फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) केंद्र और राज्य में समर्थक सरकारों के होते हुए बजरंगी गुंडों पर लगातार कसते कानूनी पंजे से घबराए रोहतक विभाग के संयोजक नीरज वत्स ने टीम के साथ बजरंग दल से सामूहिक इस्तीफा देकर सही किया। पहले बिट्टू बजरंगी की गिरफ्तारी, फिर सेक्टर 37 श्मशान घाट पर बजरंगी गुडों की पुलिस द्वारा पिटाई और फिर संरक्षण के बावजूद मोनू मानेसर की गिरफ्तारी से नीरज वत्स ही नहीं गुंडागर्दी करने वाले अधिकतर बजरंगियों के सामने सरकारों की पोल खुल चुकी है।
जो बजरंगी गुंडे बीते नौ वर्षों से नारा देते आ रहे थे कि सरकार हमारी है और धर्म की रक्षा के नाम पर पुलिस के संरक्षण में लूटने खाने में लगे थे, अब थोड़ा सा संरक्षण हटते ही निराशा और डर में डूबे हुए हैं। इन बजरंगियों को यह भी अहसास हो गया है कि सत्ता का जहाज डूब रहा है ऐसे में चूहों की तरह सही समय पर इस्तीफा देकर बाहर हो लिए वरना नवंबर-दिसंबर तक तो पुलिस ही नहीं आम जनता भी इन्हें दौड़ा कर पीटेगी। हालांकि उनके इस्तीफा देने से देश पर कोई असर नहीं पड़ेगा, हां जनता को साम्प्रदायिक, कट्टरपंथियों से छुटकारा मिल जाएगा।
हालांकि बजरंगियों ने इस्तीफा देेने का कारण सरकार की बेरुख्री भले ही बताया हो लेकिन उन्हें अब अपने पुराने काले कारनामे याद आ रहे हैं जो उन्हें सलाखों के पीछे पहुंचा सकते हैं। ऐसे में समय रहते वह इस संगठन से खुद को मुक्त कर अपनी छवि सुधारने की कवायद में जुटे हैं ताकि अगली सरकार कहीं उन्हें कानून का पाठ न पढ़ा दे।
अभी तो बजरंगी गुंडों को समर्थन देने वाली पुलिस मजबूरी में ही उनके खिलाफ कार्रवाई कर रही है। दरअसल बीते सप्ताह सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर पूछा कि उसने गोली मारो… जैसे समाज विरोधी नारे देने वाले केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज क्यों नहीं की। सुप्रीम कोर्ट की इस कार्रवाई से सकते में आए डीजीपी शत्रुजीत कपूर को लगा कि यही सवाल कहीं उनसे न पूछ लिया जाए, इसलिए आनन फानन बजरंगी गुंडों पर कार्रवाई होने लगी।