फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) सेक्टर 17 के पूरब में बाईपास से सटे करीब 40 साल पुराने रोज गार्डन को बर्बाद करने के बाद हूडा अधिकारी अब उसे दोबारा गुलजार करने के नाम 43 लाख 60 हजार रुपये खर्च करने जा रहे हैं।
इसके लिए टेंडर भी खोल दिए गए है यानी पहले तोडऩे और फिर बनाने में संसाधनों का दुरुपयोग करने के साथ सरकारी धन की बंदरबांट और लूट कमाई का खेल किया जाएगा। बाईपास रोड को 12 लेन दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे बनाने के लिए सेक्टर 17 स्थित हूडा के रोज गार्डन को तोड़ फोड़ डाला गया था। चौड़ीकरण करने के लिए यहां नहर के सामानांतर काफी चौड़ी जमीन की पट्टी होने के बावजूद उधर की जमीन अधिग्रहीत नहीं की गई, क्योंकि उस क्षेत्र में खट्टर और केंद्रीय मंत्री किशनपाल गूजर के चहेतों के महले दो महले थे जिनकी कीमत एक्सप्रेसवे बनते ही कई गुना बढ़ जानी है। इन चहेतों को बचाने के लिए हूडा के रोज गार्डन की बली चढ़ा दी गई। सिर्फ रोज गार्डन ही नहीं बड़े इलाके में ग्रीन बेल्ट भी उजाड़ दी गई। यदि नहर की ओर की जमीन अधिग्रहीत की जाती तो पर्यावरण संरक्षण में सहायक यह ग्रीन बेल्ट भी सुरक्षित रहती।
यदि ढंग से काम किया जाता तो सडक़ में जाने वाली जमीन को छोड़ कर बाकी बचे हुए रोज गार्डन को सुरक्षित ओर संरक्षित किया जा सकता था लेकिन विकास कार्यो के नाम पर लूट कमाई करने के हथकंडों में माहिर हूडा अधिकारियों ने उसे नहीं बचाया। करीब 500 मीटर लंबाई और 35 मीटर चौड़ाई वाले इस गार्डन का बड़ा हिस्सा एक्सप्रेसवे में शामिल होने के कारण उजाड़ दिया गया। पूरी तरह उजाड़ हो चुके इस बाग में कुछ बचा नहीं है। जब कुछ बचा ही नहीं है तो फिर यहां इतना धन खर्च करने की जरूरत ही क्या है।
हूडा अधिकारी एक्सप्रेस वे पर हरियाली विकसित करने का बहाना बनाते हैं, यदि ऐसा है तो एक्सप्रेस वे बनाने में कई किलोमीटर लंबी ग्रीन बेल्ट बर्बाद कर डाली गई उसे विकसित किया जाना चाहिए था। केवल पांच सौ मीटर में फूल उगाने से एक्सप्रेस वे के पर्यावरण को उतना लाभ नहीं होने वाला जितना ग्रीन बेल्ट विकसित करने से हो सकता है लेकिन निकम्मे और लूट कमाई में माहिर अधिकारियों की इसमें कोई रुचि नहीं है।
सवाल यह भी है कि इसी रोज गार्डन को ही दोबारा बनाया जाना क्या जरूरी है जबकि शहर में हूडा के अनेकों पार्क पड़े हैं जिन्हें बहुत अच्छी तरह से विकसित किया जा सकता है लेकिन ऐसा करने से कमीशन की मोटी रकम मारी जाएगी जिसे किसी कीमत पर नहीं छोड़ा जा सकता।