फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा)। जनता की गाढ़ी कमाई संघ-भाजपा समर्थकों द्वारा कैसे लूटी जाए, ये खट्टर सरकार बाखूबी जानती है। भाजपा-संघ से जुड़ी याशी कंसल्टेंसी को प्रॉपर्टी आईडी के नाम पर खट्टर सरकार ने 57 करोड़ रुपये का ठेका दे दिया। अनुभवहीन कंपनी प्रॉपर्टी आईडी बनाने के नाम पर उल्टे सीधे आंकड़े पेश कर करीब एक साल पहले भुगतान वसूल कर चलती बनी।
संघ-भाजपा का चहेता होने के कारण खट्टर सरकार ने भी याशी कंसल्टेंसी का न तो भुगतान रोकने का फरमान सुनाया और न ही उसे ब्लैक लिस्ट करने की जहमत उठाई। सीएम खट्टर ने कंपनी को सभी जिलों में प्रॉपर्टी आईडी दुरुस्त करने के भी निर्देश नहीं दिए उल्टे पूरा भुगतान करवा दिया गया।
प्रॉपर्टी आईडी के नाम पर करोड़ों लुटाने के बाद अब सरकार इन्हें दुरुस्त कराने के नाम पर भी करोड़ों रुपये लुटाने जा रही है। बताया जा रहा है कि इसके लिए सरकार ने सिंप्लेक्स सोल्यूशंस नाम की कंपनी को ठेका दिया जाना तय किया है। कंपनी को प्रॉपर्टी आईडी में सुधार करने का ठेका दिए जाने से नगर निगम कर्मचारियों में चर्चाओं का दौर चल पड़ा है। कर्मचारियों के अनुसार याशी कंसल्टेंसी से पहले प्रॉपर्टी आईडी बनाने का काम इसी कंपनी को दिया गया था। तब भी घर घर जाकर प्रॉपर्टी आईडी के भौतिक आंकड़े इक_ा करने थे लेकिन तब कंपनी के कर्मचारियों ने घर बैठे-बैठे कागजों पर ही सर्वे कर डाला था। कंपनी की सर्वे रिपोर्ट के आधार पर आम जनता और नगर निगम के अधिकारियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। कंपनी की गड़बडिय़ां पकड़े जाने पर सभी जेडटीओ ने रिपोर्ट तैयार कर निगमायुक्त को सौंपी थी। बताया जाता है कि निगमायुक्त ने इस कंपनी को ब्लैकलिस्ट करने की सिफारिश सरकार से की थी। कंपनी को ब्लैक लिस्ट करने के बजाय अस्थायी रूप से डीलिस्ट कर दिया गया था। बताया जा रहा है कि अब इसी कंपनी को दोबारा से प्रॉपर्टी आईडी दुरुस्त करने का काम सौंपा जा रहा है।
निगम अधिकारियों के अनुसार यह कंपनी घर-घर पहुंच कर प्रापर्टी आईडी में क्या क्या कमियां हैं, पता करने के लिए प्रॉपर्टी असेसमेंट नोटिस जारी करेगी। प्रॉपर्टी मालिक द्वारा लगाई गई आपत्ति के संबंध में जरूरी दस्तावेज भी तलब करेगी। सारे दस्तावेज पूरे होने के बाद कंपनी नई प्रॉपर्टी आईडी जारी करेगी। सर्वविदित है कि इस कंपनी ने पहली बार भी घर-घर न जाकर कागजों पर ही सारी प्रॉपर्टियों के फर्जी आंकड़े बना डाले थे। निगम कमिर्यों में चर्चा है कि प्रॉपर्टी आईडी के नाम पर दोबारा घोटाले की नींव न रखी जा रही हो। कहीं ऐसा न हो कि कंपनी भी याशी कंसल्टेंसी की तरह भुगतान लेकर भाग जाए और आम जनता व नगर निगम अधिकारी फिर परेशान होते फिरें।