सडक़ों की हालत खस्ता, ऑनलाइन चालान के जरिए जनता से हो रही लूट

सडक़ों की हालत खस्ता, ऑनलाइन चालान के जरिए जनता से हो रही लूट
December 16 07:06 2023

फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा)। शहर में स्मार्ट सिटी द्वारा चौक चौराहों व रेड लाइट पर लगाए गए कैमरों ने वाहनों का ऑनलाइन चालान काटना शुरू कर दिया है। बताया जा रहा है कि 13 नवंबर से पांच दिसंबर के बीच 22,000 से अधिक वाहनों के चालान काट दिए गए। इनमें ज्यादातर चालान जेब्रा क्रॉसिंग पार करने, रेड लाइट क्रास करने, ओवर स्पीडिंग आदि के हैं। जनता की जेब काटने के लिए ऑनलाइन सीसीटीवी कैमरा जैसे आधुनिक उपकरण तो तेजी से लगाए जा रहे हैं लेकिन जिन कामों से जनता को सुविधा होनी है जैसे गड्ढ़ा मुक्त, जाम मुक्त सडक़ नेटवर्क का निर्माण, वो नहीं कराया जाता। हालांकि सडक़ों के निर्माण और मरम्मत के नाम पर अधिकारियों-नेताओं के बीच करोड़ों रुपयों की बंदरबांट चल रही है, जनता को चालान भुगतना पड़ता है।

स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने शहर में जाम मुक्त यातायात व्यवस्था दुरुस्त करने के नाम पर यातायात पुलिस के साथ मिलकर चौक चौराहों और मुख्य जगहों पर ट्रैफिक लाइट लगाने का पाखंड किया था। ट्रैफिक लाइटें लगने से यातायात व्यवस्था दुरुस्त होने के बजाय और बिगड़ गई, जिन सडक़ों पर जाम नहीं लगता था लाइटें लगने के कारण वहां भी जाम की स्थिति बनने लगी। इसका कारण शहर के यातायात का वैज्ञानिक अध्ययन, चौक-चौराहों पर वाहनों के आवागमन का औसत अनुमान, ट्रैफिक सिग्नल का समय निर्धारण, वाहनों की संख्या, सडक़ों की स्थिति आदि पर शोध नहीं किया जाना रहा। बिना तैयारी लगाई गई ट्रैफिक लाइटों ने वाहन चालकों की परेशानियां बढ़ाई ही, रेड लाइट पर ईंधन का नुकसान और वायु प्रदूषण में भी इजाफा हुआ और जाम की समस्या भी बढ़ गई।

शहर में अनेकों जगह ट्रैफिक लाइटें जेब्रा क्रॉसिंग के बाद लगी हैं। यही नहीं जेब्रा क्रासिंग भी सडक़ पर उस जगह बनाई गई हैं जहां पैदल यात्री आसानी से सडक़ पार नही कर सकते। 21 ए और 21 सी विभाजक मार्ग जो कि हाईवे और अनखीर पुलिस चौकी को जोड़ता है, पर सेक्टर 21 में एशियन हॉस्पिटल क्रासिंग, पुलिस आयुक्त कार्यालय क्रॉसिंग के पास जेब्रा क्रासिंग प्रत्येक सडक़ पर बनाई ही नहीं गई है। जो बनाई गई है वह रेड लाइट से पहले। वाहन चालक रेड लाइट पर रोकने के चक्कर में जेब्रा क्रॉसिंग तक पहुंच जाते है और उनका चालान कट जाता है। नियमानुसार जेब्रा क्रॉसिंग रेड लाइट के बाद बनाई जाताी है। इसी तरह शहर में कहीं भी वाहन गति सीमा निर्धारण के चिह्न नहीं लगाए गए हैं, बावजूद इसके एक हजार से अधिक दो पहिया-चार पहिया चालकों का चालान एमवी एक्ट की धारा 184 यानी ओवर स्पीडिंग, जोखिम पूर्ण ढंग से वाहन चलाने में काटा गया है।
स्मार्ट सिटी में बैठे सेवानिवृत्त अधिकारियों को ट्रैफिक लाइटें लगाने का खुद तो कोई ज्ञान था नहीं और किसी से उधार लेने की जरूरत नहीं समझी। पचास- सौ मीटर की दूरी पर ही दूसरी ट्रैफिक लाइट लगा दी गई, इनके लाल और हरा होने के समय का भी अध्ययन नहीं किया गया। इसी मार्ग पर बडख़ल पुल से अनखीर चौक तक चार जगह ट्रैफिक लाइट लगी हैं। इसी तरह बीके चौक से डीसीपी एनआईटी दफ्तर के बीच तीन ट्रैफिक लाइटें लगाई हैं। केएल मेहता कॉलेज के सामने लगी ट्रैफिक लाइट का समय निर्धारण वैज्ञानिक नहीं है। यहां बीके से केसी रोड की ओर जाने वाले और उधर से बीके की ओर आने वाले वाहनों की संख्या काफी अधिक होती है। बावजूद इसके यहां हरी बत्ती तीस सेकेंड तक ही जलती है जिस कारण मुख्य मार्ग पर हमेशा वाहनों की भीड़ रहती है। एनआईटी तीन निवासी आंचल रत्रा कहती हैं कि जब यहां ट्रैफिक लाइट नहीं थी तो कभी वाहनों की लाइन नहीं लगती थी, केवल कॉलेज खुलने और बंद होने के समय थोड़ी देर जाम लगता था, अब हर समय वाहनों की लाइन लगी रहती है। ट्रैफिक लाइटों का वैज्ञानिक तरीके से समय निर्धारण न होने के कारण शहर की अधिकतर अंदरूनी व मुख्य सडक़ों पर भी वाहनों की लाइन देखी जा सकती है।

