मज़दूर मोर्चा ब्यूरो फऱीदाबाद-पलवल में ‘मथुरा का ठग’, ‘पलवल का भगोड़ा’, ‘चार्ल्स शोभराज’, ‘नटवरलाल’, ‘लाल टोपी वाला दलाल’ ‘पटके-बाज’, ‘सेना भर्ती का दलाल’ ‘चतुरानन’ आदि नामों से कुख्यात सेना का रिटायर्ड कर्नल गोपाल सिंह अपनी हरकतों से वर्दी को बदनाम कर रहा है। मीठी-मीठी लेकिन ज़हर से भरी बातें करने, बड़ी गाडिय़ों में चलने के साथ कई बेहूदा शौक़ पालने वाला वाला यह व्यक्ति मथुरा के गांव से आया हुआ है।
सेना से रिटायर होने के बाद पैसा व नाम कमाने की बेइंतहा हवस, रंगीन मिज़ाजी, महंगी लाइफ स्टाइल व अन्य शौक़, राष्ट्रवाद का न$कली सेवक, कविता पाठ कर लोगो को अपनी ओर आकर्षित करने वाले इस व्यक्ति ने सेना व इसकी गरिमामयी वर्दी, मेडल, रैंक, टोपी को पलवल व फऱीदाबाद जि़ले में बर्बाद व बदनाम करने करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। पलवल, हथीन, होडल, अलीगढ़ व आस पास के गावों में सेना में भर्ती होने को लालायित युवाओं को ट्रेनिंग देने के नाम पर इसने सेना के कुछ भूतपूर्व सैनिकों को नौकरी व कमीशन का लालच देकर एक ट्रेनिंग सेंटर खोला। इसके लिये उसने पलवल में दो स्थान किराए पर लिए और शुरू हुआ सेना में भर्ती होने को लालायित युवाओं, उनके परिवारों व उनकी भावनाओं से खिलवाड़ करने का खेल। कर्नल गोपाल और इसके साथी अभ्यर्थियों से उनकी आर्थिक स्थिति भांप कर ट्रेनिंग के नाम पर या तो एक मोटी रक़म एक मुश्त लेते या हर महीने की किस्त बांध लेते। इसके अलावा अखबारों मेें सेना की भर्ती प्रक्रिया की तारीख़ प्रकाशित होते ही “सौ प्रतिशत भर्ती की गारंटी” के नाम पर दलाली करने की मोटी रक़म वसूलते।
पलवल-अलीगढ़-हथीन-होडल क्षेत्र में उस समय भी सेना में भर्ती का जुनून चरम सीमा पर था। कई नौजवानों के परिवार ने सेना में भर्ती के लिए अपनी ज़मीनें या तो गिरवी रखकर या फिर बेच कर इस गोपाल व इसके साथियों को मुंह मांगे पैसे दिये थे। छोटा इलाक़ा या शहर होने के कारण इसकी चतुराई की खबरें इलाक़े में फैल गई, इसी बीच सेना ने भी दलालों की लिस्ट बनायी, सिलेक्शन प्रक्रिया में आमूल चूल परिवर्तन कर दिये और इसलिए दो-तीन वर्षों में ही गोपाल की क़लई खुल गई व इसके खिलाफ़ काफ़ी रोष भी हो गया। पैसे देने के बावजूद जिनका सिलेक्शन नहीं हुआ उन्होंने गोपाल के ट्रेनिंग सेंटर व इसके घर को घेरना शुरू किया। दो मर्तबा इसके सेंटर व घर के बाहर नारेबाज़ी भी हुई लेकिन हर बार पुलिस ने बीच बचाव करवा दिया जिसके लिए गोपाल ने पुलिस को मोटी फ़ीस भी दी।
गोपाल को गुप्त सूचना व सलाह भी दी गई कि उसे पलवल इलाक़े से भाग जाना चाहिए। कुछ साथियों की सलाह पर कर्नल गोपाल सिंह रातों रात पलवल छोडक़र फऱीदाबाद भाग आया और बल्लभगढ़ क्षेत्र में रहने लगा। वह अपने तथाकथित दो ट्रेनिंग सेंटरों को भी रातों रात ख़ाली कर उनका किराया चुकाए बिना ही फऱीदाबाद भाग आया। मकान मालिकों ने इससे पैसा लेने की भरपूर कोशिश की लेकिन वह सेना का रिटायर्ड अफ़सर होने का वास्ता देकर उन्हें बेवक़ूफ़ बनाकर टालता रहा। मकान मालिक भी सेना का नाम व इज़्ज़त का ख्य़ाल रखते हुए इसी उम्मीद में इंतज़ार करते