केंद्रीय मंत्री किशनपाल गूजर के वरद्हस्त प्राप्त एक्सईएन ओमदत्त का कारनामा फरीदाबाद ( मजदूर मोर्चा)। लूट कमाई का कोई भी मौका नहीं छोडऩे वाले नगर निगम के कमीशनखोर एक्सईएन ओमदत्त के भ्रष्टाचार का एक और नमूना सामने आया है। पाली स्थित ट्रांसलेशनल स्वास्थ्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (टीएचएसटीआई) में 15-17 जनवरी को आयोजित होने वाली ग्लोबल इम्यूनोलॉजी समिट 2024 की तैयारियों के नाम पर करीब दो करोड़ रुपयों की बंदरबांट कर डाली गई।
टीएचएसटीआई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रस्तावित कार्यक्रम के मद्देनजऱ पाली रोड पर स्ट्रीट लाइटें, संस्थान में बोरिंग और ट्यूबवेल लगाए जाने थे। इसके लिए टीएचएसटीआई प्रबंधन ने नगर निगम को दो करोड़ रुपये जारी किए थे। इन दो करोड़ में चार किलोमीटर लंबी सडक़ पर आठ सौ स्ट्रीट लाइटें लगाई जानी थीं। खुद को केंद्रीय मंत्री किशन पाल गूजर का बेटा कहने वाले नगर निगम के भ्रष्ट और बेखौफ एक्सईएन ओमदत्त (जिसके द्वारा अपने चहेते ठेकेदार बलदेव एंड कंपनी, सागर गर्ग को फायदा पहुंचाने के लिए टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी करने के कई मामले सामने आ चुके हैं) ने यह काम कराया था। निगमायुक्त को भी ठेंगे पर रखने वाले ओमदत्त ने एक करोड़ रुपये से अधिक का काम होने के बावजूद बिना टेंडर प्रक्रिया ही अपने चहेते ठेकेदार को काम सौंप दिया था। काम तो बस दिखाने के लिए किया जाना था, विकास के नाम पर आए दो करोड़ रुपयों की बंदरबांट करनी थी।
स्ट्रीट लाइट के खंभे को गाडऩे के लिए कम से कम चार गुणे चार फुट का गड्ढा बनाया जाना चाहिए था लेकिन मुश्किल से डेढ़ फुट चौड़ा और डेढ़ फुट गहरा गड्ढा बनाया गया। स्थापित किए जाने के तीन सप्ताह के भीतर ही स्ट्रीट लाइटें उखडऩे लगीं हैं। पाली मार्ग पर नई लगाई गई स्ट्रीट लाइटों के खंभे गिरे हुए देखे जा सकते हैं। स्थानीय लोगों की मानें तो यदि कोई गाय या अन्य पशु अपना शरीर ठीक से रगडऩे लगे तो ये खंभे गिर जाएंगे। लोग खंभों की गुणवत्ता से लेकर उन्हें लगाने में हर जगह कमीशनखोरी और लूट कमाई किए जाने की आशंका जता रहे हैं। इम्यूनोलॉजी समिट 2024 की तैयारियों में हो रही धांधली की खबर मज़दूर मोर्चा ने पीएम ‘मोदी के नाम पर नियम कानून ताक पर’ शीर्षक से जनवरी—— के अंक में खबर प्रकाशित की थी। स्ट्रीट लाइटों के लिए खोदे जा रहे गड्ढों के मानक के अनुसार नहीं होने की आशंका जताते हुए काम में की जा रही हेराफेरी उजागर की थी। जैसी की आशंका जताई गई थी, लूट कमाई का खेल सामने आ गया।
ऐसा नहीं है कि तीन सप्ताह में ही खंभे गिरने की जानकारी निगम आयुक्त मोना ए श्रीनिवास या निगम के अन्य अधिकारियों को नहीं है लेकिन कोई भी जांच कराने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा। केंद्रीय मंत्री किशनपाल गूजर का संरक्षण होने के कारण ओमदत्त निगमायुक्त तो क्या सरकार के आदेश को भी नहीं मानता। यही कारण है कि चंडीगढ़ मुख्यालय से उसके स्थानांतरण के आदेश जारी किए गए लेकिन वह यहीं काम करता रहा और पिता समान किशनपाल की अनुकंपा से आदेश रद्द कर दिया गया। हालांकि हाल ही में निगमायुक्त ने अपनी ताक़त का अहसास कराने के लिए ओमदत्त से डिवीजन दो सहित जो अन्य कार्य उसे सौंपे गए थे वापस लेकर नितिन कादियान को सौंप दिए। लेकिन दो करोड़ के इस गबन की न तो जांच के आदेश जारी किए न घटिया काम करने के लिए ओमदत्त के चहेते ठेकेदार को नोटिस भेजा गया। यदि उनमें खुद कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं है तो कम से कम भ्रष्टाचार की एफआईआर तो करा सकती हैं। यदि एफआईआर होगी तो अभी सत्तापक्ष के दम पर फूल रहा ओमदत्त कभी तो इसका पुलिस जांच में सच्चाई उगलेगा, यह भी सच है कि यदि जांच बैठी तो नगर निगम में फिर से दो सौ करोड़ रुपये जैसा ही दूसरा घोटाला उजागर होगा जिसका मास्टर माइंड ओमदत्त निकलेगा।