पीएम विश्वकर्मा योजना : जो आधुनिक तकनीक से हार गए वो हुनर सिखाने से क्या फायदा

पीएम विश्वकर्मा योजना : जो आधुनिक तकनीक से हार गए वो हुनर सिखाने से क्या फायदा
March 04 05:01 2024

करनाल। हर साल दो करोड़ रोजगार देने का दावा कर सत्ता में आई मोदी सरकार ने युवा पीढ़ी के लिए सरकारी नौकरियों के दरवाज़े तो लगभग बंद कर दिए, अब उन्हें पीएम विश्वकर्मा योजना के सपने दिखाए जा रहे हैं। आधुनिक तकनीकी और विज्ञान के युग में युवाओं को लुहार, कुंभकार, मोची, दर्जी जैसे परंपरागत काम सिखाए जाएंगे। समझने वाली बात है कि वर्तमान में ये सभी रोजगार मोदी समर्थित पूंजीवादियों की फैक्टरियों में बने सस्ते उत्पाद का मुकाबला नहीं कर सकते, बावजूद इसके पीएम विश्वकर्मा का ढिंढोरा पीटा जा रहा है।

उपायुक्त अनीश यादव ने बताया कि स्थानीय कारीगरों और शिल्पकारों की कार्य कुशलता को बढ़ाने तथा उनके उत्पादों व सेवाओं को आसानी से लोगों तक पहुंचाने में पीएम विश्वकर्मा योजना एक वरदान साबित होगी। एमएसएमई द्वारा पारंपरिक व्यवसायों में लगे कारीगरों और शिल्पकारों तक योजना का लाभ पहुंचाने के लिए एक जन-जागरूकता अभियान चलाए जाने की आवश्यकता है। जिससे कि स्थानीय कारीगरों को योजना के तहत दिए जाने वाले लोन, प्रशिक्षण व अन्य सुविधाओं की जानकारी मिल सके। उपायुक्त ने बताया कि इस योजना में 18 व्यवसाय शामिल किए गए हैं। जिनमें सुनार, नाव बनाना, शस्त्राकार, लुहार, हथौड़ा व लोहे के औजार बनाना, ताला बनाना, कुंभकार, मूर्तिकार, मोची, राजमिस्त्री, टोकरी, चटाई बनाना, गुडिय़ा व खिलौने बनाना, बारबर, धोबी, दर्जी, बुनकर और मछली पकडऩे के लिए जाल बनाने का काम शामिल है। विभिन्न व्यवसायों से जुड़े दस्तकारों को स्कीम के अंतर्गत प्रशिक्षण, टूल किट व बैंक लोन की सुविधा प्रदान की जाएगी।

इस योजना का लाभ पाने के लिए कारीगर को पहले पीएम विश्वकर्मा.जीओवी.इन पोर्टल पर अपना पंजीकरण करवाना होगा। पंजीकरण के बाद इन कारीगरों की करनाल जिला में स्थापित किए गए कौशल विकास केंद्रों में ट्रेनिंग करवाई जाएगी। लाभपात्रों को टूल किट खरीदने के लिए 15 हजार रुपए का अनुदान दिया जाएगा। छोटे कारीगरों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए पहले एक लाख रुपए का लोन दिया जाएगा। जिसे 18 महीनों में पांच प्रतिशत की मामूली ब्याज दर से अदा करना है। बैंक ऋण की अदायगी के बाद इन कारीगरों को दोबारा ट्रेनिंग दिलवाई जाएगी। ट्रेनिंग में हर रोज 500 रुपये का स्टाइपेंड दिया जाएगा। एक लोन पूरा होने के बाद पात्र कारीगर को दो लाख रुपए का लोन मिलेगा, जिसकी अदायगी तीस माह में की जानी है। इस दौरान कारीगरों को बाजार से जोडऩे का प्रयास किया जाएगा।

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Mazdoor Morcha
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