प्रमाणपत्र जारी करना एक बड़ा धंधा हो गया है

प्रमाणपत्र जारी करना एक बड़ा धंधा हो गया है
March 17 17:02 2024

बीके अस्पताल मरीजों को सेवा दे नहीं सकता, अफसरशाही में कमी नहीं  पीजीटी, गु्रप डी के अभ्यर्थियों को एक दिन में मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाने के 1500 रुपये का रेट

फरीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर भ्रष्टाचार के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस का बेसुरा राग अलापते अलापते चले गए, लेेकिन हर विभाग में बिना मोटा चढ़ावा चढ़ाए कोई काम नहीं होता। बीके अस्पताल इलाज करने के लिए न होकर केवल लूट खसोट का अड्डा बन कर रह गया है। किसी को नौकरी के लिए सरकार चयनित करती है तो मेडिकल के नाम पर वसूली करने से यहां के अधिकारी नहीं चूकते। चयनित अभ्यर्थियों के साथ इनका व्यवहार ऐसा होता है जैसे ये अपने घर से नौकरी प्रदान करने जा रहे हों। लगभग सभी अभ्यर्थी मेडिकली फिट होते हैं, किसी को फेल नहीं किया जाता। केवल औपचारिकता के लिए सरकार ने मेडिकल सर्टिफिकेट की व्यवस्था की है लेकिन इसकी आड़ में बीके अस्पताल में लूट कमाई की जा रही है।

बीके अस्पताल में पीजीटी, गु्रप डी के अभ्यर्थियों का मेडिकल सर्टिफिकेट एक दिन में बनवाने के लिए दलाल पंकज, क्लर्क गोपाल और फार्मासिस्ट सक्रिय हैं। इसके लिए पंकज मेडिकल शुल्क आदि के अलावा 1500 रुपये अतिरिक्त वसूलता है। चढ़ावे की राशि मिलते ही अभ्यर्थी के सारे काम यहां तक के डिप्टी सीएमओ और सीएमओ भी उसी दिन हस्ताक्षर कर सर्टिफिकेट जारी कर देते हैं, सामान्य अभ्यर्थी को इसके लिए कम से कम तीन दिन चक्कर लगाने पड़ते हैं।

करीब एक दशक से सत्ता का सुख भोग चुके घोषणावीर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने विभिन्न सरकारी विभागों में खाली पड़े हज़ारों पद तो भरे नहीं लेकिन चुनाव आते ही युवाओं को रोजग़ार का चुग्गा देकर सरकार अपनी सड़ी गली छवि चमकाना चाहती है। चुनाव से पहले पीजीटी, गु्रप डी और पुलिस के खाली पड़े पदों में से चंद को भरने की कवायद की जा रही है। चयनित हुए इन अभ्यर्थियों की तैनाती के नाम पर भ्रष्टाचार हो रहा है। चयनित पोस्ट ग्रेजुएट टीचर (पीजीटी) और गु्रप डी की तैनाती से पहले विभागों द्वारा केवल बीके अस्पताल से जारी मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट मांगा जा रहा है। मेडिकल सर्टिफिकेट बनवा कर जल्द तैनाती पाने के लिए अभ्यर्थियों में होड़ लगी हुई है। ऐसे में एक दिन में मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाने के लिए बीके अस्पताल का स्टाफ लूट कमाई में लग गया है। संवाददाता को जानकारी हुई कि पीजीटी के लिए 1500 रुपये और गु्रप डी के लिए 1000 रुपये अतिरिक्त देने पर उसी दिन सर्टिफिकेट हाथ में आ जाता है, अन्यथा कई दिन चक्कर काटने पड़ते हैं। एक दिन में प्रमाण पत्र बनवाने वाली एक महिला अभ्यर्थी ने संवाददाता को बीके के दलाल पंकज का नंबर 7303046086 दिया। संवाददाता ने पीजीटी अभ्यर्थी बन कर बात की तो दलाल ने बताया कि पीजीटी के लिए 500-500 रुपये की दो रसीदें कटेंगी इनके अलावा 1500 रुपये वो लेगा और उसी दिन एक बजे प्रमाणपत्र मिल जाएगा।

