रिकॉर्ड तोड़ मुकदमे निपटाने वाले जज ढोंचक को स्लोडाउन की चार्जशीट!

रिकॉर्ड तोड़ मुकदमे निपटाने वाले जज ढोंचक को स्लोडाउन की चार्जशीट!
April 07 17:53 2024

मज़दूर मोर्चा ब्यूरो
चण्डीगढ़। हरियाणा में बतौर जि़ला एवं सत्र न्यायाधीश रह चुके मनमोहन सिंह ढोंचक को उनकी ईमानदारी एवं कार्यक्षमता को देखते हुए, सेवानिवृत्ति के पश्चात उन्हें 25.2.2020 को चंडीगढ़ में बतौर कर्जा वसूली ट्रिब्यूनल 2 (डीआरटी2…) का पीठासीन अधिकारी नियुक्त किया गया था। डीआरटी का काम कर्जदारों से विधिवत बैंकों का रुपया वसूल कराना होता है।

देश भर के तमाम ऐसे 39 ट्रिब्यूनलों में से ढोंचक का डिस्पोजल उच्चतम रहा है। उच्चतम भी इतना कि एक दो को छोडक़र शेष ट्रिब्यूनल तो उनके आसपास भी नहीं ठहरते। उनके बारे में एक बात मशहूर है कि वो किसी केस में तारीख नहीं देते, देते भी हैं तो भारी जुर्माना लगाकर।

उनकी इस आदत से तंग आकर वकीलों ने हड़ताल कर दी तथा कई महीने बहिष्कार रखा। यहां समझने वाली बात यह है कि करोड़ों रुपये की कर्जा वसूली के केस को लम्बे से लम्बा लटकाया जाना कर्जदारों तथा वकीलों की एक रणनीति होती है। इसी रणनीति को ढोंचक ने सख्ती से दबा कर बहुत कम समय में सैंकड़ों करोड़ की ऋण वसूली करा दी।

उनकी नियुक्ति के समय इस ट्रिब्यूनल में 12,000 केस थे तथा हर साल लगभग 2500 केस नए $फाइल होते हैं। मतलब 12,000 केसों के साथ चार्ज लिया। चार सालों में 10,000 केस और डाले गए, कुल हो गए 22,000। एक वर्ष में 500 केस निपटाने वाले को एक अच्छा जज समझा जाता है जबकि ढोंचक का डिस्पोजल प्रति वर्ष 700-800 तक रहा है। इसके बावजूद जज साहब पर चार्जशीट लगाई गई कि उन्होंने काम ठीक नहीं किया और लम्बी तारीखें लगाई, जिससे ऋण वसूली प्रक्रिया धीमी हो गई। इस बारे में यहां यह बताना अति आवश्यक है कि डीआरटी 2…पूरे भारत वर्ष के कुल 39 डीआरटीएस में नम्बर वन है। मतलब क्या जज साहब बिना काम किये ही, लम्बी-लम्बी तारीखें लगाकर नम्बर वन हो गए?
सूत्रों से मिली कुछ जानकारी के अनुसार विभिन्न ट्रिब्यूनलों की डिस्पोजल इस प्रकार है:

ट्रिब्यूनल का नाम- मासिक डिस्पोजल

नम्बर 1.डीआरटी-3 दिल्ली 8
डीआरटी-1 चेन्नइ 10
डीआरटी-2 कोलकाता 11
डीआरटी कटक 33
डीआरटी नागपुर 39
डीआरटी सिल्लीगुड़ी 40
डीआरटी-1अहमदाबाद 50
डीआरटी गुवाहाटी 57
डीआरटी–कोलकाता 58
डीआरटी-1 कोलकाता 59
डीआरटी-2 दिल्ली 61
डीआरटी-1 हैदराबाद 65
डीआरटी-1 एरनाकुलम 66
डीआरटी जयपुर 70

केवल 21 डीआरटी ही प्रतिमाह दहाई का आंकड़ा पार पाए। लेकिन ढोंचक जज साहब का आंकड़ा 348 केस प्रतिमाह है। ‘देखा ऋण वसूली की रफ्तार कितनी धीमी कर दी’ दूसरे नम्बर पर डीआरटी-3… चंडीगढ़ 256 केस तथा तीसरे नम्बर पर डीआरटी इलाहाबाद 2… 10 केस प्रतिमाह है। क्या उनको भी चार्जशीट करने का प्रोग्राम है?

ऋण वसूली अपीलेट ट्रिब्यूनल (डीआरएटी) व वसूली प्राधिकरण के (अधिवेशन) में जज साहब नम्बर -वन पर थे जो 17.2.2024 को विज्ञान भवन नई दिल्ली में हुई। पिछले वर्ष भी ये जज साहब नम्बर वन थे। इन जज साहब ने 60 से ज्यादा ऐसे केसों का निपटारा किया जिनमें 100 करोड़ से अधिक का ऋण वसूली का दावा था। ऐसे केसों में वित्त मंत्रालय के निर्देश हंै कि सात दिन से ज्यादा की तारीख नहीं दी जाए। मतलब रोज 7-8 ऐसे केसों की सुनवाई इन्होंने की। वो भी कम स्टा$फ के साथ। कितना समय लगा होगा ये सोचने की बात है। ऐसे जज पर स्लोडाउन का चार्ज शर्म की बात है जो सरासर झूठी भी है। इन पर दूसरा निराधार आरोप वकीलों से दुव्र्यवहार का लगाया गया है जिसके सबूत के तौर पर कोई प्रमाण नहीं दिया गया। लम्बी डेट न देना और मोटे जुर्माने के साथ डेट देना यदि दुव्र्यवहार की श्रेणी में आता है तो वह जरूर इन पर आयद होता है।

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