पहले से ही कई तरह की परेशानियों से गुजर रहा हूं अब एक और परेशानी सिर पर आ गई। इस मुसीबत के दौर में साइकिल खरीदना बहुत मुश्किल है।

मित्र द्वारा समझाने पर कि थाने में इसकी रपट लिखवाने पर हो सकता है कि पुलिस आपकी मदद कर दे और चोरी हुई साइकिल वापस मिल जाए। संवाददाता के साथ मिश्राजी रपट लिखवाने एसजीएम नगर थाना पहुंचे और कहा कि शिकायत दर्ज कराना चाहते हैं तो पुलिस ने पूछा, किस बात की? जब मिश्राजी ने बताया कि साइकिल चोरी की। इस बात पर मिश्रा जी को बेवकूफ बनाते हुए साइड में खड़ा एक सिपाही हंसते हुए कहा कि साइकिल चोरी का भी कहीं रपट लिखाता है। वहां इतने में सामने बैठा हेड कास्टेबल बोला कि साइड में खड़ा सिपाही ने कहा वो सही कहा है। छोटी-मोटी चोरी जाने पर शिकायत नहीं दर्ज किया करते, इससे कोई फायदा नहीं होता बल्कि आपके जेब से ही पैसे लगेंगे।

अब हेड कास्टेबल ने चोरी के बारे में जानना चाहा तो मिश्रा जी ने जो शिकायत लिख कर ले गये थे वो दे दिया । शिकायत पढऩे के बाद कास्टेबल ने पूछा कि साइकिल तो 12 तारीख को चोरी हुई और तुम 21 तारीख को क्यों आ रहे हो? इस बात पर मिश्रा जी ने जवाब दिया कि काम की वजह से नहीं आया। क्योंकि साइकिल चोरी होने की वजह से आने-जाने में काफी दिक्कत हो गई है आज बड़ी मुश्किल से समय निकाल कर आया हूं।

थाने  में बैठे कास्टेबल ने कहा कि इसकी जांच करनी पड़ेगी, कहीं साइकिल को लेकर कोई वारदात न रच दी हो। इसलिये एसएचओ से एक बार बात करनी होगी और मिश्रा जी को लेकर वहां हाजिर किया। जब मिश्रा जी एसएचओ के कमरे में पहुंचे तो वहां वो पेरों के ऊपर पैर रखकर आराम से बैठे थे और अपने कान में इयर फोन लगा कर किसी से बात कर रहे थे। बात खत्म होने के बाद कास्टेबल ने एसएचओ साहब को सारी बातें बताई। सारी बाते सुुनने के बाद एसएचओ साहब ने कहा कि इसको डायरी में नोट कर लो पहले तफ्तीश करेंगे, तब बतायेंगे। मिश्राजी द्वारा दी गई शिकायत को नोट कर लिया और कहा कि दो दिन बाद हम आपको बता देंगे।

उसी दिन मिश्रा जी के पास किसी अरविंद कुमार ने फोन करके उन्हें थाने बुलाया। जब मिश्रा जी वहां पहुंचे तो अरविंद नहीं मिला। वहां मौजूद एक सिपाही ने उन्हें अगले दिन आने को कहा जब मिश्रा जी अगले दिन गये तो अरविंद कुमार से मुलाकात हुई। अरविंद कुमार ने मिश्रा जी को बैठने को कहा और ज्ञान देने लगा। अरविंद कुमार ने मिश्रा जी से पूछा कि आपके पास साइकिल का कोई कागज है? जिससे कि पता चले कि कौन सी साइकिल चोरी हुई है? क्या आपने साइकिल का इंश्योरेंस कराया था? इस बात पर मिश्रा जी ने जवाब दिया कि नहीं। मानो अरविंद इसी बात के इंतजार में थे। इस बात को सुनते ही अरविंद ने कहा कि किस आधार पर हम आपकी साइकिल चोरी होने का मुकदमा दाखिल करे? मान लो कल को आपकी साइकिल मिल भी जाती है तो हम किस सबूत पर मानेंगे कि यह आपकी साइकिल है। मुकदमा दर्ज कर लिया तो कोर्ट में साइकिल के कागज दिखाने पड़ेंगे ।

अगर आप नहीं दिखायेंगे तो कोर्ट आपको साइकिल नहीं देगी, अगर आपने कागज दिखा भी दिए तो साइकिल के 2500-3000 रुपये जमा करने पर सकते हैं। इतनी रकम की तो आपकी साइकिल भी नहीं होगी और चक्कर काटने पड़ेंगे वो अलग, इसके अलावा वकील भी करना पड़ेगा। इससे अच्छा है कि आप अपनी रपट को खारिज कर दो, हम भाई-चारे में इस बात का ध्यान रखेंगे कि जब कोई साइकिल पकड़ी जायगी तो आपको बुला लेंगे। तब आप अपनी साइकिल पहचान कर ले जाना और चक्कर काटने से भी बच जाओगे। इसके अलावा अरविंद ने मिश्रा जी को इस तरह के कई मामलों के झूठे-सच्चे किस्से सुना दिये।

इस बात पर मिश्रा जी ने कहा कि जनाब हमारे यहां का माहौल बहुत खराब है। अक्सर नशेडी  दिन भर तो वहां घूमते ही हैं और आधी रात को भी बदमाशी करते हैं । इस पर अरविंद ने कहा कि हां वहां का माहौल ही कुछ ऐसा हैऔर कुछ विशेष जातियों का नाम गिनवाते हुए कहा कि ऐसे ही लोग वहां पर रहते हैं। अगर आपको किसी पर शक है तो बताओ उसे उठा लेते हैं। इस बात पर मिश्रा जी ने कहा कि अगर मैं नाम जानता तो फिर उसका नाम शिकायत में क्यों नहीं लिखता? मगर कुछ नाम ऐसे हैं जो यही काम करते हैं और जब उसका नाम मिश्रा जी ने बताया तो अरविंद ने बहुत आसानी से उसे पहचान लिया व कहा कि वो तो पहले भी कई चोरी के मामले में जेल जा चुका है। इनका कुछ नहीं हो सकता फिर भी हम आपको खबर कर देंगे जब भी कोई ऐसा मामला आयेगा। अभी तो इस मामले को वापस ही ले लो  बाकी तो आपको समझा ही दिया है। इस पर मिश्रा जी ने अरविंद के कहे अनुसार लिख ही दिया और साइन भी कर दिया।

ऐसी ही साइकिल चोरी की एक वारदात का रपट लिखवाने आदर्श कॉलोनी निवासी दीपक इसी थाने में गया और उसे भी यही पाठ पढ़ा कर चलता कर दिया।
सीपी विकास अरोड़ा को चाहिये कि वे प्रत्येक थाने चौकी के सामने एक सूचना पट पर लिखवा दें कि साइकिल जैसी छोटी-मोटी चोरी चकारी के लिये यहां आकर उनकी पुलिस का किमती वक्त बरबाद न करें। इसके साथ-साथ थाना प्रभारी तथा अरविंद कुमार को विधिवत पुरस्कृत करें कि उनहोंने मिश्रा जी को धमकाया नहीं, उनसे कागज कलम आदि लेकर आने के लिये नहीं कहा और बड़े प्यार से उन्हें इतना सुंदर प्रवचन देकर उनका ज्ञान वर्धन किया।

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Mazdoor Morcha
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