एनडीए यानी नफरत, डर, असत्य फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) राहुल ने संसद में ठीक ही कहा था कि हिंदू तो क्या कोई भी बात डरने डराने की बात नहीं कहता और न ही हिंसा फैलाने की बात कहता है जबकि हिंदू धर्म के ठेकेदार नफरत व हिंसा के बीज लगातार बोते आ रहे हैं। इस दौरान न जाने इन्होंने कितना खून बहा दिया। इस पर, सामने बैठीे मोदी मंडली तिलमिलाई तो राहुल ने स्पष्ट कहा था कि मोदी हिंदू समाज नहीं है, भाजपा हिंदू समाज नहीं है आरएसएस हिंदू समाज नहीं है, हम सब हिंदू समाज हैं।
झूठा प्रचार करने में माहिर संघियों का आईटी सेल तुरंत काम पर लग गया और राहुल के मुंह में शब्द डाल कर पूरे हिंदू समाज को आतंकवादी बताने लगा। इसकी प्रतिक्रिया स्वरूप गुजरात में कांग्रेस कार्यालय पर भारी हमला व तोडफ़ोड़ की गई। फरीदाबाद में भी संघियों को कोई और नहीं मिला तो खट्टर पालतू बिटुए को सामने ला खड़ा किया। पाठक भूले नहीं होंगे ये वही बिटुआ है जो गत वर्ष बारात लेकर दामाद बनने मेवात गया था। जब सामने से जवाबी टक्कर मिली तो चप्पल छोड़ कर भागा था। नफरत, हिंसा, दंगे फैलाने का कार्यक्रम पूरी तरह से विफल हो गया था तो भी उसके बाद वह शहर में तरह तरह के उपद्रवी हथकंडे अपनाता रहा लेकिन शहर की जागरूक जनता उसके बहकावे में कतई नहीं आई। अब वह इतना महान हो गया है कि सांसदों को सलाह दे रहा है कि भाषण के समय ही भाजपाई सांसदों को उनकी जुबान खींच लेनी चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी को उसकी सलाह पर विशेष ध्यान देना चाहिए, हो सके तो उसे संसद में बैठा देना चाहिए।