फरीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) दिनांक 17-18 की मध्य रात्रि को थाना सेक्टर 58 के अन्तर्गत स्थित राजीव कॉलोनी में राजेश तिवारी के घर के सामने सडक़ पर खड़े होकर करीब 15-20 बिगड़े नवयुवक न केवल शराब पी रहे थे बल्कि अपनी कार में लगे स्टीरियो को बहुत ऊंची आवाज में बजाकर हो हल्ला करते हुए नाच रहे थे। दरअसल वे वहीं रहने वाले अपने दोस्त विक्की के घर जन्मदिन मनाने आये थे। कई घंटे शोर शराबा सहने के बाद रात 12 बजे जब राजेश तिवारी की पत्नी संगीता उन्हें शोर मचाने से रोकने गई तो गुंडों ने उस पर हमला कर दिया। वह जैसे-तैसे जान बचाकर घर में घुसीं तो उसकी गर्भवती बेटी सोनम पांडे व मेहमान पवन शर्मा उन्हें समझाने बाहर आये तो गुंडों ने गाड़ी में रखे डंडे आदि निकालकर पूरे जोर से उन पर हमला कर दिया। जब वो लोग जान बचाकर घर में घुसने लगे तो गुंडों ने पथराव कर दिया जिससे सोनम का सिर फूट गया और वह लहू-लुहान हो गई। पवन शर्मा के भी हाथ और सिर में गंभीर चोटें आईं।
वारदात की सूचना तुरन्त थाने में दी गई तो मात्र तीन किलो मीटर का फासला तय करने में पुलिस को आधे घंटे से अधिक लगा। इससे भी दुर्भाग्यपूर्ण बात तो यह रही कि लहूलुहान महिला व अन्य घायलों को देखने के बावजूद पुलिस ने मौके पर मौजूद गुंडों को हिरासत में लेने की बजाय दोनों पक्षों को थाने पहुंचने के लिये कहा। थाने पहुंचकर पीडि़त पक्ष ने देखा कि वहां विक्की व उसके साथी पहले से ही पुलिस वालों से बतिया चुके थे। लिहाजा पीडि़त पक्ष की ओर से गुंडों के विरुद्ध कोई कार्रवाई करने की अपेक्षा उन्हें मेडिकल रिपोर्ट के साथ लिखित शिकायत देने को कहा गया।
पीडि़त पक्ष की जो मेडिकल रिपोर्ट पुलिस को उनके साथ जाकर सरकारी तौर पर बीके अस्पताल से बनवानी चाहिये थी, वह रिपोर्ट पीडि़त पक्ष को अपने खर्चे पर प्राइवेट तौर पर बनवानी पड़ी। पवन के सिर में गंभीर चोट होने के कारण एमएलआर में सीटी स्कैन के साथ सिर के सर्जन की सलाह लेने को कहा है। बांये हाथ की हड्डी छतिग्रस्त होने की आशंका व्यक्त करते हुए एक्सरे कराने की सलाह दी गई है। गर्भवती सोनम के पेट का अल्ट्रासाउंड करा गर्भस्थ शिशु की स्थिति जानने और सिर की चोट के लिए फिजीशियन की सलाह लेने को कहा है। संगीता के भी गर्दन और छाती में गंभीर चोटें आईं।
उसके बाद पीडि़त पक्ष जब थाने पहुंचा तो पुलिस वालों ने गुंडों से एक दरखास्त पीडि़त पक्ष के खिला$फ लिखवा रखी थी। पुलिस द्वारा क्रॉस केस बनाने का यह हरबा कोई नया नहीं है। इसी हरबे के एवज में दोषी पुलिस की अच्छी-खासी सेवा करते हैं। फिलहाल पुलिस ने गुंडों के विरुद्ध धारा 148, 149, 323 व 506 के अन्तर्गत मुकदमा नम्बर 515 दर्ज कर लिया है। दोषियों को थाने से ही जमानत पर रिहा कर दिया गया।
पुलिस की उक्त कार्यशैली से समझा जा सकता है कि पीडि़त के प्रति वह कितनी संवेदनशील है। क्या ये पुलिस का दायित्व नहीं है कि वह सडक़ों पर होने वाली इस तरह की गुंडागर्दी एवं हंगामेबाजी पर रोक लगा कर रखे। लेकिन यहां तो मामला ही उलटा है, सूचना मिलने के बावजूद भी पुलिस हुड़दंगियों के पक्ष में नज़र आ रही है। यदि पुलिस की नीयत इस तरह की गुंडागर्दी रोकने की होती तो उक्त $फर्जी धाराओं के अलावा और भी संगीन धाराएं हुड़दंगियों के विरुद्ध लगाई जा सकती थी।