हरियाणा की डबल इंजन सरकार मज़दूरों से न्याय करने में नाकाम

हरियाणा की डबल इंजन सरकार मज़दूरों से न्याय करने में नाकाम
October 30 08:48 2022

फऱीदाबाद में लखानी की कंपनियों में कोई भी श्रम क़ानून लागू नहीं हो, लखानी मज़दूर आन्दोलन को अंजाम तक ले जाया जाएगा

मज़दूर मोर्चा’ सत्यवीर सिंह
मुख्य रूप से चप्पल और जूते बनाने वाला, लखानी उद्योग समूह फरीदाबाद के सबसे बड़े और चर्चित उद्योगों में शुमार होता है। इसके ‘चर्चित’ होने की एक ख़ास बात ये है कि दोनों लखानी बंधुओं; छोटे, पी डी लखानी और बड़े, के सी लखानी की कंपनियां, देश का कोई श्रम क़ानून नहीं मानतीं और इस हकीक़त को छुपाती भी नहीं, बल्कि, हरियाणा सरकार और हरियाणा शासन-तंत्र को ‘मैनेज’ करने की अपनी इस ‘विशिष्ट योग्यता’ को अपनी कंपनियों की ‘प्रतिष्ठा’ का स्रोत मानती हैं। हरियाणा सरकार और श्रम क़ानून लागू कराने की जि़म्मेदारी ‘संभाल’ रहे सभी सरकारी विभाग, जैसे उप-श्रम आयुक्त, क्षेत्रीय पी एफ़ आयुक्त, क्षेत्रीय ई एस आई सी आयुक्त ही नहीं, बल्कि औद्योगिक नगरी फऱीदाबाद में काम कर रही सभी मज़दूर ट्रेड यूनियनें, इस सच्चाई को अच्छी तरह जानते हैं। यही कारण है कि जब ‘क्रांतिकारी मज़दुर मोर्चा, फरीदाबाद’ के राजनीतिक कार्यकर्ता, लखानी के मज़दूरों के आन्दोलन में शामिल हुए तब बाक़ी ट्रेड यूनियन नेता हैरान दिखे, और सभी सम्बंधित सरकारी विभागों के कार्यालय प्रमुखों ने तो ऐसा आश्चर्य व्यक्त किया, मानो वे कितने अंजान और मूर्ख हैं, जो लखानी उद्योगों में श्रम क़ानून लागू कराने का दुस्साहस कर रहे हैं!

लखानी के कारखानों के गेट पर मज़दूरों की चिल्लाहट, झल्लाहट और नारे बाज़ी को देखकर, शहर में कोई हैरान नहीं होता. ये दृश्य वे अक्सर देखते रहते हैं। मज़दूरों का जीवन ही ऐसा है, कि भले कोई साथ ना दे, उनको तो लडऩा ही है। 21 अक्तूबर को ‘लखानी फुट वेयर प्राइवेट लिमिटेड, प्लाट न 130, सेक्टर 24, फरीदाबाद, में काम कर चुके और लाचारी में स्तीफे दे चुके, 18 मज़दूरों ने अपने संघर्ष में साथ देने की गुहार के साथ, ‘क्रन्तिकारी मज़दूर मोर्चा’ से संपर्क किया। उसी दिन, उनके साथ विस्तृत मीटिंग हुई तो पता चला कि कंपनी ने उनका कई महीने के वेतन, ओवरटाइम और बोनस का भुगतान करने से मना कर दिया है। सबसे पीड़ादायक हैरानी इस बात को जानकर हुई, कि मज़दूरों के वेतन से 18 महीने तक पीएफ़ और ईएसआईसी का पैसा काटा गया. उसमें मालिक द्वारा उतना ही अंशदान करना होता है, वह तो छोडिय़े, उनका काटा हुआ पैसा भी भविष्य निधि कोष में जमा नहीं हुआ। उनका और उनके परिवार का इलाज ईएसआईसी अस्पताल करने से मना कर देते हैं। पीएफ़ के पैसे का तो कैसा भुगतान, जब पैसा जमा ही नहीं हुआ! वे जब भी अपने हक़ का पैसा मांगने फैक्ट्री जाते, तब उन्हें दुत्कार कर भगा दिया जाता—‘जो मर्जी  करो, जहाँ मर्जी जाओ, कोई पेमेंट नहीं मिलेगा।’ मज़दूरों से ‘निबटने’ का ये लखानी स्टाइल फऱीदाबाद में कुख्यात है। केसी लखानी की मालिकाने वाली इस कंपनी की एक और आपराधिक दबंगई की हकीक़त, ये मालूम हुई कि मज़दूरों से उनके स्तीफे ज़बरदस्ती, ये कहकर लिए गए कि ‘तुम साइन कर दो, तुम्हारा फाइनल हिसाब आज ही हो जाएगा।’

