पतन ढकने के लिये हुई अमितशाह की उत्थान रैली शहर की सजावट ऐसी कि टाट पर मखमल के पैबंद

पतन ढकने के लिये हुई अमितशाह की उत्थान रैली शहर की सजावट ऐसी कि टाट पर मखमल के पैबंद
October 30 06:26 2022

फरीदाबाद (म.मो.) दिनांक 27 अक्टूबर को देश के गृहमंत्री अमितशाह के लिये यहाँ  एक जनसभा का आयोजन किया गया। सभास्थल सेक्टर 12 स्थित थाना सेंट्रल के बगल में बनाया गया। सभास्थल से करीब एक किलो मीटर दूर, सेक्टर 12 में ही इनका हेलीकॉप्टर उतरने का हैलिपैड बनाया गया था। उस हैलिपैड से सभास्थल तक इन्हें ले जाने के लिये दिल्ली से इनकी विशेष बुलेट प्रूफ गाड़ी आई थी। यानी कि देश की गरीब जनता की कमाई हेलीकॉप्टर में फूंकने के साथ-साथ दिल्ली से आई कार पर अलग से फूंकी गई।

इतना ही नहीं इनकी सुरक्षा के नाम पर चंडीगढ़ से चल कर डीजीपी प्रशान्त कुमार अग्रावल, एडीजीपी कानून एवं व्यवस्था संदीप खेरवार तथा एडीजीपी सीआईडी आलोक मित्तल भी विशेष तौर पर यहां तीन दिन से डेरा डाले रहे। इन बड़े अफसरों के अलावा अनेकों आईजी, डीआईजी, एसपी आदि के साथ-साथ 2500 से अधिक पुलिसकर्मी दूसरे जिलों से लाये गये। सवाल यह उठता है कि क्या यहां के पुलिस आयुक्त चार डीसीपी, 12 एएसपी व 3500 अन्य पुलिसकर्मी एक अमितशाह की सुरक्षा के लिये पर्याप्त नहीं थे? समझना कठिन नहीं है कि बाहर से आने वाली इतनी भारी भरकम फोर्स पर कितना भारी खर्च करदाता पर पड़ता है।

पूरे देश के साथ-साथ फरीदाबाद के हो रहे पतन को ढकने के लिये हुई इस रैली के लिये पूरा जि़ला प्रशासन बीते करीब 10 दिनों से जुटा था। इस दौरान जनता से सम्बन्धित रोजमर्रा के काम कम और इस रैली के लिये प्रशासनिक फटीक अधिक हो रही थी। 26 और 27 तारीख को तो कमाल ही हो गया राजमार्ग से बाइपास की ओर जाने वाली उन दोनों सडक़ों को बंद कर दिया गया जिनके बीच में सेक्टर 12 का उक्त रैली स्थल पड़ता है। इस स्थल के अलावा यहां पर जिला अदालतें, लघु सचिवालय, हूडा कार्यालय तथा जि़ले का कराधान कार्यालय भी स्थित हैं इन स्थानों पर कई हजार आदमी आवागमन करते हैं। 3000 तो केवल वकील ही हैं और हजारों की संख्या में सरकारी कर्मचारी। इसके अलावा सेक्टर 9,10,14 व 15 में रहने वालों को भी लम्बे चक्कर काट कर आवागमन करना पड़ा। सबसे बड़ा जुल्म तो भारी वाहनों पर किया गया। दो दिन से तमाम भारी वाहनों को शहर से बाहर रोक दिया गया, उन्हें शहर में घुसने की इजाजत नहीं दी गई। जाहिर है इसके चलते शहर में आने वाली तमाम सडक़ों पर भारी जाम लग गये। जो रैली के बाद ही खुलने शुरू हुए।

रैली स्थल के ठीक पीछे की सडक़ तो बंद कर दी गई लेकिन इसी सडक़ पर बने एस्कॉर्टस ट्रैक्टर कारखाने व इंडियन ऑयल को सरकार बंद नहीं करा सकी क्योंकि इससे पूंजीपतियों को भारी घाटा होता। इसके लिये उपाय यह किया गया कि सुबह आठ बजे तमाम कर्मचारी इन कारखानों में घुसा दिये गये तथा रैली समाप्त होने से पहले किसी को बाहर नहीं निकलने दिया गया।

