फरीदाबाद (म.मो.) बुधवार, चार जनवरी को बीके अस्पताल की पीएमओ डॉ. सविता यादव पहली बार ओपीडी में आकर बैठीं। उन्होंने मरीजों को भी देखा। विदित है कि डॉ. सविता एक बहुत ही बेहतरीन स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं। वे गायनेक्लॉजी में स्नातकोत्तर उपाधिधारक हैं। इतना कुछ होने के बावजूद वे सारा दिन अपने दफ्तर में बैठ कर गुजारती रही हैं। जाहिर है इसके चलते अस्पताल में आने वाली गरीब मरीज़ इनकी शफाकत से महरूम रह जाती हैं।
‘मज़दूर मोर्चा’ के बार-बार किये जाने वाले अनुरोध को स्वीकार करके उन्होंने मरीजों को देखने का जो निर्णय लिया है उसके लिये वे धन्यवाद की पात्र हैं। आशा है कि वे नियमित रूप से मरीजों को देख कर न केवल उनको बेहतरीन इलाज देंगी बल्कि अपने हुनर का भी विकास करेंगी। उनके द्वारा दफ्तर से बाहर आकर ओपीडी में बैठने, लेबर रूम, ऑपरेशन थियेटर तथा वार्डों में जाने से मरीजों को तो प्रत्यक्ष लाभ होगा ही, साथ में अस्पताल के पूरे स्टाफ पर भी उनका प्रभाव पडऩे से वे भी चुस्त-दुरुस्त होकर काम करने लगेंगे। जाहिर है कि इसके चलते अस्पताल के प्रशासन में का$फी सुधार हो पायेगा।
‘मज़दूर मोर्चा’ का उद्देश्य कभी भी उनको व्यक्तिगत रूप से टारगेट करने की बजाय उनकी योग्यता एवं हुनर का सही इस्तेमाल कराना रहा है जो कि अब तक व्यर्थ जाता रहा है। संदर्भवश उनसे अपेक्षा है कि प्रसूति वार्ड में कुछ कर्मचारियों द्वारा की जा रही लूट कमाई एवं ब्लैकमेलिंग पर वे अंकुश लगायेंगी। इमरजेंसी वार्ड में फिलहाल जो गदर मचा हुआ है उस पर भी वे गौर करके उचित समाधान करेंगी। थोड़ा सा भी प्रयास करने पर वे आसानी से समझ पायेंगी कि इस वार्ड का सत्यानाश करने की जड़ में असल बीमारी तो खुद इसका इंचार्ज डॉक्टर गौड़ है। विश्वस्त जानकारी के अनुसार डॉ.गौड़ ड्यूटी समय के दौरान प्राय: अस्पताल के बाहर अपनी गाड़ी में ही मस्त बने बैठे रहते हैं।
पुख्ता जानकारी के अनुसार अस्पताल के कुछ कर्मचारी कुछ ऑटो रिक्शा वालों से 100-150 रुपये लेकर इमरजेंसी के बाहर खड़ा होने देते हैं ताकि जरूरतमंद मरीजों को तुर्त-फुर्त झपट सकें। लगभग ऐसा ही कुछ हाल निजी एम्बुलेंस ड्राइवरों का भी है। ये दलालों की तरह बड़े व्यापारिक अस्पतालों के लिये मरीज पटा कर ले जाने का ही काम करते हैं। इन्हें अस्पताल स्टा$फ का भी पूरा सहयोग रहता है। इसके अलावा पूरे परिसर में जिस तरह से वाहन खड़े रहते हैं उस पर भी गौर करने की आवश्यकता है।