फरीदाबाद (म.मो.) खेल मंत्री संदीप सिंह के खिलाफ महिला खिलाड़ी एवं जूनियर कोच की शिकायत पर जहां चंडीगढ़ पुलिस ने गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज करके शिकायतकर्ता को मैजिस्ट्रेट के सामने पेश करके धारा 164 के बयान भी दर्ज करा दिये हैं। वहीं दूसरी ओर खट्टर जी पूरी बेशर्मी के साथ पीडि़ता के बयान एवं आरोपों को अनगरल बता रहे हैं। उनका यह भी कहना है कि आरोप लगाने से कोई दोषी थोड़े ही बन जाता है। अपने आरोपित मंत्री को बचाने तथा पीडि़ता को झूठा साबित करने के लिये खट्टर ने गैरकानूनी तौर पर अलग से एसआईटी गठित कर दी है। इसकी मुखिया रोहतक रेंज की एडीजीपी ममता सिंह को बनाया है।
कानून की थोड़ी-बहुत समझ रखने वाले बखूबी जानते हैं कि खट्टर द्वारा बनाई गई इस स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम के पास जांच करने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि मामला हरियाणा पुलिस के क्षेत्राधिकार के बाहर चंडीगढ पुलिस के क्षेत्राधिकार में है। इसलिये इसकी तफ्तीश करने का अधिकार केवल उसी पुलिस को है। यद्यपि चंडीगढ पुलिस तफ्तीश करती हुई नजर तो आ रही है लेकिन उसकी कार्यशैली ऐसी है जैसे कि पीडि़ता ही मुल्जिम हो। शिकायतकर्ता को ही आठ-आठ घंटे तक थाने में बैठाया जाता है, उन्हीं का मोबाइल फोन जब्त किया जाता है और फिर कोर्ट में भी उन्हें ऐसा आभास कराया जाता है जैसे कि वहीं, मुल्जिम हों। दूसरी ओर दोषी मंत्री को न तो अभी तक थाने बुलाया गया ओर न ही उसका मोबाइल जब्त किया गया जबकि कानूनन मंत्री को अब तक हवालात में बंद करके मैजिस्ट्रेट के सामने बतौर मुल्जिम पेश कर दिया जाना चाहिये था।
बेशक खट्टर ने अपने खिलाड़ी मंत्री को बचाने के लिये अवैध रूप से एसआईटी गठित कर दी है लेकिन शिकायतकर्ता ने तमाम दबावों के बावजूद उस एसआईटी के सामने पेश होने से इनकार कर दिया है। दूसरी ओर शिकायतकर्ता चंडीगढ पुलिस के साथ पूरा सहयोग करती हुई उनके साथ मंत्री की कोठी पर मौका मुआयना तथा सीन रीक्रीयेट कराने अपने वकील के साथ पहुंची।