गु्रप डी के बारे में बताया कि उसमें 600 रुपये शुल्क पर्ची के कटेंगे और एक हज़ार रुपये उसका सुविधा शुल्क होगा। संवाददाता ने कुछ कम करने को कहा तो पंकज का कहना था फार्म लेने से ईसीजी, ब्लड टेस्ट सीएमओ के हस्ताक्षर होने तक सब जगह हिस्सापत्ती तय है, इसलिए कम नहीं हो सकता, कम कराओगे जो जिसका हिस्सा नहीं पहुंचेगा वही काम लटका देगा। खेल इस तरह चलता है कि पंकज पैसे लेने के बाद फार्म बांटने और रिकॉर्ड रखने वाले गोपाल के पास अभ्यर्थी को ले जाकर खुद फार्म दिलवाता है। यहां से अभ्यर्थी को फार्म के साथ खून की जांच कराने ले जाता है, गोपाल के साथ होने के कारण तुरंत ही ब्लड सैंपल लेकर मशीन में डाल दिया जाता है।

ईसीजी और एक्सरे के लिए भी गोपाल के चेहरे का पासवर्ड अभ्यर्थी को लाइन में सबसे पहले पहुंचा देता है। वैसे तो एचआईवी और खून की जांच की रिपोर्ट तीन घंटे में आती है लेकिन एक बजे तक पूरी रिपोर्ट फाइनल कराने के लिए पंकज के अभ्यर्थी के लिए घंटा-आधा घंटा पहले भी पकड़ा दी जाती है। इसके बाद गोपाल और उसके साथी सारी जांच और फार्म के अन्य दस्तावेज आनन फानन रजिस्टर में चढ़ा कर पीजीटी अभ्यर्थी के केस में सीएमओ और गु्रप डी के केस में डिप्टी सीएमओ के कार्यालय ले जाकर हाथों हाथ हस्ताक्षर कराकर ले आते हैं। वैसे तो ये सीएमओ-पीएमओ आठ दस अभ्यर्थी और उनके फार्म जमा होने पर ही हस्ताक्षर करते हैं लेकिन गोपाल के इशारे पर एक दो फार्म पर ही तुरंत हस्ताक्षर कर देते हैं। समझा जा सकता है कि दलाल पंकज की हिस्सा पत्ती कहां तक पहुंचती है। यदि ऐसा नहीं होता तो सीएमओ डॉ. विनय गुप्ता अस्पताल में चल रहे दलाली के धंधे पर सख्त कार्रवाई करते, लेकिन ऊपरी कमाई किसे बुरी लगती है?

यह जल्दबाजी इसलिए की जाती है कि अभ्यर्थी प्रमाणपत्र लेकर दो बजे से पहले अपने कार्यालय पहुंच कर आज की ही तारीख में ज्वाइनिंग करा ले। सुविधा शुल्क नहीं चुकाने वाले अभ्यर्थी को तो तीन से चार दिन अस्पताल के चक्कर काटने पड़ते हैं। इन लोगों से गोपाल से लेकर सीएमओ-डिप्टी सीएमओ तक ठीक से बात नहीं करते। दलाल इन लोगों को सलाह देते हुए नजर आ जाएंगे कि केवल हजार- पंद्रह सौ रुपये की बात है, आज ही ज्वाइनिंग मिलने पर आज से ही वेतन चालू हो जाएगा, वैसे तीन चार दिन भटकना भी पड़ेगा और इतने दिन के वेतन का दस- बारह हज़ार रुपये का नुकसान भी होगा।

बीके अस्पताल में अभ्यर्थियों से मेडिकल प्रमाणपत्र बनवाने के नाम पर खुली लूट चल रही है, प्रदेश के बड़बोले पद मुक्त स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज भ्रष्टाचार मुक्त स्वास्थ्य सेवाएं देने के दावे कर के भले ही जनता की आंख में धूल झोंकते रहे लेकिन अस्पतालों में भर्ती से लेकर जांच और रेफरल तक में एंबुलेंस चालकों की लूट कमाई का खेल खुलेआम चल रहा है। ऐसे में अभ्यर्थियों के मेडिकल सर्टिफिकेट आदि में अतिरिक्त कमाई भी की जा रही है।

दरअसल, बीके अस्पताल के डॉक्टर इलाज करने के लिए नहीं थानेदारी करने के लिए तैनात हैं।

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Mazdoor Morcha
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