फसल खराब होने पर बीमा की रकम तक नहीं दी, आय दोगुनी करने का झूठा दावा

फसल खराब होने पर बीमा की रकम तक नहीं दी, आय दोगुनी करने का झूठा दावा
April 21 14:07 2024

मज़दूर मोर्चा ब्यूरो
देश के सबसे जिम्मेदार पद पर बैठ कर सफेद झूठ बोलने वाले नरेंद्र मोदी के मंत्री और उनके मातहत विभाग भी प्रधानमंत्री की तरह ही झूठे आंकड़े पेश कर जनता को गुमराह करने में जुटे हैँ। 2016 में पीएम मोदी ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का जुमला उछाला था। खाद, बीज, डीजल, कीटनाशक महंगे होने के कारण किसानों की आय तो घटती गई लेकिन कृषि एंव किसान कल्याण मंत्रालय के मातहत काम करने वाले भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने फरवरी 2024 को देश के 75 हज़ार किसानों की सफलता पर किताब प्रकाशित की। झूठ का पुलिंदा साबित हो रही इस किताब में किसानों के नाम पते के साथ उनकी आय दोगुना होने का दावा किया गया है। समाचार पोर्टल न्यूज़लॉंड्री ने सरकारी पुस्तक के दावों की पड़ताल की तो झूठ सामने आया। झूठ की यह फेहरिस्त बहुत लंबी है जगह कम होने के कारण हम कुछ ही उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं। पूरी रिपोर्ट न्यूजलॉंड्री के यूट्यूब चैनल पर 100 प्रतिशत झूठ नामक वीडियो में देख सकते हैं।

नोएडा के खुरशैदपुरा गांव निवासी किसान पवनवीर भाजपा नेता भी हैं। पुस्तक के अनुसार उनकी आय 2016-17 मे 2.75 लाख थी जो 2021-22 में बढ़ कर 6.22 लाख रुपये हो गई। पवनवीर इसे 100 प्रतिशत झूठ करार देते हुए बताते हैं कि आय दोगुनी होनी तो दूर खेती की लागत बढ़ गई, बीज, खाद, कीटनाशक, सिंचाई, डीजल सब महंगा होने से आय और घटी ही है। प्रधानमंत्री ने फसल बीमा योजना की खूब बड़ाई की तो उन्होंने चार बार बीमा कराया। फसल खराब हुई लेकिन बीमा के रूप में एक अठन्नी तक नहीं दी गई।

इसी गांव के पॉलीटेक्निक छात्र 18 वर्षीय हिमांशु को भी इस पुस्तक में पांच एकड़ का मालिक बता कर उसकी आय पांच साल में 2.47 लाख से 5.21 लाख रुपये होने का दावा किया गया है। उसके पिता सुरेंद्र के पास मात्र डेढ़ एकड़ जमीन है लेकिन उन्हें आठ एकड़ मालिक और पांच साल में आय 3.61 लाख से बढ़ कर 2020-21 मेंं 7.61 लाख रुपये होने की रिपोर्ट प्रकाशित की गई है। सुरेंद्र रिपोर्ट को झूठ बताते हुए कहते हैं कि हिमांशु के नाम तो एक खूड भी जमीन नहीं है, बेटे की पढ़ाई पर वो खर्च कर रहे हैं, न ही उनकी कमाई बढ़ी है।
इसी तरह गुडग़ांव के शिकोहपुर गांव निवासी पवन इलेक्ट्रिकल मेकेनिक हैं, उन्होंने गुडग़ांव के अपने खेत 2011 में डीएलएफ को बेच दिए थे लेकिन किताब में उन्हें पांच एकड़ खेत का मालिक बताते हुए पांच साल में उनकी आय तीन लाख से 6.88 लाख रुपये होना बताया गया। पवन ने बताया कि गुडग़ांव में नहीं बल्कि रेवाड़ी में सिर्फ डेढ़ एकड़ खेत हैं जो उन्होंने बटाई पर दे रखे हैं, आय दोगुनी होने की बात सच नहीं है। ब्लॉक में नौकरी करने वाले दादरी (यूपी) निवासी आकाश खटाना को भी सफल किसान बताया गया है। किताब में गैर किसानों को तो किसान बताया ही गया है, केवल गेहूं-धान उगाने वाले किसानों को मशरूम, बाजरा, सब्जी आदि अन्य फसलें उगाने से आय दोगुनी होने का दावा किया गया है। ये झूठी जानकारियां आईसीएआर को सरकार द्वारा संचालित किसान विकास केंद्रों से भेजी गई हैं। लगता है कि केवीके के अधिकारियों ने भी पीएम मोदी के झूठ बोलने की कला से प्रेरित होकर झूठी कहानियां गढ़ डालीं और आईसीएआर के अधिकारियों ने अपनी नौकरी बचाने और मोदी सरकार को खुश करने के लिए बिना सत्यापन के सफलता की 75 हजार झूठी कहानियां छाप डालीं। आईसीएआर के बेहतरीन झूठ प्रकाशित करने लिए तत्कालीन केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने आईसीएआर की प्रशंसा थी।

दरअसल, संघ प्रशिक्षण के दौरान सच को झूठ बताने, विश्वासघात करने और झूठ बोलने की कला सीखे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने किसान विरोधी तीन काले कानूनों को सही और किसान आंदोलन को गलत साबित करने के हर हथकंडे अपना रहे हैं। ये किताब भी लोकसभा चुनाव की घोषणा होने से ठीक पहले इसी नीयत से जारी की गई है कि मोदी जी इसका हवाला दे आय दोगुनी करने का ढिंढोरा पीट कर किसानों को वरगला सकें, लेकिन उनके हर एक झूठ और दमनकारी कृत्यों को बाखूबी समझ चुका किसान झांसे में नहीं आने वाला। मोदी के झूठे दावे और जुमले ही उनके गले की फांस साबित हो रहे हैं।

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