रहे कि कहीं उनके कारण सेना की छवि धूमिल न हो। लेकिन विश्वासघात का अहसास होने पर दोनो ने “पलवल के भगोड़े व ठग” के खिलाफ़ पलवल में मुक़दमा दायर कर दिया जो आज भी चल रहा है। जिन अभ्यर्थियों ने बहकावे में आकर अपनी ज़मीन,जायदाद गिरवी रख या बेच कर या उधार लेकर गोपाल व इसके गैंग को दी थी वे भी अपना पैसा वसूलने के लिए इसके मथुरा के गांव व बल्लभगढ़ स्थित घर उसके मिलने वाली संभावित जगहों के चक्कर लगाते हैं। गोपाल ने चालाकी का परिचय देते हुए घुटे हुए ठग व दलाल की तरह कभी भी किसी को कोई पक्की रसीद नहीं दी और न ही कभी चेक से पेमेंट लिया।
बल्लभगढ़ में आने के बाद इसने लच्छेदार बातों में उलझा कर व अपनी आर्मी रैंक की धौंस जमाकर फऱीदाबाद के एक एक्स सर्विसमेन की गांव की ज़मीन पर कच्ची शेड में पलवल वाला धंधा फिर शुरू कर दिया। अबकी बार वो स्कीम फ्लॉप हो गई, गोपाल सिंह ने उस एक्स सर्विसमेन की जगह का किराया भी नहीं दिया। वह एक्स सर्विसमेन भी अपने पैसे की वसूली के लिए व जगह को ख़ाली कराने के लिए अधिकारियों के कार्यालयों में गुहार लगाता घूम रहा है। इसी बीच कर्नल गोपाल सिंह ने एक्स सर्विसमेन की फऱीदाबाद में स्थित कुछ संस्थाओं पर कब्जा कर उनके नाम से हॉस्पिटल, पैथ लैब, स्वास्थ्य जांच की सेवाएं देने वाली एजेंसीज बना डालीं। एक्स सर्विसमेन की स्वास्थ्य सेवाओं के लिए हॉस्पिटल्स में ग़लत व फर्ज़ी तरीक़े से एडमिशन बढ़ाने के एवज में पैसे लेने का भी काम शुरू कर दिया। कर्नल गोपाल सिंह सेक्टर 16 स्थित आर्मी कैंटीन के शराब, सूटकेस, कॉस्मेटिक, इलेक्ट्रॉनिक सप्लायर से पैसे लेकर उनके प्रॉडक्ट्स को एक्स सर्विसमेन के बीच पॉपुलर बनाने का काम भी करता है। हाउसिंग बोर्ड की हरियाणा सरकार की एक्स सर्विसमेन के लिए लायी गई सेक्टर 65 के आस पास वाली स्कीम को कैंसिल करवाने में कर्नल गोपाल सिंह ने अहम भूमिका निभाई व उस बेशक़ीमती ज़मीन को हूडा (हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण) को ट्रांसफऱ करवाने में मदद कर सेक्टर 64 व सेक्टर 65 के कुछ नामी प्रॉपर्टी डीलर्स को लाभ भी पहुंचाया।
अब कर्नल गोपाल की नजऱें सेक्टर 16 फऱीदाबाद में पूर्व सैनिकों के लिए बनने वाले सामुदायिक केंद्र पर टिकी हैं ताकि इस पर किसी तरह क़ब्ज़ा जमाकर वहां होनी वाली शादी, सगाई, ब्याह व अन्य समारोहों की बुकिंग के मोटे पैसे में सेंध लगाये। इसके लिए इस शातिर कर्नल गोपाल सिंह ने अधिकारियों की एक संस्था पर क़ब्ज़ा भी जमा लिया है जिसके पास इस सामुदायिक भवन के निर्माण का जिम्मा सरकार ने दे दिया है। कर्नल गोपाल सिंह ने हरियाणा सरकार से पसारा डिपार्टमेंट से सिक्योरिटी एजेन्सीज़ को ट्रेनिंग देने के काम के लिए अपनी एक कंपनी रजिस्टर करवा ली है और ये बिना किसी सिक्योरिटी, फायर, इमरजेंसी, फिजिकल व सुपरवाइजऱी ट्रेनिंग के इन सिक्योरिटी एजेंसीज़ को अपने घर बैठे बैठे फर्जी सर्टिफिकेट जारी करता है, इस काम के लिए इसने कुछ प्यादे रखे हैं। कर्नल गोपाल सिंह की सभी गतिविधियों के साथ साथ इस पसारा के फर्जी सर्टिफिकेट जारी करने की भी जांच केंद्र व राज्य सरकार को करनी चाहिए।