मज़दूर मोर्चा ब्यूरो दिनांक 30 नवम्बर को मुख्यसचिव विजयवर्धन के सेवानिवृत्त होने के बाद 1986 बैच के आईएएस अधिकारी संजीव कौशल ने पहली दिसम्बर को यह पदभार सम्भाल लिया। वैसे तो विजयवर्धन का भी बतौर उपायुक्त फरीदाबाद से कुछ नाता रहा है परन्तु संजीव कौशल जैसा नहीं। कौशल यहां बतौर अतिरिक्त उपायुक्त तैनात हुए थे और बाद में शहर के मुख्य प्रशासक (जिसे आज कल निगमायुक्त कहते हैं) तैनात हुए थे। वे लगभग ढाई साल इस शहर में रहे। उनकी छवि एक ईमानदार व कार्यकुशल अधिकारी की तो थी ही, साथ में एक मिलनसार व्यक्तित्व की भी थी।
यहां से जाने के बाद वे जहां-जहां भी तैनात रहे, इनकी छवि राज्य के बेहतरीन अफसरों में ही गिनी गई है। फरीदाबाद के नागरिकों से उनका विशेष स्नेह सदैव बना रहा है। यहां जब ईएसआई मेडिकल कॉलेज चालू होने में कुछ अड़चने राज्य की अफसरशाही की ओर से आने लगी थी तो ‘मज़दूर मोर्चा’ ने इस ओर उनका ध्यान आकृष्ट करके समस्या का समाधान करवाया था।
‘मज़दूर मोर्चा’ अब उनका ध्यान ईएसआई हेल्थ केयर की ओर आकृष्ट करके व्यवस्था में उपयुक्त सुधार की कामना करता है। वैसे तो इस विषय पर उनसे उस वक्त भी बात-चीत हुई थी जब वे राज्य के वित्त सचिव थे। लेकिन आज वे राज्य की अफसरशाही के प्रमुख होने के नाते इस दिशा में काफी कुछ कर सकने में सक्षम समझे जाते हैं।
विदित है कि फरीदाबाद के मेडिकल कॉलेज व गुरगांव के दो अस्पतालों, जिन्हें ईएसआई कार्पोरेशन सीधे तौर पर खुद चलाती है, को छोडक़र शेष तमाम अस्पताल व डिस्पेंसरियां राज्य के ईएसआई हेल्थ केयर निदेशालय द्वारा चलाये जाते हैं। इस निदेशालय द्वारा चलाये जाने वाली सेवाओं का 88 प्रतिशत खर्चा कार्पोरेशन तथा शेष 12 प्रतिशत राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाता है। राज्य सरकार अपने हिस्से का 12 प्रतिशत खर्च बचाने के लालच में कुल बजट 200 करोड़ तक ही सीमित रखती है जबकि मरीजों को पर्याप्त चिकित्सा सेवाएं देने के लिये कम से कम 1200 करोड़ का बजट बनना चाहिये। जाहिर है कि अपर्याप्त बजट बनाने के चलते आज हरियाणा सरकार द्वारा चलाये जा रहे इन अस्पतालों की दुर्दशा देखने लायक है, न तो वहां पर्याप्त डॉक्टर व अन्य स्टाफ है और न ही आवश्यक दवायें व उपकरण। शल्य चिकित्सा, एक्सरे, अल्ट्रासाऊंड जैसी सुविधायें तो छोडिय़े, कुत्ता काटे के इन्जेक्शन, शुगर व रक्तचाप वाली साधारण दवायें तक इनमें उपलब्ध नहीं हैं। इन हालात में हरियाणा सरकार ईएसआई हेल्थ केयर के लिये या तो कम से कम 1200 करोड़ का बजट बना कर 150 करोड़ अपनी ओर से डाले या इस निदेशालय को बंद करके पूरा काम ईएसआई कार्पोरेशन को सौंप दें। दूसरी स्थिति में हरियाणा सरकार का न तो कोई दायित्व रह जायेगा और न ही कोई खर्चा, यानी पूरा दायित्व एवं खर्चा ईएसआई कार्पोरेशन का होगा। ईएसआई कार्पोरेशन इस के लिये तैयार भी है तो हरियाणा सरकार को शीघ्रातिशीघ्र इस गोरख धंधे से निजात पा लेनी चाहिये। यदि ऐसा हो जाये तो राज्य के मज़दूरों को बहुत बड़ी राहत मिल सकेगी।