फरीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) रेडक्रॉस सोसायटी में जन सेवा के नाम पर हर स्तर पर भ्रष्टाचार व्याप्त है। कोरोना काल के दौरान सिर्फ ऑक्सीजन घोटाला ही नहीं हुआ, संस्थाओं से दान में मिला सामान भी गायब कर दिया गया। आरोप तो यह है कि दान में मिले इस सामान का रिकॉर्ड ही नहीं रखा गया ताकि बाद में गायब करने में आसानी हो।
आरटीआई कार्यकर्ता रविंदर चावला के मुताबिक कोरोना काल की पहली और दूसरी लहर में अस्पतालों में भर्ती मरीजों की सुविधा के लिए शहर की अनेक समाजसेवी संस्थाओं ने रेडक्रॉस के जरिए कूलर, पंखे, एसी, वाटर कूलर आदि दान किए थे। दान देने वालों में औद्योगिक एसोसिएशन, धार्मिक-सामाजिक संगठनों के अलावा कुछ लोग व्यक्तिगत रूप से शामिल थे।
दान में मिले सामान का नियमानुसार रेडक्रॉस के स्टॉक रजिस्टर में बाकायदा इंद्राज किया जाना चाहिए था। कौन सा सामान किस संस्था ने कब दिया, सामान ग्रहण करने वाला अधिकारी कौन था इस सब का उल्लेख रजिस्टर में दर्ज होना चाहिए। दान मिलने के बाद इस सामान को इस्तेमाल के लिए किस आइसोलेशन होम, अस्पताल, ब्लड बैंक या संस्था कोजारी किया गया, इसका भी उल्लेख स्टॉक रजिस्टर में बाकायदा होना चाहिए था। बचा हुआ सामान कहां रखा गया उसका भी स्टॉक रजिस्टर में उल्लेख होना चाहिए। रविंदर चावला के मुताबिक कोरोना काल के दौरान रेडक्रॉस सोसायटी को लाखों रुपये से अधिक के उपकरण, रोजमर्रा के इस्तेमाल होने वाले सामान आदि दान में मिले लेकिन इनका कोई रिकॉर्ड नहीं रखा गया। वर्तमान में दान में मिले सामान का 95 फीसदी गायब हो चुका है। क्योंकि रिकॉर्ड ही नहीं रखा गया इसलिए ऑडिट में पकड़े जाने का भी सवाल नहीं उठता। जाहिर है लूट कमाई का यह खेल ऊपर से नीचे तक सबकी जानकारी के बिना नहीं हो सकता। रविंदर चावला का मानना है कि दान में मिले सामान की या तो बंदरबांट हो गई या फिर औने पौने दाम में बेचकर लूट कमाई में सबको हिस्सा दिया गया। इस संबंध में रेडक्रॉस के सेक्रेटरी विजेंद्र सौरोत से बात करने का प्रयास किया गया लेकिन वह उपलब्ध नहीं हुए। उनका पक्ष मिलने पर प्रकाशित किया जाएगा।