कविता/ डॉ. रामवीर पन्द्रह दिन में बारह पुल गिरने का समाचार, जैसे कुछ भी न हुआ यूं शान्त है प्रान्त बिहार।
दुनिया में और कहीं यदि होती यह घटना, अब तक तो सरकारों को पड़ जाता हटना।
भ्रष्टाचार का खेल अब हो गया न्यू नॉर्मल, सब एक समान हुए अपवाद न कोई दल।
जो कुछ ही दिन पहले थे लगा रहे नारे, जो राम को लाए हैं हम उनको लाएंगे।
अब क्यों नहीं वे कहते पुल जिसने गिराए हैं, कुछ और भले न हो हम उसको गिराएंगे।
जब तक जनता मन में न लेगी पक्का ठान, धूर्तों और ठगों की बन्द न होगी दुकान।
जहां पार्टी बदलने से सब पाप जाते हों धुल, वहां यूं ही धड़ल्ले से गिरते जाएंगे पुल।