रैली में उपस्थित मुख्यमंत्री खट्टर, केन्द्रीय मंत्री कृष्ण पाल गूर्जर ने अपने-अपने भाषणों में मोदी व अमित शाह की चापलूसी के साथ-साथ अपने राज्य में हुए तथाकथित कामों का गुणगान किया। दूसरी ओर अमित शाह ने मोदी की तारीफ के अलावा खट्टर की पीठ थपथपाते हुए उन्हें अब तक का बेहतरीन मुख्यमंत्री बताया लेकिन खट्टर की प्रशंसा शायद तब तक पूरी नहीं हो पा रही थी जब तक पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र हुड्डा को गरिया न जाये। हुड्डा के राज को गुण्डागर्दी व रिश्वतखोरी से भरपूर बताते हुए खट्टर के शासन को इन सबसे मुक्त बताया गया। लेकिन जनता से हकीकत छिपी हुई नहीं है। भ्रष्टाचार और गुण्डागर्दी खट्टर काल में पहले से कई अधिक बढ़ती हुई नजर आ रही है। पहले तो सरकारी ठेकों में कुछ काम करने के बाद ही कमीशन आदि के नाम पर लूट कमाई होती थी लेकिन अब तो बिना काम किये ही सैकड़ों करोड़ सीधे ही डकार लिये जाते हैं।

सौगात देने की प्रथा का निर्वाह करते हुए अमित शाह ने इस शहर को 6629 करोड़ रूपए की परियोजनाएं देने की घोषणा की। भाजपाईयों की पुरानी आदत के मुताबिक एक काम को लगातार कई साल तक बार-बार दोहराने का सिलसिला अमित शाह ने भी नहीं छोड़ा। जिस 6629 करोड़ की सौगात देने की बात व कर गये ये सौगात कई सालों से हरियाणा को दी जा रही है। इसके अनुसार विभिन्न रेल कॉरिडोर बनाये जाने की योजना है। इसमें कोई नई बात नहीं है, अब अमित शाह आये हैं तो कुछ न कुछ घोषणा तो करनी ही थी।

रैली में भीड़ इकट्ठी  करने के लिए दूर-दूर से बच्चों महिलाओं सहित लोगों को बसों आदि मे भरकर लाया गया। इन्हें करीब नौ बजे पिंजरेनुमा रैली स्थल पर बंद कर दिया गया।
विदित है कि इन्सान को भूख प्यास भी लगती है और टॉयलट आदि की जरूरत भी पड़ती है जिसकी कोई व्यवस्था नहीं की गई थी। इतना ही नहीं लोगों को इस पिंजरे से बाहर भी नहीं निकलने दिया जा रहा था। जो लोग बाहर निकलने का प्रयास करते उन्हें पुलिस वाले डंडा दिखाकर वापस अंदर खदेड़ देते थे। कुछ लोगों ने बताया कि उन्हें तो पानी व भोजन की गारण्टी देकर लाया गया था। लेकिन यहां तो कुछ नहीं है। इसके बावजूद भी आयोजकों द्वारा रखी गयी दस हजार कुर्सियों में से महज आधी ही भरी जा सकी।

तोरण-द्वार व झंडियों से शहर को सजाया, जैसे शादी हो

गृहमंत्री के स्वागत के लिये करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाते हुए अनेकों तोरणद्वार बनाये गये, सारे शहर को झंडियों व भाजपा के झंडों से पाट दिया गया। चंद महत्वपूर्ण सडक़ों को चलने लायक बनाने के साथ-साथ रंग रोगन भी रातों-रात कर दिया गया।

विदित है कि नगर निगम समय रहते काम करने की बजाय संकटकालीन स्थिति का दबाव पडऩे पर अनाप-शनाप दरों पर ही काम करवाना लाभकारी समझती है। ऐसे कामों पर चाहे कितना भी खर्च कर दिया जाय कोई पूछने वाला नहीं होता। पूरे शहर में सीवर उफन रहे हैं, गड्ढों में सडक़े हैं, उन से उड़ते धूल के गुबार सांस लेना भारी कर देते हैं, सडक़ों पर अवैध पार्किंग के चलते सदैव जाम की स्थिति बनी रहती है तथा बिजली आपूर्ति बाधित होने से जनरेटर धुआं उगलते रहते हैं। इन सब समस्याओं से निबटने के लिये न तो सरकार के पास पैसा है और न ही नीयत है। हां, वीआईपी को दिखाने के लिये सम्बन्धित सडक़ों को चकाचक कर दिया जाता है, कहीं अवैध पार्किंग नजर नहीं आती पानी छिडक़ कर धूल को भी दबा दिया जाता है।

 

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Mazdoor Morcha
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