फरीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) एनआईटी क्षेत्र से निर्वाचित कांग्रेसी विधायक नीरज शर्मा ने विधानसभा में इस बात पर अफसोस जताया कि फरीदाबाद-गुडग़ांव मैट्रो के लिये एक रुपया भी नहीं रखा जबकि खट्टर वर्षों से लगातार इसके निर्माण की घोषणायें करते आ रहे हैं। लगता है कि विधायक नीरज शर्मा साप्ताहिक ‘मज़दूर मोर्चा’ नहीं पढ़ पाते। भोली-भाली जनता की भांति वे भी घोषणावीर खट्टर की घोषणायें सुन-सुन कर खुश होते रहते हैं। इसके विपरीत ‘मज़दूर मोर्चा’ बीते छह-सात वर्षों से लगातार यह लिखता आ रहा है कि ऐसी कोई मैट्रो लाइन बनने वाली नहीं है। बनाने की जरूरत ही क्या है जब लोग घोषणावीरों की झूठी घोषणाओं से ही मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।
मोर्चा ने यह भी स्पष्ट लिख दिया है कि गुडग़ांव जाने के जिस रूट का ढिंढोरा सरकारी भोंपूओं द्वारा पीटा जा रहा है, उसकी अपेक्षा दिल्ली-मैट्रो रेल कॉर्पोरेशन (डीएमआरसी) तुगलकाबाद-महरौली-एयरपोर्ट व रूट पर काम कर रही है। इसके लिये काम तेज़ी से चल रहा है। जाहिर है कि यह काम पूरा होने के बाद बल्लबगढ़ से बारास्ता तुगलकाबाद-महरौली होते हुए गुडग़ांव पहुंचा जा सकेगा।
फरीदाबाद से सीधे गुडग़ांव मैट्रो का बाजा केवल इसलिये बजाया जा रहा है ताकि इस क्षेत्र में पडऩे वाली जमीन-जायदादों के भाव उछाल मार सकें और धंधेबाज इससे मोटा-मुनाफ कमा सकें। इसके अलावा इस घोषणा से लोगों को बहका कर चुनाव में वोट बटोरे जा सके। समझने वाली बात यह है कि 3 लाख करोड़ के कर्जे में डूबी जो सरकार अपने मेडिकल कॉलेजों, अस्पतालों, स्कूलों आदि को चलाने के लिये पैसा उपलब्ध न करा सकती, वह भला मैट्रो के लिये हजारों करोड़ कहां से लायेगी? इतना ही नहीं वेतन खर्च बचाने के लिये चार लाख सरकारी कर्मचारियों की जगह मात्र दो लाख से ही काम चलाने वाली सरकार के बहकावे में आम आदमी आ जाये तो कोई खास बात नहीं, लेकिन नीरज शर्मा जैसे राजनेता से तो ऐसी अपेक्षा नहीं की जा सकती।
डीएमआरसी कर चुका है खारिज मालूम हो कि 2016 में बदरपुर-फरीदाबाद मेट्रो ट्रैक शुरू होने के साथ ही भाजपा नेताओं ने जनता को बहकाने के लिए फरीदाबाद-गुडग़ांव मेट्रो लाइन बिछाने की घोषणा की थी। डीएमआरसी ने फीजिबिलिटी रिपोर्ट में इसे खारिज कर दिया था। दरअसल जिस रूट पर भाजपा नेता मेट्रो चलवाना चाह रहे थे उस पर आबादी नहीं होने के कारण डीएमआरसी ने इसे घाटे का सौदा मान कर प्रोजेक्ट में रुचि नहीं दिखाई थी, क्योंकि यह विशुद्ध पेशेवर संस्थान है न कि राजनीतिक स्टंटबाजी करने वालों का गिरोह।