कॉलेज की प्रताडि़त महिला टीचरों की गंभीर शिकायतों पर
महिला आयोग मौन, मजदूर मोर्चा के खिलाफ हुआ सक्रिय
मजदूर मोर्चा ब्यूरो
फरीदाबाद: जवाहर लाल नेहरू राजकीय महाविद्यालय फरीदाबाद में अंग्रेजी विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर रुचिरा खुल्लर ने मजदूर मोर्चा में प्रकाशित एक खबर में खुद को चापलूस लिखे जाने पर आपत्ति जताई है। उन्होंने वकील के जरिए नोटिस भी भेजा है। उनकी आपत्ति है कि उन्हें चापलूस महिला क्यों कहा गया। पाठकों को याद होगा कि नेहरू कॉलेज को लेकर एक खबर प्रकाशित हुई थी जिसका शीर्षक था – नेहरू कॉलेज में प्रिंसिपल की कुर्सी पर बैठा नाकारा गुरु रावत। इस खबर के प्रकाशित होने के बाद नेहरू कॉलेज के प्रिंसिपल रावत को फौरन हटा दिया गया और डॉ एम.के. गुप्ता की नियुक्ति कर दी।
रुचिरा खुल्लर का ऐतराज
मजदूर मोर्चा अपने प्रकाशन के पहले दिन से लेकर आज तक सकारात्मक पत्रकारिता करता आया है। नेहरू कॉलेज में एक लंबे समय से प्रिंसिपल का पद खाली पड़ा था। ओमप्रकाश रावत ने जुगाड़ से यहां काम चलाऊ प्रिंसिपल का पद हासिल कर लिया लेकिन इसके बाद इस मशहूर कॉलेज में अव्यवस्था फैल गई। कुछ शिक्षक पढ़ाने की जगह राजनीति करने लगे और हर समय प्रिंसिपल रावत को खुश करने में लगे रहते थे। हालात इतने बदतर हो गये थे कि चपरासी से क्लर्क बनी सुषमा नरूला की कॉलेज में तूती बोलती थी। एक तरह से रावत की तरफ से यह नकली प्रिंसिपल कॉलेज को संभालने लगी। उसने शिक्षकों का हाजिरी रजिस्टर कब्जे में ले रखा था, और उसके जरिए तमाम शिक्षकों को धमकाया जाता था। कुछ प्रेग्नेंट टीचरों के साथ बदसलूकी तक की गई, उन्हें इंतजार कराया गया। सीएम विंडो और हरियाणा महिला आयोग तक इसकी शिकायतें पहुंचीं। प्रेग्नेंट और स्तनपान कराने वाली महिला टीचरों ने अपनी पूरी दास्तान मुख्यमंत्री को भेजे शिकायत पत्र में लिखी।
राज्य महिला आयोग के पास पहुंची शिकायत पर आयोग की सदस्य और फरीदाबाद की भाजपा नेता रेणु भाटिया 10 अक्टूबर को कॉलेज में जांच करने पहुंचीं। मजदूर मोर्चा में 18 अक्टूबर को प्रकाशित इस खबर में बताया गया कि रेणु भाटिया की जांच के दौरान वहां तत्कालीन प्रिंसिपल रावत ने प्रो. रुचिरा खुल्लर को आगे कर दिया। आयोग की सदस्य के सामने प्रो. रुचिरा प्रिंसिपल की तारीफ के कसीदे पढऩे लगीं। प्रो. रुचिरा ने यह तक कह डाला कि हमारे प्रिंसिपल तो देवता स्वरूप है इनसे मिलना कितना आसान है और बल्लभगढ़ के अग्रवाल कॉलेज के प्रिंसिपल से मिलने के लिए पांच-पांच स्टेज़ पार करने पड़ते हैं। जबकि उसी वक्त उनके दफ्तर के दरवाजे पर दसियों गर्भवती महिला व विकलांग शिक्षक उनसे मिलने के लिए घंटों से खड़े थे। उनकी केवल एक ही मांग थी कि जब सरकार ने उन्हें घर से ऑनलाइन काम करने की छूट दे रखी है तो उन्हें कॉलेज क्यों बुलाया जाता है। प्रो. रुचिरा खुल्लर ने प्रिंसिपल के लिए जो बातें कहीं, वो चापलूसी की श्रेणी में आती हैं। इस संदर्भ में इसका जिक्र आया था।
बेगैरत राज्य महिला आयोग
महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि मौके पर उस समय तो रेणु भाटिया ने जांच के दौरान पूरे तेवर दिखाये और प्रेग्नेंट और स्तनपान कराने वाली महिला टीचरों की शिकायतों पर पूरी हमदर्दी जताई लेकिन उन्होंने आयोग और मुख्यमंत्री कार्यालय को अपनी रिपोर्ट क्या भेजी, इस पर वह अभी तक मौन हैं। उन्होंने अभी तक मीडिया को यह जानकारी नहीं दी कि नेहरू कॉलेज की जांच में उन्होंने क्या तीर मारा। रेणु भाटिया की चुप्पी का अर्थ क्या यह लगाया जाये कि आयोग ने और खुद एक महिला ने नेहरू कॉलेज की परेशान और सताई गई महिला टीचरों की व्यथा पर पर्दा डाल दिया है। क्या वो जांच के दौरान प्रो. रुचिरा खुल्लर की वो भाव-भंगिमा भूल गईं जो उन्होंने प्रिंसिपल के कसीदे पढऩे में दिखाई थीं। राज्य महिला आयोग न सिर्फ नेहरू कॉलेज में फैली अव्यवस्था की जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक करने से कतरा रहा है, बल्कि वह बुटाना गैंगरेप जैसी घटनाओं पर भी खामोश है। पाठकों को याद होगा कि इस बारे में भी रेणु भाटिया से पूछा गया था लेकिन उन्होंने कहा था कि उन्हें इसकी जानकारी ही नहीं है।
