पुलिस की वर्दी में डकैत

पुलिस की वर्दी में डकैत
September 06 15:50 2022

इन्स्पेक्टर रविन्द्र जेल की बजाए एचएपी भेजा गया
फरीदाबाद (म.मो.) बीते कई वर्षों से फरीदाबाद क्राइम ब्रांच में तैनात इन्स्पेक्टर रविन्दर को गत माह शहर के पूर्व शराब व्यापारी मनिन्दर सिंह पर मारी गई एक बड़ी डकैती के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेजने के बजाय अम्बाला स्थित हरियाणा सशस्त्र पुलिस की प्रथम वाहिनी में तैनाती दी गई है।

उपलब्ध जानकारी के अनुसार क्राइम ब्रांच सेक्टर 30 में तैनात एएसआई प्रदीप की गुप्त सूचना के आधार पर इस जुलाई माह में दर्ज कराये केस के अनुसार, सैनिक कॉलोनी मोड़ के पास शराब की 125 पेटियों से लदी सफेद रंग की बुलैरो पिकअप गाड़ी नम्बर एच आर 55 वी-9414 को जब पुलिस ने रोकना चाहा तो ड्राइवर ने गाड़ी को उल्टी तरफ घुमा कर एक पेट्रोल पंप पर खड़ा कर दिया और खुद फरार हो गया।

क्राइम ब्रांच पुलिस ने गाड़ी को कब्जे में लेकर थाना डबुआ में दिनांक 9.7.22 को आबकारी अधिनियम के तहत एफआईआर नम्बर 327 दर्ज कराई। इस बीच रविन्दर ने 125 पेटी शराब में से वे 20 पेटीयां निकाल लीं जिनमें शिवास रीगल जैसी महंगी बोतलें थी। गाड़ी नम्बर के आधार पर रविन्दर ने गाड़ी के असल मालिक फतेहपुर चंदीला निवासी सुनील व सुमित पुत्रान गजराज को उनके घर से उठवा लिया। उनके द्वारा उसने फरार ड्राइवर पवन को बुलवा लिया तथा दोनों मालिकान को पैसे लेकर छोड़ दिया। छोडऩे से पहले इन तीनों से रविन्दर ने पूछा कि किस-किस अफसर को कितने-कितने पैसे देते हो? ड्राइवर से पूछताछ के आधार पर गुडग़ांव निवासी राजेन्द्र को भी गिरफ्तार कर लिया गया। डंडे के बल पर ड्राइवर से बयान लिया गया कि वह उक्त माल शराब के एक ठेकेदार मनिन्दर सिंह के लिये लेकर आ रहा था। इस झूठे बयान के आधार पर रविन्दर ने अपने एक सब इन्स्पेक्टर कप्तान सिंह व दो अन्य पुलिसकर्मियों को हवाई जहाज के द्वारा गोवा भेज कर मनिन्दर सिंह को 24-25 जुलाई की मध्य रात्रि को उठवा कर फरीदाबाद लाया गया। संदर्भवश जान लें कि मनिन्दर सिंह का फरीदाबाद तो क्या पूरे एनसीआर में ही इस वर्ष शराब का कोई कारोबार नहीं है। करीब दो वर्ष पूर्व इसी रविन्दर ने फरीदाबाद के एसजीएम नगर स्थित मनिन्दर के तत्कालीन शराब ठेके को लूट लिया था। उस वक्त वह बतौर सब इन्स्पेक्टर क्राइम ब्रांच चौकी सेक्टर 65 का इंचार्ज था।

खट्टर सरकार के हर मंत्री व डीजीपी हरियाणा तक वह मामला पहुंचा, लेकिन रविन्दर का कुछ बिगडऩा तो दूर बल्कि पदोन्नत करके क्राइम ब्रांच सेक्टर 30 उसको सौंप दी गई। उस वक्त मनिन्दर ने जो उच्च अधिकारियों से शिकायत की कार्रवाई रविन्दर के खिलाफ की थी उसी का बदला लेने के लिये रविन्दर ने यह सारी कार्रवाई की। डीसीपी क्राइम मुकेश मलहोत्रा की नींद तब खुली जब मनिन्दर इन्स्पेक्टर के शिकंजे में कसा जा चुका था। नींद खुलने  पर मलहोत्रा ने इन्सपेक्टर से केवल इतना कहा कि उसके साथ टॉर्चर न किया जाय। दूसरी ओर इन्स्पेक्टर डंडे के बल पर उससे पूछ रहा था कि डीसीपी क्राइम को क्या देते हो जो वह तेरी सिफारिश कर रहा है? इसके अलावा मंत्री दुष्यंत चौटाला व अन्य अधिकारियों को क्या-क्या देते हो आदि-आदि? है न, इन्स्पेक्टर की दीदादिलेरी!

