थाने में एफआईआर दर्ज कराने के लिये सीपी तक गुहार लगानी पड़ती है

थाने में एफआईआर दर्ज कराने के लिये सीपी तक गुहार लगानी पड़ती है
October 16 05:04 2021

फरीदाबाद (म.मो.) दिनांक 28 अगस्त को डीएलएफ सेक्टर 11 ई ब्लॉक के ताला लगे मकान नम्बर 47 ए में चोर दीवार फांदकर घुस गये। नवनिर्मित इस मकान में लगी तमाम पानी की टूटियां व अन्य फिटिंग इत्यादि उखाड़ कर ले गये। मकान मालिक शिव कुमार जोशी एडवोकेट इसकी लिखित शिकायत लेकर तुरंत स्थानीय पुलिस चौकी पहुंचे। पुलिस ने केस दर्ज करने की बजाय उनको इधर-उधर की बातों में उलझाते हुए कहा कि वकील साहब क्या छोटी-मोटी चोरी की रिपोर्ट दर्ज कराओगे? हम वैसे ही कोशिश करके चोरों को पकड़ लेंगे। वकील साहब ने स्पष्ट कहा कि उन्हें मालुम है जैसे चोर तुम पकड़ते हो, इसलिये कृपया चोरी की एफआईआर दर्ज कर लें। लेकिन उनके कान पर जूं तक नहीं रेंगी।

पुलिस की इस हरामखोरी की खबर प्रकाशित करवाने के लिये वकील साहब ने 16 सितम्बर को मज़दूर मोर्चा से सम्पर्क किया तो इस संवाददाता ने तुरंत चौकी इंचार्ज प्रदीप मोर को फोन करके सच्चाई जाननी चाही।

सब इन्स्पेक्टर प्रदीप मोर ने बताया कि वकील साहब आये थे लेकिन वे एफआईआर दर्ज नहीं कराना चाहते हैंं, केवल भविष्य में इस तरह की वारदातों पर नियंत्रण चाहते थे। पुलिस के इस झूठ को तुरत भांपते हुए इस संवाददाता ने कहा कि वकील साहब की एफआईआर तुरंत दर्ज की जाए, बाकि वारदातों पर आप जैसा नियंत्रण करेंगे उसे सब जानते हैं। लेकिन इस बात का कोई असर चौकी इंचार्ज पर नहीं हुआ। अंतत: वकील साहब ने पहले थाना सेक्टर सात में व बाद में सीपी साहब को 3 सितम्बर को वाट्सऐप्प किया, फिर 19 सितम्बर को ईमेल किया कोई असर नहीं हुआ तो दो अक्टूबर को पुन: वाटसऐप्प किया। तब कहीं जाकर इस महकमे में हलचल हुई और 20 तारीख को एसएचओ थाना सेक्टर 7 ने वकील साहब को सूचित किया कि उनकी एफआईआर दर्ज कर ली गई है।

एफआईआर दर्ज करके कितना बड़ा एहसान किया है पुलिस ने, वकील साहब कैसे उतारेंगे इसको?

गौरतलब है कि यह मामला तो एक पढे-लिखे वकील का है, आम आदमी के साथ यह पुलिस क्या नहीं करती होगी? वकील साहब ने इस संवाददाता को बताया कि इस तरह की वारदात यहां कोई अकेली नहीं है, आये दिन ऐसी वारदातें होती रहती हैं। वकील साहब ने जब पड़ोसियों से पुलिस रिपोर्ट करने की बात कही तो सभी लोगों का यह कहना था कि उन्होंने पुलिस चौकी में जाकर खूब अच्छी तरह देख रखा है। वहां जाकर जलील होने से तो अच्छा है कि अपना नुक्सान चुपचाप भुगत लिया जाये।

वकील साहब का यह मामला सामने आने के बावजूद भी उच्चाधिकारियों ने चौकी इंचार्ज के विरुद्ध खबर लिखे जाने तक कोई कार्यवाही नहीं की थी। विदित है कि पुलिस में ‘बरकिंग’ यानी रिपोर्ट दर्ज न करना एक बड़ा गुनाह माना जाता है, जिसके लिये सम्बन्धित अधिकारी को बर्खास्त तक किया जा सकता है। लेकिन यहां तो किसी ने उस अधिकारी का तबादला तक करने की जरूरत महसूस नहीं की।

आम चर्चा यह है कि चौकी व थाना इंचार्ज राजनीतिक एवं अन्य दबावों में तैनात किये जाते हैं। इसलिये वे बेखौफ होकर जनता को लूटने के अलावा दूसरा कोई काम नहीं करते।

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Mazdoor Morcha
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