फरीदाबाद (म.मो.) अच्छी बात है कि डीसीपी ट्रेफिक नीतीश कुमार अग्रवाल को बाटा मोड़ से दिल्ली की ओर यू-टर्न लेने वालों की समस्या तो नज़र आई। इससे निपटने के लिये उन्होंने अपने स्तर पर बैरिकेडिंग के द्वारा इस समस्या को हल करने में कुछ तत्परता दिखाई। इस बैरिकेडिंग में एक खतरे की ओर शायद उनका ध्यान नहीं गया। रात के समय यह बैरिकेडिंग बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकती है। बेहतर होगा कि यदि इस पर रिफलेक्टर भी लगा दिये जायें।
बाटा पुल से राजमार्ग की ओर उतर कर दिल्ली की ओर जाने वालों के रास्ते को जिस प्रकार से ऑटो तथा अन्य वाहनों ने घेर कर रोका होता है उस पर भी उन्हें ध्यान देना चाहिये। इसी प्रकार पुल से उतर कर जब बल्लबगढ़ की ओर चलते हैं तो राजमार्ग पर खड़े रहने वाले ऑटो यातायात में बाधा पैदा करते हैं। इस प्वाइंट पर सर्विस लेन होने के चलते तमाम ऑटो वालों को इस लेन से गुजार कर राजमार्ग को जाम से बचाया जा सकता है। बल्लबगढ़ से बाटा की ओर आने वाले वाहनों की कठिनाई को, उस रास्ते पर सदैव खड़े रहने वाले वाहनों ने काफी बढ़ा रखा है। वहां से अवैध पार्किंग को हटाने से काफी राहत मिल सकती है।
लगाभग यही स्थिति अजरोंदा मोड़ व ओल्ड फरीदाबाद चौक की है। अजरोंदा मोड़ पर डीसीपी ट्रैफिक कार्यालय होने के बावजूद, आसपास की सडक़ों पर अवैध पार्किंग से लगने वाले जाम काफी निराशा उत्पन्न करते हैं। कभी फुर्सत मिले तो डीसीपी स्वयं इन सडक़ों को घेरे खड़े वाहन चालकों से पूछताछ तो करें।
बाटा पुल से उतर कर हार्डवेयर चौक की ओर जाते हुए तथा इसी चौक से बाटा की ओर आते हुए, दोनों सडक़ों पर बड़े-बड़े ट्रक व ट्राले सडक़ पर कब्जा जमाये रहते हैं। यह ठीक है कि ये वाहन वहां स्थित स्टीलयार्ड से माल लाने-ले जाने को आते हैं, लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं हो सकता कि वे आम नागरिकों की सडक़ ही कब्जा लें। पुलिस के इस ढुलमुल रवैये से उत्साहित होकर, राजमार्ग से सेक्टर 15 की ओर जाने वाली सडक़ पर खुलने वाले स्कॉर्ट प्लांट के गेट के सामने भी ट्रकों की लम्बी लाइने लगने लगी हैं। इससे भी बद्तर हालत इंडियन ऑयल के सामने वाली सडक़ की है जहां पर फोर्ड ट्रैक्टर कंपनी का माल लादे पचासों वाहन हर समय खड़े रहते हैं।
एक-दो चोक को ऑटो रिक्शाओं द्वारा लगाये जाने वाले जाम से मुक्त कराने के लिये किया गया प्रयास भी कुछ हद तक सराहनीय है। ऐसे ही प्रयास अन्य स्थानों पर भी किये जाने की जरूरत है।