लीगल नोटिस की और बातें
प्रो. रुचिरा खुल्लर ने चापलूस कहे जाने से आहत होकर जो लीगल नोटिस मजदूर मोर्चा संपादक को भेजा है, उसमें कुछ दिलचस्प बातें कहीं गईं हैं। जिन्हें पाठकों को बताना जरूरी है। प्रो. रुचिरा ने कहा कि नेहरू कॉलेज के बारे में प्रकाशित वो खबर उनकी छवि खराब करने के लिए छापी गई थी। मजूर मोर्चा के लिए प्रो. रुचिरा खुल्लर ने नोटिस में कहा कि यह हरियाणा और दिल्ली एनसीआर में बहुत ज्यादा पढ़ा जाने वाला अखबार है। इस वजह से उनकी ज्यादा बेइज्जती हुई और लोग फोन करके इस बारे में उनसे सवाल कर रहे हैं।
मजदूर मोर्चा प्रो. रुचिरा खुल्लर का इस बात के लिए विनम्र शब्दों में शुक्रिया अदा करता है कि उन्होंने इसे बहुत पढ़ा जाने वाला समाचार पत्र स्वीकार किया है। हालांकि हमारा मानना है कि हम अपने अखबार की प्रसार संख्या को लेकर नहीं बल्कि तथ्यपूर्ण खबरों, गरीबों-शोषित पीडि़त, आम जनता की परेशानियों को उठाने के लिये ज्यादा फिक्रमंद रहते हैं। लेकिन प्रो. रुचिरा ने जो तारीफ की है, मजदूर मोर्चा उनका आभारी है।
प्रो. रुचिरा खुल्लर ने नोटिस में यह भी कहा है कि मजदूर मोर्चा की खबर से वो काफी डर गई हैं क्योंकि उन्हें चापलूस कही जाने वाली खबर को लोग अब वाट्सऐप, अन्य अखबारों और चैनलों में फैलायेंगे। इससे उन्हें न सिर्फ कॉलेज बल्कि अपने घर में भी खतरा पैदा हो गया है। उनकी मांग है कि मजदूर मोर्चा वह स्त्रोत बताये कि उसे उनके बारे में खबर कहां से पता चली।
मैडम ने इतिहास भी टटोला
प्रो. रुचिरा खुल्लर ने मजदूर मोर्चा के संपादक का इतिहास तलाशने की कोशिश की है। उन्होंने आरोप लगाया है कि संपादक के खिलाफ कई आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। वो जेल भी जा चुके हैं। प्रो. रुचिरा खुल्लर शायद यह भूल गईं कि किसी अखबार के संपादक का जेल जाना उसकी पत्रकारिता जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि होती है। अगर जनता के हक में छापना, अव्यवस्था को उजागर करना, सत्ता और नौकरशाही को चुनौती देना किसी पत्रकार का अपराध है तो मजदूर मोर्चा संपादक यह अपराध बार-बार करने, बार-बार जेल जाने और जुल्म का हर मुकाबला करने को तैयार हैं। मजदूर मोर्चा और उसके संपादक का आदर्श शहीद-ए-आजम भगत सिंह हैं। हमारी सारी नीतियां भगत सिंह के विचारों से प्रभावित हैं। इसलिए हम इस मौके पर अपने इस ऐलान को दोहराते हैं कि मजदूर मोर्चा पूरी निर्भीकता से जनता और हर परेशाहाल इंसान की आवाज उठाता रहेगा।
जवाब से पहले पुलिस में शिकायत
प्रो. रुचिरा खुल्लर ने मांग की है कि उन्हें चापलूस कहे जाने पर मजदूर मोर्चा माफी मांगे और यह भी लिखे कि उससे गलती से यह शब्द यानी चापलूस लिखा गया। अगर ऐसा नहीं किया गया तो वह आईपीसी की धारा 499/500 के तहत आपराधिक अवमानना की कार्रवाई करेंगी। महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि मजदूर मोर्चा का जवाब सुने बिना प्रोफसर मैडम ने फरीदाबाद पुलिस में शिकायत भी कर दी। इस बारे में मजदूर मोर्चा संपादक को जैसे ही जानकारी मिली, उन्होंने फौरन ही संबंधित पुलिसकर्मियों के पास जाकर अपना बयान खुद दर्ज कराया। प्रो. रुचिरा ने सम्पादक से माफी न मांगने की सूरत में एक करोड़ रूपए के हर्जाने का दावा डालने की धमकी भी दी है। इसके अलावा उन्होंने सम्पादक का तथाकथित आपराधिक इतिहास आम जनता के बीच प्रचारित करने की धमकी दी है। गौरतलब है कि सम्पादक के बारे में ऐसी कोई भी बात पाठकों से छिपी हुई नहीं है। ऐसी घटनाओं का विस्तृत ब्यौरा समय-समय पर प्रकाशित किया जाता रहा है।