21 तारीख की उसी मीटिंग में, उपश्रमायुक्त के नाम एक ज्ञापन लिखा गया, जिसे सौंपने और उपश्रमायुक्त को रूबरू अपनी मुसीबतें बताने ‘क्रांतिकारी मज़दूर मोर्चा, फरीदाबाद’ के नेतृत्व में सभी 18 मज़दूर, जिनमें 3 महिला भी शामिल थे, उप-श्रमायुक्त श्री अजय पाल डूडा से मिले। उन्होंने सहानुभूतिपूर्वक बातें सुनीं और हकीक़त जानकर हैरानी व्यक्त की। उसी दिन, 21.10.22 को, उप-श्रमायुक्त कार्यालय से एक पत्र क्रमांक 2200, लखानी कंपनी के नाम ज़ारी हुआ। ‘विषय (मज़दूरों की शिकायतों) में आपके विरुद्ध इस कार्यालय में एक शिकायत प्राप्त हुई है। जिसकी प्रति इस पत्र के साथ भेजकर आपको निर्देश दिए जाते हैं कि आप शिकायत में लिखे सभी वर्कर्स के ड्यूज़, जो कानून के अनुसार बनते हैं, उनके खाते में जमा कराएं, ताकि सभी श्रमिक गण दीवाली का त्यौहार ख़ुशी-ख़ुशी मना सकें।’ ‘श्रमिक गणों’ की दिवाली तो ख़ुशी-ख़ुशी मन गई! उनके बच्चे इंतज़ार करते रहे कि ‘पापा मिठाई लेकर आएँगे, नए कपड़े लाएँगे, हम भी ख़ुशी-ख़ुशी दिए जलाएँगे’! उनकी ये दिवाली भी अँधेरे में ही बीती। मज़दूरों की दिवाली तो उसी दिन मनेगी जिस दिन इस मानवद्रोही व्यवस्थापूंजीवाद का अंतिम संस्कार होगा। ‘लखानी’ यूँ ही कुख्यात नहीं हैं। ऐसे जाने कितने ख़त उन्होंने फाड़ कर फेंके हैं! किसी भी मज़दूर के खाते में आज तक (27 अक्तूबर) तक कोई हलचल नहीं हुई है।

दिवाली के त्यौहार की वज़ह से, भविष्यनिधि आयुक्त को मिलकर ज्ञापन देने का कार्यक्रम 26 अक्तूबर को रखा गया था। अभी इस आन्दोलन का महज़ आगाज़ हुआ है, लेकिन इसी ने मज़दूरों के दिलों में न्याय पाने की उम्मीद जगा दी है। दीपावली की व्यस्तताओं के बावजूद, 26 तारीख तक, 18 मज़दूरों की लिस्ट में 12 लखानी मज़दूर और जुड़ गए। सभी मज़दूर, 26 तारीख को क्षेत्रीय भविष्यनिधि आयुक्त 1, श्री मनोज यादव से मिले। ‘हम लखानी कंपनी से हैं और 18 महीने तक हमारे वेतन से काटा गया पी एफ का पैसा, भविष्यनिधि कोष में जमा नहीं हुआ है’, मज़दूरों की ये बात सुनकर यादव जी हैरान होकर बोले, ‘अरे आप 18 महीने की बात कह रहे हो, लखानी तो पीएफ़ का पैसा, पिछले दस साल से, 2012 से नहीं दे रहा!’ तब कई मज़दूर एक स्वर में बोल पड़े, ‘हम पीडी की बात नहीं कर रहे, सर, हम केसी की बात कर रहे हैं!’ ‘क्या मतलब, वो भी नहीं दे रहा!’, यादव जी कुर्सी में कुलबुलाते हुए बोले. ये है, इन लखानियों की ‘ख्याति’! छोटे भाई पीडी लखानी 10 साल से मज़दूरों के वेतन से काटा पी एफ़ का पैसा जमा नहीं कर रहे। बड़े भाई, केसी भी जान गए, जब पीएफ़ महकमा करोड़ों रुपये डकारने वाले छोटे भाई पीडी का कुछ नहीं बिगाड़ पाए, तो हमारा क्या कर लेंगे। अपनी सरकार है, अपना तंत्र है, अपने आयुक्त हैं! पैसा मज़दूरों के हाथ में देकर क्यों बर्बाद किया जाए, क्यों ना कोई नई फैक्ट्री लगा ली जाए!! ये है, हरियाणा में मज़दूरों के शोषण की इन्तेहा!! ये है डबल इंजन की सरकार का कमाल!! हर कारखानेदार ‘समझदार’ होता जा रहा है, कि मज़दूरों के वेतन, भत्ते, पीएफ, ईएसआईसी, बोनस, ओवरटाइम किसी का भी भुगतान उन्होंने नहीं किया, तब भी सरकार हमारे साथ ही खड़ी रहेगी. यही है; व्यवसाय की करने की सरलता, EASE OF DOING BUSINESS!!

