फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा)। अच्छे भले राजा नाहर सिंह क्रिकेट स्टेडियम के जीर्णोद्धार की आड़ में बीते चार साल से लूट का खेल खेला जा रहा है और जब तक इन जुमलेबाजों की सरकार रहेगी ये खेल यूं ही चलता रहेगा। लूट की असल मलाई खाने के लिए मोदी-अमित शाह ने गुजरात से अपने प्यादे भेजे थे। शुरू में 115 करोड़ का एस्टीमेट बनाया गया, इससे पेट नहीं भरा तो लागत 127 करोड़ कर दी गई। फिर अधूरे स्टेडियम को पूरा करने के लिए अतिरिक्त 99 करोड़ का एस्टीमेट बनाया गया। गुजरातियों द्वारा असल मलाई खाने के बाद जूठी पत्तल एमसीएफ चाटती थी बाकी बची पत्तल चाटने का अधिकार एफएमडीए को दिया जा रहा है। विदित है कि एफएमडीए में भी वही चोर बैठे हैं जो पहले कभी नगर निगम फरीदाबाद में तो कभी नगर निगम गुडग़ांव में थे।
करीब ग्यारह अंतरराष्ट्रीय और रणजी ट्रॉफी मैचों की रणस्थली रहे राजा नाहर सिंह स्टेडियम का जीर्णोद्धार करने के लिए निगम ने 2019 में 115 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट तैयार किया था। संघ-भाजपा की गुजराती लॉबी के दबाव में और प्रधानमंत्री मोदी को खुश करने के लिए खट्टर सरकार ने प्रोजेक्ट का ठेका गुजरात अहमदाबाद की रंजीत बिल्डकॉन लिमिटेड नाम की कंपनी को दे दिया। पूर्व रणजी खिलाड़ी संजय भाटिया ने आरोप लगाया था कि सरकार ने जिस रंजीत बिल्डकॉन को स्टेडियम का प्रोजेक्ट दिया वह सौ करोड़ रुपये काम करने के योग्य ही नहीं है, साथ ही उसे स्टेडियम बनाने का कोई अनुभव नहीं है।
संजय भाटिया का आरोप सही साबित हुआ, अनुभवहीन कंपनी ने काम तो तेजी से शुरू किया लेकिन तकनीकी पहलू सामने आने पर काम रुकने लगा। हालांकि निगम के खाऊ-कमाऊ अधिकारी कंपनी को भु्गतान में देर नहीं करते। करीब 72 करोड़ रुपये खर्च होने के बाद भी स्टेडियम तैयार नहीं हो सका। देरी होने से प्रोजेक्ट की लागत बढऩे का जुमला उछाल कर रिवाइज्ड एस्टीमेट 127 करोड़ रुपये कर दिया गया।
प्रोजेक्ट में कमाई के रास्ते तलाशने वाले निगम अधिकारियों ने बचे हुए काम को पूरा कराने के लिए एक बार फिर 99 करोड़ रुपये का अतिरिक्त एस्टीमेट बना कर सरकार के पास भेज दिया। होना तो ये था कि प्रोजेक्ट अधूरा छोडऩे के लिए सरकार रंजीत बिल्डकॉन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी पर जुर्माना लगाती और ब्लैक लिस्ट करती लेकिन खट्टर ऐसा करके आका मोदी को नाराज नहीं कर सकते थे। उन्होंने प्रोजेक्ट में हुई देरी और नुकसान की भरपाई कंपनी से न करके जनता से करने की योजना बना डाली। अब अधूरे स्टेडियम का प्रोजेक्ट एफएमडीए पूरा करेगा।
एफएमडीए अब इस अधूरे निर्माण के लिए नए सिरे से डीपीआर तैयार करेगा। बताते चलें कि स्टेडियम के अधूरे पड़े काम के लिए निगम ने 99 करोड़ का एस्टीमेट बनाया है, अंदेशा है कि एफएमडीए की नई डीपीआर इससे कहीं अधिक की होगी क्योंकि उन्हें भी तो इसमें नए सिरे से अपना हिस्सा चाहिए होगा।
मुख्यमंत्री खट्टर ने निगम के अधूरे पड़े कामों को एफएमडीए से पूरा कराने का ठेका ले रखा है मानो एफएमडीए के लोग जादू की छड़ी लेकर कहीं आसमान से उतरे हैं, ये भी उन्हीं के भाई बंधु हैं। यानी भ्रष्टाचार के इए नए पैटर्न में पहले नगर निगम किसी प्रोजेक्ट के लिए करोड़ों रुपये का एस्टीमेट बनाए और फिर उसे अधूरा छोड़ दे। सेक्टर 12 में नगर निगम की निर्माणाधीन इमारत इसका उदाहरण है। मुख्यमंत्री कार्रवाई करने के बजाय बकाया काम और नया एस्टीमेट बनाने का काम एफएमडीए पर छोड़ देंगे। इस तरह एक ही काम के लिए लगभग दो गुनी रकम चुकाई जा रही है।