फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) महज घोषणा को कामयाबी के रूप में प्रचार करने मानने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सीएम खट्टर ने बल्लभगढ़ में एक और पीएमश्री विद्यालय बनाए जाने का जुमला फेका है। जुमला इसलिए कि यहां पहले से चल रहे दो पीएमश्री विद्यालयों में गणित, विज्ञान जैसे विषयों के टीचर तक नहीं हैँ, आधुनिक लैब और शिक्षण सामग्री तो दूर की बात है। ऐसे ही तीसरे विद्यालय की क्या हालत होगी पहले के दो विद्यालयों को देख कर समझा जा सकता है।
पीएमश्री स्कूल के संयोजक मोहन कुमार के बयान के अनुसार जिले में एक और पीएमश्री स्कूल शुरू करने की स्वीकृति मिल गई है। सुधी पाठक जान लें कि मोदी-खट्टर सरकारों का दावा है कि पीएमश्री स्कूल में छात्रों को रोबोटेक, ड्रोन, कोडिंग, डेटा मैचिंग, डेटा एनालिसिस, डेटा माइनिंग, ब्लॉक चेन मैनेजमेंट, क्रिप्टो, एस्ट्रोनॉमी और रॉकेट साइंस के बारे में पढ़ाया जाएगा। ये सभी विषय अत्याधुनिक विज्ञान पर आधारित हैं, देखा जाए तो इन विषयों की पढ़ाई आईआईटी, टेक्निकल यूनिवर्सिटी, अंतरिक्ष अनुसंधान से जुड़ी संस्थाओं में कराया जाता है। यानी इन विषयों को पढ़ाने के लिए विषय में महारत रखने वाले प्रोफेसर, वैज्ञानिक, शोध विद्यार्थी होने चाहिए, साथ ही प्रयोग कराने के लिए आधुनिक उपकरणों, कंप्यूटर से लैस लैबोरेट्री की जरूरत होती है।
जिले में पहले से चल रहे पीएमश्री विद्यालयों में विद्यार्थियों को गणित और विज्ञान के पाठ्यक्रम की शिक्षा देने वाले टीचर तक तैनात नहीं किए गए हैं, यानी विद्यार्थी अभी अपने पाठ्यक्रम वाली गणित और विज्ञान ही नहीं पढ़ पा रहे हैं। यदि इन विषयों के टीचर तैनात भी कर दिए गए तो वो रोबोटेक, रॉकेट साइंस, क्रिप्टो जैसे अति आधुनिक विषयों को नहीं पढ़ा पाएंगे, क्योंकि अभी तक किसी भी टीचर को इस तरह की ट्रेनिंग नहीं दी गई है, यानी सब कुछ हवा हवाई ही है। इन विद्यालयों में लैब भी नहीं है, बिना लैब के बच्चों को आधुनिक विषयों की प्रायोगिक शिक्षा नहीँ दी जा सकती। लैब बन भी गई तो प्रायोगिक शिक्षा देने के लिए तकनीकी, उपकरण, ट्रेंड स्टाफ भी होना जरूरी है, उसका भी कहीं अता-पता नहीं है।
डबल इंजन की घोषणावीर सरकारें दावा कर सकती हैं कि इन विषयों को पढ़ाने के लिए तकनीकी विद्यालयों के प्रोफेसर भेजे जाएंगे। बता दें कि अधिकतर तकनीकी विश्वविद्यालय, कॉलेज में आधुनिक विषय पढ़ाने वाले प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर, रिसर्च फैलो के पद काफी संख्या में खाली हैं। ऐसे में काम के बोझ से दबे ये तकनीकी शिक्षक अपनी संस्था छोड़ कर ऐसे बच्चों के लिए, जिन्हें ये विषय समझने के लिए काफी तैयारी करनी है, समय बर्बाद नहीं करेंगे। यदि इक्का दुक्का प्रोफेसर पढ़ाने को राज़ी हो भी गया तो छोटी कक्षाओं के बच्चे उसकी बात समझ सकेंगे यह भी कहना मुश्किल है।
नई शिक्षा नीति के नाम पर शिक्षा का बेड़ा गर्क करने पर तुली मोदी-खट्टर सरकारें बिना वैज्ञानिक शोध और अध्ययन के ही बेहतरी के नाम पर बच्चों के लिए शिक्षा को बोझ बनाने पर आमादा हैं। किसी भी कक्षा का पाठ्यक्रम बच्चे की उम्र और उसके मानसिक विकास के मद्देनजर तय किया जाता है। रोबोटेक, ड्रोन, कोडिंग, ब्लॉकचेन मैनेजमेंट, क्रिप्टो, एस्ट्रोनॉमी, रॉकेट साइंस, डेटा माइनिंग जैसे अति आधुनिक विषय सुनने में तो अच्छे लगते हैं लेकिन कच्ची उम्र के छात्रों के लिए इन्हें पढऩा उनके मानसिक विकास पर उल्टा असर भी डाल सकता है। खुद शिक्षा से दूर रहे प्रधानमंत्री को घोषणा करने से पहले बाल मनोविज्ञान के विशेषज्ञ और बाल शिक्षा से जुड़े विशेषज्ञों की टीम बना कर पाठ्यक्रम तय करना चाहिए था। दरअसल, करना तो उन्हें कुछ है नहीं, केवल घोषणा कर पीठ थपथपानी है, सो पीएमश्री विद्यालय की भी घोषणा कर दी, जो भविष्य में कभी भी पूर्णतया लागू नहीं होने वाली।