प्रदूषण बन चुका है लूट कमाई का धंधा, इसे कोई बंद करने वाला नहीं

प्रदूषण बन चुका है लूट कमाई का धंधा, इसे कोई बंद करने वाला नहीं
December 20 02:09 2022

मज़दूर मोर्चा ब्यूरो
मुनाफाखोरी पर अधारित इस व्यवस्था में मानवीय मूल्यों की कोई जगह नहीं है, जो कुछ है बस केवल मुनाफा है। कोई मरता है तो मरे बस मुनाफा होना चाहिये। मुनाफे की इसी हवस को पूरा करने के लिये, प्रकृति द्वारा दिये गये शुद्ध वातावरण को इस कदर प्रदूषित कर दिया गया कि न तो सांस लेने के लिये हवा ही बची है और न ही पीने के लिये शुद्ध पानी।

शासक वर्गों एवं पूंजीपतियों द्वारा प्रदूषित वातावरण ने भी इन्हें लूट कमाई के एक से बढक़र एक अवसर प्रदान कर दिये। देश भर में करोड़ों अरबों की लागत से प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कायम किये गये। इनमें हजारों छोटे-बड़े अफसरों की नियुक्तियां हुई, इसके बावजूद भी प्रदूषण दिन दूणा-रात चौगुणा बढ़ता चला गया। इसके बाद एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) के नाम से एक बड़ी दुकान खोल दी गई। इन सबके ऊपर पर्यावरण मंत्रालय भी कायम कर दिया गया, लेकिन प्रदूषण है कि काबू आने का नाम नहीं ले रहा।

हरियाणा में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का जन्म भजनलाल के मुख्य मंत्रित्व काल में हुआ था। नारायणगढ़ से चयनित विधायक एवं सेवा निवृत एसई को इसका चेयरमैन बनाया गया था। इस पद पर रहते हुए पांच साल में जगपाल सिंह ने इतनी लूट कमाई कर ली जितनी कि उसने पीडब्लूडी की सारी नौकरी में भी नहीं की थी। अगली बार जब भजनलाल ने जगपाल को मंत्री बनाना चाहा तो उन्होंने कहा कि मैं तो चेयरमैन ही ठीक हूं।

प्रदूषण के नाम पर हर जि़ले में पीडब्लूडी के एसडीओ व एक्सियन नियंत्रण अधिकारी नियुक्त किये गये। पूरे ताम-झाम के साथ इनके कार्यालय स्थापित किये गये। इनका काम था वायु तथा जल प्रदूषित करने वाले उद्योगों को कंसेंट देने के बदले सरकारी तथा ‘अपनी फीस’ वसूलना। इसकी आड़ में इन अधिकारियों ने जो हलवाइयों को, ढाबे वालों को तथा छोटी-मोटी वर्कशॉप वालों को लूटा उसका तो कोई हिसाब ही नहीं। बख्शा छोटे-मोटे क्लीनिक चलाने वाले डॉक्टरों को भी नहीं।

सडक़ पर चलने वाले वाहनों को लूटने के लिये ‘धुमा पर्ची’ यानी वाहनों के धुआं उत्सर्जन की जांच के नाम पर वसूली केन्द्र खोल दिये गये। इन केन्द्रों द्वारा वसूली कर पर्ची दिये जाने के बाद धुआं छोडऩे की पूरी छूट मिल जाती है। कई वर्षों बाद पता चला कि ट्रक तो मद्रास में है या पटना में है और धुआं पर्ची दिल्ली में कट रही है।

पर्ची काटने वाले इन वसूली केन्द्रों का अधिकार भी कोई मुफ्त में नहीं मिलता, इसके लिये भी सम्बन्धित अधिकारियों की अच्छी-खासी भेंट पूजा होती है। दिल्ली शहर में भारी वाहनों के प्रवेश को प्रतिबंधित करके ट्रैफिक पुलिस की कमाई में अच्छी-खासी वृद्धि कर दी गई। इसके साथ-साथ दिल्ली के भीतर माल पहुंचाने वाले वाहनों पर ग्रीन टैक्स लगा कर भारी-भरकम वसूली की जा रही है।

गंगा-यमुना जैसी देश की बड़ी नदियां जिनका पानी अमृत समान होता था, अब पूर्णत: जहरीला कर दिया गया है। कोई भी सरकार आज तक नदियों को जहरीला करने वाले करखानों व सीवरेज का समाधान नहीं कर पाई है। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी से लेकर अब तक गंगा नदी को स्वच्छ करने के नाम पर लाखों-करोड़ रुपये डकारे जा चुके हैं। यमुना की भी लगभग यही हालत है। इनके जहरीले पानी से फसलों व पशु धन को होने वाले नुकसान का आंकलन करना आसान नहीं है।

इस देश की यही तारीफ है कि किसी भी समस्या को समाप्त करने की अपेक्षा उसे ही व्यापार बना लिया जाता है। बिजली का संकट आया तो घर-घर में इन्वर्टर व जनरेटर लगने लगे। पेय जल दूषित होन लगा तो बिसलेरी तथा आरो कंपनियों का व्यापार चल निकला। पानी के बारे में तो एक तथ्य यह भी सामने आता है कि बिसलेरी कंपनी ने अपना व्यापार बढ़ाने की नीयत से जल प्रदूषण को बढावा देने के हर उपाय का सहारा लिया। इसी तरह प्रदूषण बढने लगा तो इसके नियंत्रण के नाम पर शासक वर्गों ने पूरी दुकानदारी शुरू कर के देश की जनता को लूटना शुरू कर दिया।

विचारणीय है कि प्रदूषण के नाम पर चल रही नियंत्रण बोर्डों व एनजीटी नामक दुकानों पर यदि ताला लगा दिया जाय तो देश का अरबों रुपया तो बच ही जायेगा। रही बात इनके काम-काज की तो ऐसा कोई भी काम नहीं है जो इनके बगैर न हो सकता हो। इनके द्वारा किये जाने वाले चालान एवं जुर्माने तो इलाके के थानेदार, तहसीलदार तथा न्यायिक मैजिस्ट्रेट भी बखूबी कर सकते हैं, बल्कि इनसे बेहतर कर सकते हैं।

  Article "tagged" as:
  Categories:
view more articles

About Article Author

Mazdoor Morcha
Mazdoor Morcha

View More Articles