यातायात दुरुस्त करने के लिए स्मार्ट सिटी ने प्रमुख चौक चौराहों के पास स्लिप रोड को अतिक्रमण मुक्त नहीं कराया। कई स्थानों पर पर्याप्त जगह होने के बावजूद स्लिप रोड नहीं बनाई गई है जिस कारण बाएं मुडऩे वाले वाहनों को बेवजह रेड लाइट पर रुकना पड़ता है। केसी-बीके मार्ग पर एनएच पांच कट के लिए कोई स्लिप रोड नहीं है, इसी यहां से बीके की ओर जाने वाले वाहनों को भी स्लिप रोड नहीं होने के कारण रुकना पड़ता है। स्मार्ट सिटी में बैठे निकम्मे अधिकारियों ने यहां रेडलाइट और कैमरा तो लगा दिया लेकिन जगह होने के बावजूद स्लिप रोड नहीं बनवा रहे। स्लिप रोड बनवाने के लिए मेहनत करनी पड़ती इसलिए नहीं बनवाई, रेडलाइट और कैमरे से कमाई होती है तो लगवा दिए।

इसी तरह नीलम पुल उतरते ही बाटा चौक की ओर जाने वाली सडक़ के साथ ही स्लिप रोड पर अतिक्रमण है। दुकानों, निजी अस्पतालों के वाहन, डिस्पेंसरियां, होटल, गुड्स टांसपोर्टर्स आदि के वाहन खड़े होने के कारण यह स्लिप रोड वाहनों के चलने लायक नहीं है। इसी तरह दिल्ली जाने के लिए नीलम पुल से उतरते ही कोने पर नर्सरी, गमले और सीमेंट प्रोडक्ट की दुकानों ने स्लिप रोड की जगह घेर रखी है। पुल उतरते ही इस जगह चार पहिया, तिपहिया आदि वाहन लाइन से खड़े रहते हैं। जिस कारण जाम की स्थिति बनी रहती है। बदरपुर-बल्लभगढ़ मार्ग पर अजरौंदा मेट्रो स्टेशन से सेक्टर 15 मोड़ तक सडक़ पर खड़े ट्रक व अन्य वाहनों के कारण हमेशा जाम रहता है।