यदि डीसीपी क्राईम मलहोत्रा में दम होता तो तुरन्त इन्सपैक्टर को हवालात में देते और बीस पेटी शराब जो उसने पिकअप में से निकाल ली थी उनकी बरामदगी करते, गाड़ी के मालिकान सुनील व सुमित थे वसूली की जांच करते। बिना उनकी परमिशन के गोवा तक टीम भेजने की हिमाकत कोई इन्सपैक्टर तभी कर सकता है, जब उसने अपने अफसर को काणा कर रखा हो। अपने उच्चाधिकारियों को काणा करने के बाद ही रविन्द्र जैसे डकैत अपनी दीदादिलेरी को प्रदर्शित कर पाते हैं।

मनिन्दर की गिरफ्तारी भी उपरोक्त एफआईआर नम्बर में ही दिखाई गई है। डीसीपी मलहोत्रा की मदाखलत के बावजूद भी मनिन्दर को जब कोई राहत महसूस न हुई तो उसे इस्पेक्टर से तीन लाख में सौदा करना पड़ा। मनिन्दर के बताये गये पते से इंस्पेक्टर ने राजेश हवलदार के मारफत तीन लाख रुपये वसूल पाकर उसे तुरन्त केस अदालत कर दिया जहां से उसे जमानत मिल गयी। इस अवसर पर इलाका मैजिस्ट्रेट ने हैरानी जाताते हुए पुलिस से पूछा कि वे आरोपी को गोवा से ऐसे ही कैसे उठा लाये? विदित है कि किसी को भी गिरफ्तार करके लाने ले जाने के कुछ कायदे-कानून बने हुये हैं जिनकी कोई पालना आजकल पुलिस नहीं कर रही है। इस सारे कांड में इन्स्पेक्टर रविंदर पर तो जो सवाल बनते हैं सो बनते ही हैं, लेकिन उससे बड़े सवाल उन तमाम सुपरवाईजरी अफसरों-एसीपी, डीसीपी व सीपी सहित डीजीपी हरियाणा पर भी बनते हैं। यदि रविन्दर सरीखे डकैतों को इन्स्पेक्टर नियुक्त करके डकैतियां मारने के लिये खुला छोड़ दिया जायेगा तो ऐसे लोग इस तरह की डकैतियां तो मारेंगे ही। कितनी हैरानी की बात है कि उपरोक्त सारा कांड होता रहा और शहर में बैठे किसी भी सुपरवाइजरी अफसर को आभास तक नहीं। ऐसे में यदि कोई इन अफसरों पर मिली भगत एवं लूट कमाई में हिस्सेदारी का आरोप लगाता है तो वह कहां गलत है?
रविन्दर का यह कोई पहला डकैती कांड नहीं है। प्रत्येक कांड में यह सजा होने के साथ-साथ नौकरी से बर्खास्त हो जाना चाहिये था।

परन्तु भ्रष्ट अफसरों व बिकाऊ राजनेताओं के संरक्षण में यह न केवल बचता रहा बल्कि फलता-फूलता भी रहा। करीब दो वर्ष पूर्व एसजीएम नगर वाले ठेका लूट कांड को लेकर ‘मज़दूर मोर्चा’ ने आरटीआई के द्वारा पुलिस विभाग से जानना चाहा था कि रविन्दर के खिलाफ विभाग क्या कार्रवाई कर रहा है? अपील लम्बित है, आज तक कोई जवाब नहीं मिला।

  Article "tagged" as:
  Categories:
view more articles

About Article Author

Mazdoor Morcha
Mazdoor Morcha

View More Articles