बल्लबगढ़ (म.मो.) समयपुर रोड पर स्लम जैसे क्षेत्र में स्थित फोगाट स्कूल, जिसे आम आदमी, खासकर दूसरे शहर से आने वाले लोगों के लिये ढूंढ पाना आसान नहीं, को हरियाणा पब्लिक सर्विस सिलेक्शन कमीशन द्वारा परीक्षा केन्द्र बनाया जाना एक रहस्य जैसा लगता है। दिनांक 12 सितम्बर को हुई परीक्षा के दौरान कुछ अधिकारियों ने यह सवाल उठाया भी कि ऐसी लोकेशन पर यह सेंटर कैसे बना दिया गया? पूछ-पड़ताल करने पर उन्हें बताया गया कि यह सेंटर तो बीते दिसम्बर जनवरी में ही बना दिया गया था। स्कूलों को सेंटर बनाने का निर्णय जि़ला शिक्षा अधिकारी द्वारा लिया जाता है।
जानकार बताते हैं कि इस स्कूल को सेंटर बनाने के लिये राज्य के शिक्षा मंत्री कंवरपाल व तत्कालीन उपायुक्त यशपाल ने तत्कालीन जि़ला शिक्षा अधिकारी सुखविंदर कौर वर्मा को सिफारिश की थी। किसी भी स्कूल को सेंटर बनाने तक तो कोई बात नहीं क्योंकि किसी भी स्कूल को सेंटर बनाने या बनाने सम्बन्धी कोई दिशा निर्देश नहीं है, लेकिन बात तब समझ में आने लगती है जब अनीता यादव आईएएस की बेटी का सेंटर इसी फोगाट सेंटर में आता है। विदित है कि अनिता यादव बीते कई वर्षों से इसी जि़ले में विभिन्न पदों पर तैनात रही हैं और आज भी यहीं तैनात हैं। और तो और परीक्षा केन्द्रों की निगरानी का जो क्षेत्र इन्हें सौंपा गया था, उसमें फोगाट स्कूल भी आता था। लेकिन किसी समझदार व्यक्ति की सलाह पर, परीक्षा से चार दिन पूर्व इनका नाम फोगाट सेंटर से हटा दिया गया। लिहाजा जो ‘काम’ उस क्षेत्र में ड्यूटी लगवा कर करना था वह अब थोड़ा दूर से किया जा सकता है।
चश्मदीद बताते हैं कि उपायुक्त जितेन्द्र यादव फोगाट सेंटर पर गये। वहां कुछ देर स्कूल मालिक के दफ्तर में बैठे जलपान ग्रहण किया। बेशक उन्होंने इसके अलावा कुछ भी नहीं किया, लेकिन स्थिति तो संदेहास्पदबन ही गयी। संदेह तो होना स्वाभाविक है कि डीसी साहब अनिता की बेटी के लिये कुछ जुगाड़ लगाने गये होंगे।
अनिता यादव की बेटी के अलावा दो बच्चे डीएसपी होडल दिनेश यादव के भी इसी सेंटर में परीक्षा दे रहे थे। दिनेश यादव बतौर इन्स्पेक्टर और डीएसपी काफी समय इस जि़ले में तैनात रह चुके हैं और आज भी इसी क्षेत्र में हैं। परीक्षा में नकल एवं हेरा-फेरी रोकने के नाम पर सरकार जो अभ्यार्थियों को दूर-दराज के जि़लों में सेंटर एलॉट करती है वह मात्र ढोंग एवं दिखावा है। जिन्हें हेरा-फेरी करानी होती है वे सेंटर भी अपनी मन-मर्जी का बनवाते हैं और उसमें निगरानी स्टाफ भी अपनी मर्जी का तैनात कराते हैं। इसकी योजना, सरकार के सहयोग से ये लोग बहुत पहले से ही बना लेते हैं। इस तरह की हेरा-फेरी कोई पहली बार नहीं हो रही।
हर सरकार अपने चहेतों व लग्गुए-भग्गुओं के बच्चों को इसी तरह परीक्षा पास करा कर अधिकारी बनाती रही है। ऐसा भी उदाहरण चर्चा में रहा है, जब अभ्यार्थी की जगह पर्चा लिखने किसी और को ही बैठा दिया गया था।