पुलिस की शह पर पले गुंडों ने सतीश पनवाड़ी को दुकान छीनने के लिये बार-बार मारा-पीटा

पुलिस की शह पर पले गुंडों ने सतीश पनवाड़ी को दुकान छीनने के लिये बार-बार मारा-पीटा
July 18 00:25 2022

फरीदाबाद (म.मो.) करीब 65 वर्षीय सतीश व उनके दिव्यांग बड़े भाई ने 50 साल पहले एनआईटी पांच नम्बर में चन्द्रकांता नामक महिला से एक दुकान किराये पर ली थी। उस वक्त के मार्केट मोल-भाव के अनुसार मकान मालकिन व किरायेदार दोनों खुश थे। लेकिन समय बीतने के साथ-साथ दुकान के मोल-भाव के मुकाबले किराया बहुत कम प्रतीत होने लगा।
इस बीच चन्द्रकांता का पुत्र मनीष साहनी उर्फ भाषी इलाके का दादा बनने लगा। उसने दोनों भाईयों को धमका-हडक़ाकर दुकान खाली कराने का प्रयास किया। उसने कई बार दोनों भाईयों को अपने गुर्गों से पिटवाया भी। इसी सदमें में विकलांग भाई की गत वर्ष मौत भी हो गई थी। इसके बावजूद भाषी ने अपना आतंकवादी रवैया नहीं छोड़ा।

13 फरवरी की रात को भाषी व उसके गुर्गे, पीयूष भाटिया मोनू पंडित, आर्यन व दो अन्य दुकान का ताला तोड़ कर सारा सामान एक टैम्पू में लादकर ले गये। दुकान पर अपना ताला लगा दिया। प्रात: जब सतीश दुकान पर पहुंचा तो भाषी व उसके गुर्गों ने उस पर हमला कर दिया। लुटा-पिटा सतीश थाना एनआईटी पहुंचा तो उसकी ओर से निहायत ही कमजोर धाराओं में मुकदमा तो दर्ज कर लिया गया लेकिन खाई-अघाई पुलिस ने इससे आगे कुछ न किया।

इससे असंतुष्ट सतीश उपायुक्त के दरबार में पहुंचा, जहां से एक ड्यूटी मैजिस्ट्रेट साथ जाकर एसएचओ को सतीश का कब्जा बाहर कराने का आदेश दिया गया। दिनांक 8 जून को ये कब्जा बहाल भी हो गया था। लेकिन पुलिस की शह पर पलने वाले भाषी के हौंसले बुलंद ही बने रहे। इसके चलते उसने 11 जून को सरे राह अपने उन्हीं चार गुर्गों को लेकर सतीश पर पुन: कातिलाना हमला कर दिया। पीडि़त सतीश के बयान पर थाना एनआईटी में भाषी व उसके चार गुर्र्गों के विरुद्ध आईपीसी की धारा 379 बी, 325, 326, 120बी व 34 के तहत एक मुकदमा दर्ज कर लिया गया।

इसके बाद भाषी ने पुलिस के साथ जोड़-तोड़ बैठा कर मुकदमे से निपटने के प्रयास तेज कर दिये। इस बाबत जानकारों का कहना है कि भाषी ने इलाके के एसीपी विष्णु से कोई सौदेबाज़ी करके अपने केस को थाना कोतवाली शिफ्ट करवा लिया। इसी थाने की एक चौकी में तैनात सबइन्स्पेक्टर सतीश से भाषी के सम्बन्ध अति मधुर बताये जाते हैं। एसएचओ कोतवाली ने यह केस सवारने की नीयत से सबइन्स्पेक्टर सतीश को सौंप दिया है। जानकार बताते हैं कि चार गुर्गों को तो पकड़ कर बिना कोई रिमांड लिये सीधे जेल भेज दिया गया है। भाषी खुला घूम रहा है। अब असली मुद्दा मुकदमे में लगी धारा 379 बी में से बी हटाने की बात चल रही है। इसकी कीमत लाखों में बताई जा रही है।

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Mazdoor Morcha
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