पुलिस की रिश्वतखोरी पर डीजीपी शत्रुजीत का अंकुश

पुलिस की रिश्वतखोरी पर डीजीपी शत्रुजीत का अंकुश
October 03 15:37 2023

फरीदाबाद (मज़दूर मोर्चा)। हर महकमे की तरह पुलिस में भी रिश्वतखोरी का बाजार गर्म है। पुलिस महकमे में यह भ्रष्टाचार आम सा हो चुका है, विजिलेंस टीमें गाहे बगाहे रिश्वतखोर पुलिस वालों को पकड़ती भी रहती हैं। शत्रुजीत कपूर के डीजीपी बनने के समय हमने मज़दूर मोर्चा के अंक में लिखा था कि जब विजिलेंस वाले किसी रिश्वतखोर थानेदार या हवलदार को पकड़ सकते हैं तो उस थाने का एसएचओ या उस हलके का एसीपी, डीसीपी क्यों नहीं पकड़ सकता। क्या ये काम विजिलेंस वालों का ही है? एसएचओ को नहीं पता कि उसका मातहत हवलदार क्या कर रहा है? एसीपी-डीसीपी को नहीं मालूम कि उनके मुलाजिम क्या कर रहे हैं, क्या उन तक शिकायतें नहीं पहुंचतीं?

शत्रुजीत कपूर जो विजिलेंस प्रमुख से अब राज्य पुलिस प्रमुख बन गए हैं उनसे सवाल है कि क्या अब भी इन रिश्वतखोरों को विजिलेंस वाले ही पकड़ेंगे या जिला पुलिस अपनी काली भेड़ों को पकड़ेगी। हाल ही में शत्रुजीत कपूर ने एक पत्र के जरिए फरमान जारी किया है जिसके मुताबिक अगर कोई कर्मचारी पकड़ा जाता है तो उसके लिए सुपरवाइजरी ऑफिसर भी जिम्मेदार होगा। हर थाने में सुपरवाइजरी अफसर (पर्यवेक्षण अधिकारी) एसएचओ होता है वह अपने मातहतों का सुपरवाइजरी अफसर होता है। इसी तरह एसीपी थानों का सुपरवाइजर है, उनके ऊपर डीसीपी और पुलिस आयुक्त, ये सभी अपने मातहत अधिकारी, कर्मचारी के सुपरवाइजरी अफसर हैं। आसान शब्दों में अगर चौकी का कोई कर्मचारी रिश्वत लेते या भ्रष्टाचार करते पकड़ा जाता है तो चौकी इंचार्ज, एसएचओ, एसीपी और डीसीपी भी जिम्मेदार होंगे। अब तक ये सारे बच जाते थे। यानी इससे पहले जितने भी रिश्वतखोर विजिलेंस ने पकड़े हैं उसके चौकी इंचार्ज, एसएचओ या बड़े अधिकारी को नोटिस जारी नहीं हुआ। लेकिन यह फरमान जारी होने के बाद जब पचास हजार रुपये की रिश्वत लेते आईएमटी चौकी के एएसआई को पकड़ा गया तो आईएमटी चौकी इंचार्ज, एसएचओ थाना सदर बल्लभगढ़ और एसीपी को भी नोटिस जारी किया गया।

यह समझने वाली बात है कि एक एएसआई की इतनी औकात नहीं है कि बिना ऊपर वालों की जानकारी के वह अकेले दस हजार, पचास हजार रुपये ले ले। उसकी इतनी हिम्मत नहीं है कि वह किसी को थाने में जबरदस्ती बैठ कर टॉर्चर करता रहे, मारता रहे और उस पर प्रेशर बनाता रहे। अगर सब लूटमार एएसआई या हवलदार को ही करनी है तो उसके ऊपर बैठा अफसर क्या कर रहा है।

एसएचओ, एसीपी सो रहे हैं या उन्होंने ने अफीम खा रखी है क्या, जो उन्हें अपने मातहतों के काम नजर नहीं आते। हर एसीपी पर गिने चुने दो से तीन थानों का चार्ज है और उस पर भी वह नजर नहीं रख सकें तो उनका फायदा क्या है।

बात कड़वी है लेकिन सच्चाई यही है कि वो जो रिश्वत ले रहा है वो अपने बूते नहीं ले रहा, ऊपर तक हिस्सा जाता है। अकेले उसकी हिम्मत और औकात नहीं है कि वह अकेला पचास हजार रुपये हजम कर जाए। चौकी इंचार्ज, एसएचओ और एसीपी सबको पता होता है कि थाने या चौकी में कौन-कौन सी दरख्वास्त आई हुई हैं, क्या-क्या जुर्म हुए हैं और कौन-कौन बैठा रखे हैं, सब कुछ उनकी जानकारी में होता है। हां, शाम को बहीखाता जरूर मिला लेते हैं कि कितना माल आया और कितना गया।

महकमे में भ्रष्टाचार समाप्त करने के लिए इस तरह का फरमान जारी करने पर डीजीपी शत्रुतजीत कपूर बधाई के पात्र हैं। इस फरमान की पालना करते हुए सीपी राकेश कुमार आर्य ने बाकायदा चौकी इंचार्ज, एसएचओ और संबंधित एसीपी को नोटिस जारी कर उनसे स्पष्टीकरण तलब किया है। अगर इस व्यवस्था को ठीक से लागू किया जाता है तो थाने वाले भी सतर्क हो जाएंगे, क्योंकि उनकी भी जिम्मेदारी और जवाबदेही तय होगी।

अगर सुपरवाइजरी अफसर भी नजर रखने लगेंगे और पकडऩे लगेंगे तो पूर्णतया तो नहीं लेकिन काफी हद तक रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा, अभी तक जो खुला खेल चल रहा था वह इसी रूप में तो नहीं चल पाएगा और भ्रष्टाचार को पकडऩे का सारा जिम्मा केवल विजिलेंस पर नहीं रह जाएगा। डीजीपी के इस रुख से जनता को थोड़ी बहुत राहत मिलने की संभावना हो सकती है।

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Mazdoor Morcha
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