फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) फर्जी चालान कर धनराशि हड़पने में जोनल अधिकारी रतन सिंह के रंगेहाथ पकड़े जाने के बाद यातायात पुलिस के खाऊ कमाऊ अधिकारियों ने कमाई का सेफ रास्ता निकाल लिया है। उन्होंने रेहड़ी-खोमचे वालों के साथ सांठ-गांठ कर ली है। वाहन मालिकों को मौके पर ही नकद या ऑनलाइन चालान भरने को मजबूर किया जाता है। चालान की धनराशि रेहड़ी खोमचे वालों के पेटीएम या ऑनलाइन पेमेंट एप पर कराई जाती है। इसमें रेहड़ी वाले को छोटा सा कमीशन मिलता है बाकी धनराशि में अपना हिस्सा लेने के बाद पुलिसकर्मी ऊपर के अधिकारियों तक शुकराना पहुंचाते हैं जैसे कि रतन सिंह उच्चाधिकारियों को पहुंचाता था।
बीते सोमवार हार्डवेयर चौक पर दोपहर के आसपास वाहन चेकिंग की जा रही थी। एनआईटी दो निवासी एक युवक सेक्टर 22 की ओर अपनी बाइक से जा रहा था। युवक के अनुसार उसे हार्डवेयर चौक पर कुछ पुलिसवालों ने रोक लिया। लाइसेंस, आरसी, बीमा आदि की जांच की। जब कुछ न मिला तो गलत ढंग से बाइक चलाने का चालान काट दिया। युवक पर चालान की राशि 500 रुपये का तुरंत ही भुगतान का दबाव बनाया गया। उसने नकद नहीं होने की बात की तो मौके पर ही ऑनलाइन भुगतान करने को कहा। उसने भुगतान करने के लिए खाता संख्या, आईएफएससी कोड आदि मांगे तो पुलिस वाले ने चौक पर कचौड़ी की रेहड़ी लगाए दुकानदार के पेटीएम का क्यूआर कोड स्कैन कर भुगतान करने को कहा, इनकार करने पर बाइक सीज करने की धमकी दी गई। मजबूरी में उसने रेहड़ी वाले के पेटीएम में पांच सौ रुपये का भुगतान किया। युवक के अनुसार इस दौरान तीन चार अन्य बाइक वालों से कचौड़ी वाले को पांच सौ रुपये का भुगतान कराया गया। पर्ची मांगने पर बताया गया कि सबकुछ ऑनलाइन है, पर्ची नहीं मिलेगी। जिन लोगों ने तुरंत भुगतान करने से इनकार किया उन्हें पर्ची काट कर दी गई।
हार्डवेयर चौक पर ये खेल रोजाना हो रहा है। कचौड़ी-लस्सी आदि की रेहड़ी लगाने वालों के पेटीएम, फोन पे, गूगल पे एप की जांच की जाए तो उनके खातों में पांच सौ रुपये के कई ट्रांजेक्शन मिलेेंगे। कार्यशैली से स्पष्ट है कि पुलिस वाले चालान के नाम पर फर्जी ढंग से रुपये ऐंठ रहे हैं। रतन सिंह तो पॉस मशीन में हेराफेरी करते हुए पकड़ा गया था ये ट्रैफिक पुलिसकर्मी तो सीधे-सीधे लूट कर रहे हैं।
यातयात पुलिस के लिए हार्डवेयर चौक कमाई का हॉटस्पॉट माना जाता है। यहां ड्यूटी पाने के लिए ट्रैफिक पुलिस से लेकर होमगार्ड के जवान मोटा चढ़ावा चढ़ा कर यहां तैनात होते हैं। यह मानना गलत नहीं होगा कि ड्यूटी लगाने वाले अफसरों से लेकर पुलिस आयुक्त तक को ऐसे चौक चौराहों की भलीभांति जानकारी होती है। पुलिस के भरोसेमंद सूत्रों के अनुसार हार्डवेयर चौक, पाली क्रशर जोन रोड पर ड्यूटी लगाने की बाकायदा बोली लगती है। यदि ऐसा है तो बोली का धन केवल ड्यूटी लगाने वाला अधिकारी ही नहीं रख लेता होगा, ऊपर तक ईमानदारी से सबका हिस्सा पहुंचाया जाता होगा।
पुलिसकर्मियों द्वारा की जा रही लूट की जानकारी विभागीय अधिकारियों या अन्य भ्रष्ट पुलिसकर्मियों को न हो ये मुमकिन नहीं है। लूट कमाई का ये खेल सिर्फ हार्डवेयर चौक पर ही नहीं चल रहा होगा, अन्य प्रमुख चौक, व सडक़ों पर भी इसी तरह कमाई की जा रही होगी। रतन सिंह की ही तरह 36 अन्य पुरानी पॉस मशीनें भी यातायात पुलिस कर्मी इस्तेमाल कर रहे थे। पुलिस कमिश्नर से हमने इन मशीनों की जांच कराने के संबंध में सवाल किया था लेकिन उन्होंने जवाब देना उचित नहीं समझा। समझा जा सकता है कि यदि बाकी मशीनों की जांच हुई तो चालान के नाम पर करोड़ों रुपये लूट कमाई का खेल सामने आएगा। रतन सिंह ने गिरफ्तार होने से दो दिन पहले ही एक एसीपी को शुकराने की मोटी रकम पहुंचाई थी। इसी तरह बाकी मशीन चलाने वालों ने भी आला अधिकारियों को खुश किया होगा, यदि पूरी जांच होगी तो आला अधिकारियों की गर्दन भी फंसेगी, यही कारण है कि गिरफ्तारी और जांच केवल रतन सिंह तक ही सीमित कर दी गई है।
यातायात पुलिस का प्रमुख काम यातायात व्यवस्था दुरुस्त रखने, सडक़ों को जाम मुक्त कर वाहनों के अबाध आवागमन कराने का है लेकिन इस पर ध्यान देने के बजाय चालान काटने पर ही फोकस रहता है। चालान काटने में ऊपरी कमाई होती है जबकि यातायात व्यवस्था दुरुस्त करने में वाहनों का धुंआं और धूल फांकनी पड़ती है, इसीलिए आसान और कमाई वाले काम को ही प्राथमिकता दी जाती है। खुलेआम हो रही इस लूट से यातयात पुलिस ही नही महकमे की छवि खराब हो रही है। जिले के मुखिया होने के नाते पुलिस आयुक्त राकेश आर्य की जिम्मेदारी है कि वो भ्रष्ट पुलिसकर्मियों पर सख्त कार्रवाई कर, जनता को अच्छे अफसर होने का संदेश दें, अन्यथा जनता तो मान ही रही है कि उससे की जाने वाली लूट कमाई ऊपर तक पहुंच रही है, तभी तो भ्रष्ट पुलिसकर्मी खुलेआम लूट कमाई कर रहे हैं।