सैकड़ों रेनवाटर हार्वेस्टर डकारने के बाद नए पचास डकारने की तैयारी

सैकड़ों रेनवाटर हार्वेस्टर डकारने के बाद नए पचास डकारने की तैयारी
June 30 05:22 2024

ऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) वर्षा जल संचयन के लिए नगर निगम शहर में पचास नए रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम स्थापित करने जा रहा है। यह तब है जब शहर में पहले से लगे दो सौ हार्वेस्टिंग सिस्टम खराब पड़े हैं, उन्हें सही कराने के बजाय निगम अधिकारी नए लगाने पर आमादा हैं। हों भी क्यों न, सिस्टम लगाने में उन्हें मोटा कमीशन जो मिलेगा और सरकार से शाबासी भी। अधिकारियों का तर्क है कि नए रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम उन जगहों में स्थापित किए जाएंगे जहां बारिश के दौरान अधिक जलभराव होता है। फिलहाल दो जगहों पर प्रणाली लगाने के लिए टेंडर भी जारी कर दिए गए हैं।

जनता की गाढ़ी कमाई से वसूले गए टैक्स को कैसे डकारा जाता है यह भाजपा की खट्टर-सैनी सरकार को बखूबी आता है। वर्षा जल संचयन के नाम पर शहर में स्थापित किए गए करीब दो सौ रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बीते एक दशक से खराब पड़े हैं, हर साल बारिश आने से पहले ठीक उसी तरह इन सिस्टम की सफाई का ठेका दिया जाता है जिस तरह नालों की सफाई का। इन मद में करोड़ों रुपये खर्च करने के नाम पर ठेकेदार और भ्रष्ट अधिकारी मिल कर डकार जाते हैं और हर साल शहरवासी जलभराव झेलते हैैं। अब जब मानसून सिर पर है निगम के अधिकारियों को रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम स्थापित करने की सूझ रही है वह भी एक दो नहीं पूरे पचास।

अव्वल तो ये बनेंगे नहीं और सारा धन डकार लिया जाएगा, यदि गलती से बन भी गए तो उनका भी हश्र वही होगा जो दो सौ रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का है। दरअसल, सरकार हो या नगर निगम सबको नए काम की घोषणा करने की ही आदत है। पूर्व सीएम खट्टर ने भी जुलाई 2018 में शहर में एक हज़ार रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने का ढिंढोरा उस वक्त पीटा था जब स्थानीय विधायक सीमा त्रिखा ने समाजसेवी योगेश ढींगड़ा द्वारा बनाए जा रहे रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को बीच में रुकवा दिया था। पूर्व सीएम ने यह घोषणा बाकायदा एक समीक्षा बैठक के बाद की थी। बैठक में अधिकारियों ने उन्हें एक हजार वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाए जाने की जरूरत बताई थी। लगता है कि खट्टर ने उन अधिकारियों से यह जानना भी उचित नहीं समझा कि पहले से स्थापित सिस्टम कितने हैं और वे कार्यशील भी हैं या नहीं, यदि बंद पड़े हैं तो उसके लिए अधिकारियों ने क्या किया। न तो अधिकारियों की खराब पड़े सिस्टम में कोई दिलचस्पी थी और न ही खट्टर को, उन्होंने तो बस अधिकारियों की सलाह पर तुरंत घोषणा कर दी। इनमें से कितने लगे और कहां लगाए गए आज तक ये किसी ने नहीं बताया।

नगर निगम के खाऊ अधिकारियों को पूर्व सीएम खट्टर की घोषणा याद थी तो उन्होंने भी लाखों रुपये खर्च कर पचास सिस्टम लगाने की घोषणा कर दी। फिलहाल सेक्टर 19 बाजार और वर्धमान मॉल के पीछे रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया जाएगा क्योंकि निगम अधिकारियों के अनुसार यहां जलभराव ज्यादा होता है। शहर में शायद ही कोई ऐसी जगह हो जहां जलभराव न होता हो। सेक्टर 15 में अधिकारियों वाले वीआईपी एरिया, सेक्टर 12 स्थित लघु सचिवालय, नगर निगम मुख्यालय में भी जलभराव होता है हालांकि इनमें से अधिकतर भवनों मेंं रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगा है। जब वीआईपी इलाकों का ये हाल है तो कॉलोनियों का हाल समझा जा सकता है।

वरिष्ठ समाजसेवी सुरेश चंद गोयल कहते हैं कि शहर का भूजल स्तर लगातार गिरता जा रहा है, यदि वर्ष जल संचयन प्रणाली ठीक से काम करतीं तो भूजल रिचार्ज होता लेकिन न तो प्रशासन को और न ही निगम के निकम्मे अधिकारियों को इसकी कोई चिंता है। सरकार को चाहिए की पहले खराब पड़े दो सौ रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को दुरुस्त कराए, इसके बाद यदि जरूरत पड़ती है तब ही नए लगवाए अन्यथा पुरानों को ही कार्यशील रखने की व्यवस्था होनी चाहिए।

दरअसल, निगम के अधिकारी सामाजिक हित की जगह राजनेताओं के हित में ही कोई निर्णय लेते हैं। संदर्भवश बताते चलें कि जून 2018 में खट्टर द्वारा एक हजार वाटर हार्वेस्टिंग लगाने की घोषणा के बाद समाजसेवी व पूर्व पार्षद योगेश ढींगड़ा की एनजीओ भुवनेश ढींगड़ा फाउंडेशन ने रोज गार्डन में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम स्थापित करने की निगम से अनुमति मांगी थी। निगम ने लंबी चौड़ी शर्तें रखने के बाद बमुश्किल अनुमति दी थी। अनुमति मिलने पर फाउंडेशन ने करीब सवा लाख रुपये खर्च कर पाइप, बोरिंग मशीन आदि का इंतजाम किया। बताया जाता है कि इसकी जानकारी जैसे ही बडख़ल विधायक सीमा त्रिखा को हुई उन्होंने तुरंत निगमायुक्त एम शाईन से काम रुकवाने को कहा।

आईएएस एम शाईन ने यह जानते हुए भी कि योगेश ढींगड़ा जनहित में सिस्टम बनवा रहे हैँ राजनीतिक आका की चाटुकारिता करते हुए बिना कोई स्पष्ट कारण बताए काम रुकवा दिया। फाउंडेशन के सदस्य कई दिन तक निगमायुक्त, चीफ इंजीनियर से काम रोके जाने का कारण जानने का प्रयास करते रहे लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं दिया गया था।

दरअसल, लूट कमाई में माहिर अधिकारी ये चाहते ही नहीं कि कोई दूसरी संस्था मुफ्त में जनहित के काम करे, यदि ऐसा हुआ तो विकास कार्य के नाम पर होने वाली उनकी ऊपरी कमाई मारी जाएगी। पूर्व पार्षद योगेश के अनुसार उस समय अच्छी गुणवत्ता वाला पाइप, बोरिंग आदि कराकर रेन वाटर हार्वेस्टर बनाने में डेढ़ लाख रुपये तक खर्च आया था। देखा जाए तो वर्तमान में दो से ढाई लाख खर्च होंगे लेकिन नगर निगम के कमीशनखोर अधिकारी एक हार्वेस्टर बनवाने में चार से पांच से छह लाख रुपये का एस्टीमेट बनाते हैं। समझा जा सकता है कि रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम स्थापना के नाम पर केवल लूट कमाई ही होनी है।

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Mazdoor Morcha
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