राजनीतिक बिसात पर मनोहर प्यादे की बलि

राजनीतिक बिसात पर मनोहर प्यादे की बलि
March 31 07:57 2024

सरकार विरोधी लहर का ठीकरा खट्टर पर, ओबीसी को फांसने के लिए लाए सैनी

मज़दूर मोर्चा ब्यूरो
करीब नौ साल तक मौज कराने के बाद मोदी ने अपना संघी लंगोटिया यार सीएम पद से मुक्त करना इसलिए जरूरी समझा कि उनके शासनकाल में शासन-प्रशासन सब रसातल में जा चुका है। खट्टर में तो कोई प्रशासनिक योग्यता कभी थी न ही कोई राजनीतिक सूझबूझ, केवल प्रशासनिक अधिकारियों के बूते वे मोदी एवं संघ के आदेशों का कार्यान्वयन करा पाते थे। लेकिन इतने भर से सिर पर खड़े लोकसभा चुनाव की नैया पार होती नजऱ नहीं आई तो उन्हें रुख़्सत कर दिया गया।

मोदी को अच्छी तरह मालूम है कि नौ साल में खट्टर ने प्रदेश का कबाड़ा ही किया है, जनता में उनके प्रति बहुत रोष है, ऐसे में यदि वह मुख्यमंत्री रहे तो लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी सभी दस सीटों पर करारी हार का सामना करेगी। उनकी जगह नायब सिंह सैनी को सीएम बना कर ओबीसी वोट साधने और जनता का रोष कम करने की नाकाम रणनीति अपनाने का प्रयास किया जा रहा है।

वन पार्टी वन नेशन के हिमायती मोदी को हमेशा लगता था कि लोकसभा चुनाव हो या राज्यों के विधानसभा चुनाव अकेले अपने व्यक्तित्व के बल पर वह पार्टी को सभी चुनाव जितवा सकते हैं। मोदी लहर में भाजपा ने 2014 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में 47 सीटों पर जीत के साथ बहुमत हासिल किया था। तब संघ और मोदी ने ही संघ पृष्ठभूमि के मनोहर लाल खट्टर को सीएम बनाया था। राजनीतिक पैतरों से अनभिज्ञ खट्टर कभी भी शासन ढंग से नहीं चला पाए बावजूद इसके संघ-मोदी ने उन्हें अच्छा सीएम बताया। मोदी को भी ऐसा ही रबर स्टैंप सीएम चाहिए होता है जो बैठा तो गद्दी पर हो लेकिन फैसले वही करे जो मोदी सुनाए। इधर मोदी की असफलताओं का भी गुणगान करने वाले अंधभक्त और गोदी मीडिया के कारण जनता में मोदी की छवि चमकाई जाती रही। सब सही था तो खट्टर भी सीएम बने रहे।

2019 तक आते आते जनता मोदी सरकार से बुरी तरह ऊब चुकी थी, भाजपा का सत्ता से जाना तय था। ऐसे में पुलवामा अटैक की साजिश रची गई, जिसका फायदा एक बार फिर पुलवामा शहीदों के नाम पर वोट मांगने वाले मोदी को ही हुआ। हरियाणा विधानसभा चुनाव में भी पुलवामा को जमकर भुनाया गया लेकिन खट्टर भाजपा को अकेले बहुमत नहीं दिला सके। निर्दलीय और जजपा के सहयोग से उन्होंने सरकार बना ली। गठबंधन की राजनीति में खट्टर बिलकुल नाकाम साबित हुए। मोदी की योजनाओं को भी वो प्रदेश में अच्छी तरह लागू नहीं करवा सके। अच्छे शासक तो वो पहले भी नहीं थे अब दोबारा सीएम बने तो और भी निकम्मे साबित हुए।

इधर गोदी मीडिया, आईटी आर्मी और अंधभक्तों के लगातार ढोल पीटने के बावजूद जनता में मोदी सरकार के प्रति भयंकर रोष है। देश की सीमाओं की रक्षा का मामला हो, विपक्षियों को कमजोर करने के लिए ईडी, सीबीआई का बेजा इस्तेमाल करना, अर्थव्यवस्था का औंधे मुंह गिरना, बेरोजगारी सत्तर साल के उच्चतम स्तर पर पहुंचना, महंगाई की इंतहा होना और धार्मिक उन्माद के नाम पर देश को तोडऩे की साजिश, मोदी के कारनामों से ऊब चुकी जनता उन्हें हटाने का मन बना चुकी है। यही हाल हरियाणा की जनता का है, यहां भी इस बार खट्टर सरकार को साफ करने की तैयारी जनता कर रही है। ऐसे में इस बार चार सौ पार का ढिंढोरा पीट रहे पीएम मोदी एक एक सीट के लिए रणनीति बना रहे हैं। उन्होंने सीएम खट्टर से हरियाणा में लोकसभा सीटों और सांसदों का फीडबैक लिया तो खट्टर कुछ नहीं बता सके, फिर सकपकाते हुए जवाब दिया कि सभी दस सीटें जितवा कर देंगे।

एक सीएम का अपने प्रदेश की लोकसभा सीटों के बारे में भी ये जानकारी न रखना कि कौन सी मजबूत है, कौन सी कमजोर या कहां का सांसद प्रत्याशी बदला जाना चाहिए मोदी को नागवार गुजरा। अभी तक मोदी जिस सीएम की तारीफ करते नहीं थकते थे लोकसभा चुनाव में अपनी हार देखते हुए अंतिम समय पर उन्हें बाहर कर रास्ता दिखाया गया। जनता में यह संदेश न जाए कि खट्टर को उनके नाकारापन के कारण हटाया गया है, उन्हें करनाल से लोकसभा प्रत्याशी बनाए जाने का जुमला उछाला गया। मोदी ने ओबीसी वोट साधने के लिए खट्टर की ही तरह निकम्मे और यस मैन नायब सिंह सैनी को सीएम का मुखौटा पहनाया है। मोदी के ये टोटके इस लोकसभा चुनाव में काम नहीं आने वाले, जनता के दिलोदिमाग से उनका जादू हट चुका है, शायद यही कारण है कि लोकसभा चुनाव में वो जनता से ज्यादा ईडी, सीबीआई, चुनाव आयोग आदि सरकारी एजेंसियों पर भरोसा कर रहे हैं।

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