कानून का पालन करने वाले वाहनों का धड़ल्ले से चालान काटा जा रहा है लेकिन यातायात पुलिस उन वाहनों का चालान नहीं कर रही जो बिना नंबर प्लेट के ही सारे शहर में धड़ल्ले से दौड़ रहे हैं। इनमें ईकोग्रीन के ट्रक, ट्रैक्टर ट्रॉली ही नहीं पानी माफिया के टैंकर, पिकअप, रेत माफिया के ट्रक, डंपर, ट्रैक्टर-ट्रॉली जैसे अनगिनत वाहन शामिल हैं। नंबर प्लेट नहीं होने के कारण इनके चालक बेखौफ होकर रेड लाइट पार करते हैं, जेब्रा क्रॉसिंग का उल्लंघन करते हैं और तेज गति से वाहन दौड़ाते हैं। रेड लाइटों पर लगे कैमरे और चौक चौराहों पर खड़ी ट्रैफिक पुलिस को ये नजर नहीं आते, क्योंकि अवैध रूप से चल रहे ये वाहन यातायात पुलिस की ऊपरी कमाई का बड़ा साधन हैँ। इससे होने वाली आमदनी वसूली करने वाले सिपाही से लेकर आला अधिकारियों तक ईमानदारी से बंटता है। कार्रवाई इसलिए भी नहीं होती कि अधिकतर रेत माफिया, पानी माफिया केंद्रीय मंत्री किशनपाल गूजर के सजातीय हैं और उनका संरक्षण प्राप्त है।

ट्रैफिक लाइटें लगाकर चालान के रूप में प्रति माह करोड़ो रुपये राजस्व वसूल कर खट्टर को खुश करने वाले भ्रष्ट अधिकारी सडक़ों की मरम्मत के नाम पर करोड़ों रुपये की हरामखोरी भी कर रहे हैँ। अनखीर सूरजकुंड रोड की मरम्मत के नाम पर हरामखोर अधिकारियों ने 22.52 करोड़ रुपये खर्च कर डाले, मई में बन कर तैयार हुई ये सडक़ जुलाई में ही उखडऩे लगी और अनंगपुर चौक पर बुरी तरह टूट गई। भ्रष्ट अधिकारियों ने ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय पैच वर्क करा सबकी गलतियां और भ्रष्टाचार पर पर्दा डाल दिया। अनखीर-सूरजकुंड मार्ग एक उदाहरण है यह भ्रष्टाचार लगभग हर सडक़ पर दिख जाएगा।

लगभग हर महीने शहर में आ धमकने वाले सीएम खट्टर जनता के सामने तो ईमानदारी का खूब ढिंढोरा पीटते हैँ लेकिन भ्रष्ट अधिकारियों की नकेल कसने के बजाय उन्हें शाबाशी देते हैं क्योंकि इन भ्रष्ट अधिकारियों को उनकी पार्टी के ही नेताओं ने संरक्षण दे रखा है।

सिर्फ वसूली स्मार्ट, डेटा अपडेट में फिसड्डी
यातायात पुलिस की स्मार्टनेस केवल ऑनलाइन चालान काटकर वसूली करने तक की है। इनकी जिम्मेदारी चालान भरे जाने वाले संबंधित वाहन की जानकारी अपडेट कर उसे पोर्टल से हटाने की भी है लेकिन ऐसा कुछ नहीं किया जाता। शहर में सैकड़ों वाहन चालक ऐसे हैं जिन्होंने जुर्माने की राशि जमा कर दी बावजूद इसके विभाग के पोर्टल पर उनका वाहन भुगतान नहीं होने वाली सूची में दर्शाया जा रहा है। इससे वाहन चालकों को अनेक प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

आरटीए में वाहन की फिटनेस, ट्रांसफर आदि के लिए आवेदन करने पर पोर्टल पर नंबर दर्ज होने का हवाला देकर नाम हटने तक सभी सुविधाओं से वंचित कर दिया जाता है। अधिकारी पहले सारे भुगतान करने की बात कहते हैं, भुगतान की रसीद दिखाने पर बताया जाता है कि जब पोर्टल से वाहन का नंबर हटेगा उसके बाद ही सुविधा मिल पाएगी। अनेकों वाहनों के चालान जुर्माने का भुगतान किए जाने के बावजूद महीनों बाद भी उनके नंबर पोर्टल से नहीं हटाए गए हैं। ट्रैफिक महकमा इस पर कुछ नहीं करता, उसे तो जुर्माना वसूलने से मतलब है वाहन स्वामी और आम जनता दलालों के चक्कर काटे।

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Mazdoor Morcha
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