फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) ब्रज मंडल यात्रा की आड़ में नूंह में हथियारबंद गुंडावाहिनी लेकर पहुंचने, पुलिस से हाथापाई करने और पुलिस कस्टडी से हथियार लूट कर भागने के आरोपी के दंगाई बिट्टू बजरंगी को आईएसआई से जान का खतरा बताया जा रहा है। बजरंगी के वकील एलएन पाराशर ने यह दावा करते हुए कहा कि वह अपने मुवक्किल को सुरक्षा मुहैया कराने की याचिका हाईकोर्ट में डालेंगे।
अगर ऐसा है तो यह भारत की खुफिया एजेंसियों की बड़ी विफलता है कि उन्हें यह जानकारी नहीं हो सकी कि बिट्टू की जान को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी से खतरा है। हो सकता है कि आईएसआई के डायरेक्टर ने सीधे ही बिट्टू के वकील को यह संदेश भेजा हो, तभी तो उन्होंने मीडिया में यह दावा किया है। आईएसआई जैसी खतरनाक संस्था की नजर में आने के कारण बिट्टू को कम से कम जेड प्लस सुरक्षा तो दी ही जानी चाहिए, क्योंकि यदि उसे कुछ हो गया तो देश का भारी नुकसान हो सकता है। वैसे भी नूंह दंगे भडक़ा कर बिट्टू ने देश और समाज के लिए बहुत बड़ा काम किया है, उसके न रहने पर यह अधूरा काम कौन पूरा कर पाएगा।
सवाल यह उठता है कि आईएसआई से बिट्टू को खतरा क्यों होगा, जबकि वह तो आईएसआई के एजेंडे को ही भारत में आगे बढ़ा रहा है। आईएसआई भी तो दंगे भडक़ा कर भारत को अस्थिर करना चाहती है। बिट्टू तो नूंह हिंसा से पहले भी गोरक्षा, हिंदू अस्मिता की रक्षा के नाम पर अपने हथियारबंद चेलों के साथ कई जगह दंगे भडक़ा चुका है। मालेगांव ब्लास्ट की गहन रिपोर्टिंग करने वाले वरिष्ठ पत्रकार निरंजन टाकले के अनुसार ब्लास्ट की जांच कर रही एटीएस की तफ्तीश में सामने आया था कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के आला स्तर के पदाधिकारियों को भी आईएसआई ने 24 करोड़ रुपये दिए थे।
जाहिर है कि पाकिस्तान की एजेंसी ने आरएसएस को यह धन भारत में दंगे और अशांति फैला कर देश को अस्थिर करने के लिए ही दिया होगा। जब आईएसआई आरएसएस प्रमुख को दंगे भडक़ाने के लिए खरीद सकती है तो वह इस संगठन के बिट्टू बजरंगी जैसे छुटभैये और अंधानुकरण करने वाले पिछलग्गुओं पर नजर भी नहीं डालेगी क्योंकि उसे जो कराना है वह रुपये फेंक कर बड़े पदाधिकारियों से करवा लेगी।