फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) जनता को विकास के झूठे सपने दिखा कर लूट कमाई करने की खट्टर सरकार नीति नगर निगम के भ्रष्ट अधिकारियों ने भी अपना ली है। राजा नाहर सिंह स्टेडियम के नाम पर गुजराती कंस्ट्रक्शन कंपनी के साथ 168 करोड़ रुपयों की बंदरबांट करने के बाद दोबारा डीपीआर तैयार की जा रही है ताकि एक बार फिर लूट कमाई की जा सके।
डीपीआर स्वीकृति के लिए सीएम खट्टर के पास भेजी जाएगी, यदि वे पहले वाला प्रोजेक्ट पूरा नहीं होने की जांच नहीं कराते हैं और इस डीपीआर को बिना पूछताछ के स्वीकृति देते हैं तो समझा जा सकता है कि वो करीब 168 करोड़ रुपये डकारने वाली गुजराती रंजीत बिल्डकॉन के कारनामों पर पर्दा डालने वाले भ्रष्टों के साथ हैं। नई डीपीआर को स्वीकृति देने से पहले उन्हें पिछली कंपनी से प्रोजेक्ट पूरा कराने या उससे क्षतिपूर्ति वसूलने का आदेश देना चाहिए।
आम नागरिक को स्वच्छ पेयजल, गड्ढा रहित सडक़ें, चोक मुक्त सीवेज व्यवस्था देने में नाकाम नगर निगम के अधिकारियों ने लूट कमाई के लिए अच्छे भले राजा नाहर सिंह क्रिकेट स्टेडियम के जीर्णोद्धार की आड़ में करीब 168 करोड़ रुपयों की बंदरबांट कर डाली और स्टेडियम भी किसी काम का न छोड़ा। स्टेडियम निर्माण के नाम पर लूट करने के लिए सीएम खट्टर ने मोदी-शाह की करीबी गुजराती कंपनी रंजीत बिल्डकॉन को ठेका दिया था। रंजीत बिल्डकॉन को स्टेडियम बनाने का कोई अनुभव नहीं था और वो सौ करोड़ रुपये से ऊपर के काम लेने योग्य भी नहीं थी। इतनी कमियों के बावजूद खट्टर ने अपने आक़ा मोदी-शाह की खुशी के लिए कंपनी को ही ठेका दिलवा दिया। वही हुआ जो होना था अनुभवहीन कंपनी ने स्टेडियम का गुडग़ोबर कर डाला। निगम के रुपया डकारू अधिकारी सीएम की खुशी के लिए कंपनी को काम नहीं करने के बावजूद लगातार भुगतान करते रहे। समझा जा सकता है कि बिना काम भुगतान के लिए उन्हें भी मलाई का कुछ हिस्सा चटाया जाता होगा।
स्टेडियम के जीर्णोद्धार का मूल बजट 2019-20 मेंं 115 करोड़ रुपये रखा गया था लेकिन ये गुजराती कंपनी को कम लगा, तो बढ़ा कर 127 करोड़ रुपये कर दिया गया। यह भी डकार लिया गया लेकिन स्टेडियम नहीं तैयार हो सका।
अनुबंध पूरा नहीं होने पर नगर निगम के जिन अधिकारियों को रंजीत बिल्डकॉन कंपनी के खिलाफ वसूली, जुर्माने की कार्रवाई करनी चाहिए थी, उन्होंने बचे हुए काम को पूरा करने के लिए 2020-21 में 99 करोड़ का नया एस्टीमेट बना कर भेज दिया। मोदी-शाह के ताबेदार खट्टर ने भी बिना प्रश्न किए इसकी स्वीकृति दे दी। एक बार फिर कंपनी को भुगतान पर भुगतान किए जाने लगे लेकिन किसी अधिकारी ने ये नहीं देखा कि स्टेडियम में कुछ काम हो भी रहा है या नहीं। निगम सूत्रों के अनुसार करीब 168 करोड़ रुपये का भुगतान पाने के बाद कंपनी गुजरात भाग गई। कंपनी ये सारा धन लेकर भागी है या इसमें निगम के भ्रष्ट अधिकारियों ने भी हिस्सा पत्ती ली ये तो तब ही साफ हो पाएगा जब कोई जांच होगी। 200 करोड़ रुपये घोटाले की नज़ीर तो निगम के भ्रष्ट अधिकारी बना ही चुके हैं।
अक्तूबर 2023 में चर्चा उड़ी थी कि इस स्टेडियम को एफएमडीए के वो अधिकारी बनवाएंगे जो नगर निगम और हूडा में रह कर शहर की एैसी तैसी कर चुके हैं। एफएमडीए के अधिकारियों ने इसके लिए बाकायदा डीपीआर बनाने का भी दावा किया था।
लेकिन अब बताया जा रहा है कि स्टेडियम का अधूरा काम नगर निगम ही पूरा कराएगा। बताया जा रहा है कि अब स्टेडियम के बाकी बचे 40 प्रतिशत काम को पूरा कराने के लिए 102 करोड़ रुपये की डीपीआर तैयार की गई है। हालांकि इस डीपीआर में यह परंतुक भी जोड़ा गया है कि देर होने पर लागत और भी बढ़ सकती है। नगर निगम के अधीक्षक अभियंता ओमबीर सिंह के मुताबिक क्रिकेट स्टेडियम का निर्माण कार्य अगले माह शुरू हो जाएगा, इसकी रिपोर्ट सरकार को भेजी गई है। यानी जो स्टेडियम 115 करोड़ में चार साल पहले ही बन कर तैयार हो जाना चाहिए था, वह अब 270 करोड़ से भी अधिक रुपये खर्च करने के बाद बन पाएगा भी या नहींं बताना मुश्किल है।