फरीदाबाद भविष्यनिधि कार्यालय के निकम्मेपन का ये आलम है कि लखानियों के पास अकूत संपत्ति होने के बावजूद, कोई वसूली नहीं कर पा रहे. लखानी बंधू, मोदी सरकार की ‘व्यवसाय करने की सरलता’ योजना को इतना पसंद करते हैं कि वे बैंकों से लिए कज़ऱ् भी नहीं भरते. बैंकों ने लखानी की संपत्ति बेचकर अपने डूबे हुए कज़ऱ् वसूल कर लिए. ग़बन करने वाले माफिया से हुई किसी भी वसूली में, सबसे पहला अधिकार कर्मचारियों के भविष्य निधि की वसूली का होता है. इस नियम के बावजूद भविष्यनिधि विभाग अपनी वसूली नहीं कर पाया. बैंकों से भी पैसा नहीं ले पाया. बेशर्मी से कहते हैं, ‘कागज़ी कार्यवाही चल रही है, क़ानून अपना काम कर रहा है!!’ लोगों का कहना है कि ये पी एफ़ विभाग का निकम्मापन नहीं बल्कि भ्रष्टाचार का कमाल है जो ये वसूली नहीं हो पा रही. 2009 से 2013 तक फरीदाबाद में दो जि़म्मेदार और ईमानदार अधिकारी, विनीत गुप्ता और के एल तनेजा नियुक्त हुए थे. लखानी उस वक़्त भी बेईमान ही थे. पीडी लखानी ने जब नोटिस मिलने के बाद भी पीएफ़ का पैसा नहीं जमा किया, तब इन दोनों अधिकारीयों ने 2012 में उन्हें गिरफ्तार कर अपने कार्यालय में बुलवाया और अपने अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए दिन भर ‘नागरिक हिरासत’ में एक केबिन में बंद कर दिया। ‘अगर कम से कम 3 करोड़ रुपये कल तक जमा नहीं हुए तो सारी संपत्ति कुडक़ कर लूँगा’, छोटे लखानी से उसी भाषा में बात की गई जो उसे समझती है। अगले ही दिन उसने पैसे भर दिए. उसके बाद बक़ाया जमा करने में चूक हुई तो उसकी पूरी फैक्ट्री सील कर उन्होंने अपने क़ब्ज़े में ले ली थी. 2013 में लखानी ने, उन दोनों ईमानदार और निडर अधिकारीयों का तबादला करा दिया. उसके बाद से ‘कागज़ी कार्यवाहियां’, ‘हम ऊपर भी लिखेंगे और नीचे भी लिखेंगे’, ‘आप जनरलाइज मत कीजिए’, ‘हम छोड़ेंगे थोड़ई’, ‘क़ानून अपना काम करेगा, आप देखते जाइए’ वाली नस्ल के अधिकारी आते गए और मज़दूर लुटते गए। जैसे ‘पीडी’ को देखकर ‘केसी’ ने सीखा, उसी तरह बाक़ी के कारखानेदार भी ‘व्यवसाय की सरलता’ योजना के तहत मज़दूरों के हक़ों पर डाका डालते जा रहे हैं। अकेले पी एफ़ ही नहीं, भविष्यनिधि विभाग के अधिकारीयों की मिलीभगत से ‘राष्ट्रीय पेंसन योजना’ में भी भयंकर घोटाले हो रहे हैं। कई तरह के गिद्ध, मज़दूरों के पैसे को लूट रहे हैं।

भविष्यनिधि आयुक्त को ज्ञापन देकर संघर्ष का बिगुल बज चुका है। कार्यवाही करने के लिए उन्हें तकऱ्संवत वक़्त, 15 दिन का समय दिया जाएगा। उसके बाद भविष्यनिधि के केन्द्रीय कार्यालय भीकाजी कामा प्लेस में, राष्ट्रीय मीडिया के साथ इसी तरह का ज्ञापन दिया जाएगा। अगले चरण में प्रदर्शन, धरने, भूख हड़ताल, रास्ता रोको आदि कार्यक्रमों को योजनाबद्ध और चरणबद्ध तरीके से चलाया जाएगा। मज़दूरों के साथ हो रहे इस भयानक अन्याय के विरुद्ध संघर्ष की चुनौती ‘क्रांतिकारी मज़दूर मोर्चा, फरीदाबाद’ ने स्वीकार कर ली है. ज्यादा से ज्यादा मज़दूरों, मज़दूर वर्ग से प्रतिबद्धता रखने वाले जन मानस को गोलबंद कर, इस तहरीक़ को अंजाम तक पहुँचाया जाएगा।

  Article "tagged" as:
  Categories:
view more articles

About Article Author

Mazdoor Morcha
Mazdoor Morcha

View More Articles