रेबीज इंजैक्शन के लिए रैफर किया सफदरजंग अस्पताल

रेबीज इंजैक्शन के लिए रैफर किया सफदरजंग अस्पताल
March 26 16:02 2022

वरिशा अब इस दुनिया में नहीं रही

शेखर दास
फरीदाबाद (म. मो.) आज दोपहर जब मैं बीके अस्पताल पहुंचा तो देखा कि एक लड़की को उसके परिजन पकड़ के ले जा रहे थे। बहुत प्यारी सी थी, देखने से लगता था बहुत चुलबुली भी होगी। बीमार होने की वजह से बहुत शांत थी। मैने उनके परिवार से उसके बारे में जानने की कोशिश की तो उन्होंने बताया उसे कुत्ते ने काट खाया है। सुन कर अजीब लगा तो पूरी बात जाननी चाही कि कुत्ते के काटने से इतनी तबियत कैसे खराब हुई?

वरिशा की माँ आसमा ने बताया कि उसको 22 फरवरी के दिन एक कुत्ते ने काट खाया था। जिस पर उन्होंने उसे बी-के अस्पताल में दिखाया था इस पर डाक्टर ने उन्हें इंजेक्शन लगाने की बात कही और लगाये भी। कुल 6 इंजेक्शन लगने थे, 2 उसी दिन लग गए थे बाकी के लिए डाक्टर ने अलग-अलग तारीखें दे-दी थीं। 22मार्च को छठां इंजेक्शन लगना था जिसके लिए वो लोग आये थे।

पिता रमजान ने बताया कि जब आज  वह लोग वरिशा को लेकर अस्पताल आये तो डाक्टर ने बताया अस्पताल में इंजेक्शन नहीं है, शहर से खरीद कर लाना होगा ।

हम सब इस बात को भली-भांति समझते हैं कि जो लोग बीके अस्पताल में अपना इलाज कराने आते है उनके पास पैसों की कमी तो होती ही है। नहीं तो कोई यहाँ धक्के खाने क्यों आता। यही बात वरिशा  के पिता रमजान के साथ भी रही होगी। इसी वजह से वरीशा को इंजेक्शन लगने में देरी होने लगी और अचानक तबियत खराब होने लगी। वह गिर पड़ी। आनन-फानन में उसे वहां ग्लूकोज चढ़ाया गया। ऐसा वरिशा के परिजनो ने बताया। इस पर भी वरिशा की तबीयत में कोई सुधार नहीं आया तो डाक्टर ने उसे दिल्ली सफदरजंग के लिया रेफर कर दिया ।

मरते क्या ना करते वरिशा की हालत देख कर वरिशा के पिता रमजान एम्बुलेंस लेने के लिए बीके परिसर में 108 एम्बुलेंस आफिस में जाकर उनसे एम्बुलेंस के लिए कहने लगे पर यह सब इतना आसान नहीं होता। वहां जाने में भी रमजान को काफी समय लग गया था और लगे भी क्यों न आखिर सरकारी अस्पताल जो ठहरा। इसी दौरान मैं भी वहां पहुच चुका था और उनकी पूरी बात सुन कर विडियो रिकॉर्ड भी कर लिया था। अब तक भी एम्बुलेंस का इंतजाम नहीं हुआ था ।

उसके बाद मैं वहां से चलकर जांच के लिये इमरजेंसी की तरफ निकल पड़ा। इस दौरान इमरजेंसी में और भी कुछ मामले आये हुए थे। मुझे वहां लगभग 10 मिनट हो गए होंगे मेरी नजर अचानक इमरजेंसी के बाहर गई, जहाँ पर मैंने देखा की वरिशा के परिजन वहीँ खडी एम्बुलेंस के पास रोना-पीटना कर रहे थे। मैं जल्द वहां पंहुचा और मैंने पाया की वरिशा की हालत बहुत खराब हो रही थी, उसके मुंह से कुछ झाग सा निकल रहा था और उसने अपना पूरा शरीर ढीला छोड़ रखा था। उसके पिता ने उसे कंधे पे ले रखा था और वो भी रो रहा था। इस पर मैंने उसे समझया की वरिशा को जल्दी से इमरजेंसी ले जाएँ ।

रमजान को अपनी बेटी की ये हालत देख कर वह पूरी तरह से टूट चूका था। उसे वहां तक ले जाया नहीं जा रहा था। मेरे बार-बार समझाने के बाद जैसे-तैसे वह वरिशा को लेकर इमरजेंसी तक पहुचा। वहां पर डाक्टर मौजूद थे उन्होंने उसकी जांच शुरु कर दी थी।

लगभग 5 मिनट बाद डाक्टर ने बताया की वरिशा अब इस दुनिया में नहीं है।

वहीं खड़े डाक्टर धीरे से कह रहे थे कि परिजनों की लापरवाही से इसकी जान चली गई।  दूसरी तरफ उसकी माँ इमरजेंसी के गेट पर बैठ कर रोते-रोते कह रही थी कि अगर डाक्टर सही समय पर इंजेक्शन लगा देता तो मेरी फूल सी बेटी बच जाती और रमजान तो अपनी बेटी के स्ट्रेचर के पास खड़े होकर अपनी बेटी को इस तरह देख रहा था शायद वह जग जाए।

इसमें गलती किसकी है? पता नही जांच होगी की नहीं ये भी नहीं पता। पर वो प्यारी से लडकी वरिशा इस दुनिया में नहीं रही।

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