फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा)। डीसीपी हेड क्वार्टर अभिषेक जोरवाल फर्जी नंबर प्लेट वाली काले शीशे लगी सरकारी बोलेरो में आज कल शान से शहर में घूम रहे हैं। फर्जी नंबर प्लेट तो पुलिस से बचने के लिए अपराधी अपने वाहनों में लगाते हैं। अब डीसीपी साहब किस तरह का अपराध करते हैं यह तो मालूम नहीं; फिलहाल, फर्जी नंबर प्लेट लगाकर धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े का अपराध तो उन्होंने कर ही दिया। मजे की बात तो ये है कि शहर की चाक चौबंद पुलिस ने आज तक उन पर मोटर व्हीकल एक्ट की किसी धारा में चालान करने की भी जरूरत नहीं समझी। करें भी तो कैसे मातहती तो उन्हीं की कर रहे हैं न।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जुमला स्मार्ट सिटी आम जनता को कोई सुविधा तो नहीं दे सका लेकिन वाहन मालिकों को लूट कर सरकार की जेब भरने के लिए पूरे शहर में चौक चौराहों और रेड लाइट पर कैमरे लगवा दिए गए। वाहन चालकों को अच्छी सडक़ और यातायात सुविधाएं उपलब्ध कराने में नाकाम स्मार्ट सिटी के ये कैमरे प्रतिदिन औसतन एक हजार वाहनों के ऑनलाइन चालान काट रहे हैं।
आम आदमी तो बेचारा चालान भर रहा है लेकिन पुलिसकर्मियों ने ऑनलाइन चालान से बचने के तरीके निकाल लिए हैं। डीसीपी हेड क्वार्टर के नाम से पंजीकृत बोलेरो एच आर 51 जीवी 8038 की नंबर प्लेट में जी नजर नहीं आता, नंबरों को बदल कर उसे 8088 बना दिया गया है, ताकि यातायात नियमों का उल्लंघन करने पर इन कैमरों में वाहन का सही नंबर न आ सके और ऑनलाइन चालान हो भी तो गलत वाहन का हो। ट्रैफिक पुलिस यदि काले शीशे के कारण किसी वाहन को रोके और आरसी जांच के दौरान नंबर प्लेट में गड़बड़ी पाए तो एमवी एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत उसका मोटा चालान तो करेगी ही, नंबर प्लेट में गड़बड़ी करने पर आईपीसी की धारा 420, 467, 468 और 471 के तहत केस भी दर्ज करेगी। केंद्रीय मोटर वाहन नियमावली, 1989 के नियम 100 के तहत वाहनों की खिड़कियों के शीशे काले या रंगीन नहीं होने चाहिए। ऐसा करने पर एक हजार रुपये तक जुर्माने का प्रावधान है। यह नियम-कानून डीसीपी हेड क्वार्टर जोरवाल भी अच्छी तरह से जानते हैं और बोलेरो में सफर करते हुए शीशे भी बंद रखते हैं, यानी उन्हें शीशों पर काली फिल्म चढ़े होने की जानकारी है और वो जानबूझ कर नियमों का उल्लंघन करते हैं, उन्हें मालूम है कि कोई भी पुलिस अधिकारी उनका चालान करने की हिम्मत और हिमाकत नहीं कर सकता। नंबर प्लेट में गड़बड़ी की वजह से ऑनलाइन चालान भी नहीं हो पा रहा।
कानून के रखवाले अधिकारी द्वारा ही कानून की धज्जियां उड़ाए जाने मामला शहर के जागरूक नागिरकों द्वारा सोशल मीडिया पर उठाए जाने के बावजूद पुलिस प्रमुख राकेश आर्या द्वारा अभी तक इस पर कोई संज्ञान नहीं लिया गया। पूछे जाने पर पीआरओ सेल की ओर से ट्विटर पर कहा गया है कि संबंधित के खिलाफ पोस्टल चालान भेज दिया गया है। इसके विपरीत विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि इस तरह का न तो कोई चालान कटा है और न ही जुर्माना वसूला गया है। यदि कोई चालान कटा है और जुर्माना वसूला गया है तो उसे सार्वजनिक किया जाए। बात इतनी भर ही नहीं है। एक पुलिस अधिकारी अपनी गाड़ी की फर्जी नंबर प्लेट लगाकर रोजाना पुलिस मुख्यालय में बैठता है उसके बावजूद पुलिस आयुक्त कोई संज्ञान नहीं ले पा रहे, इससे बड़ा दुर्भाग्य और क्या हो सकता है। ऐसी पुलिस पर शहरवासी क्या भरोसा कर सकते हैं।