फरीदाबाद (म.मो.) दिनांक 12 जनवरी को पांच नम्बर के एच ब्लॉक स्थित प्लॉट नम्बर 90 पर उस समय अच्छा-खासा हंगामा खड़ा हो गया जब पुलिस बल सहित निगम के अधिकारी दो जेसीबी लेकर चार मंजिला भवन को गिराने पहुंच गये। मौके पर पहुंचते ही जेसीबी मशीनों द्वारा भूतल के शटर उखाडऩे व छुट-मुट तोड़-फोड करने से अधिक कोई कार्यवाई नहीं की जा सकी। तोड़-फोड़ शुरू होते ही दर्जनों महिलाएं व पुरुष इसके विरोध में आ डटे। विरोध इतना प्रबल था कि पुलिस बल भी कुछ खास कर पाने की स्थिति में नहीं था।
करीब 233. गज के इस प्लॉट के मालिक ईश्वर देवी ने फ्लैट निर्माण के लिये राजू नामक बिल्डर से सौदा तय कर लिया था। करीब डेढ साल में यह बिल्डिंग बन कर तैयार हो गई जिसे आज अवैध बता कर तोडऩे के लिये पूरा निगम प्रशासन पुलिस लेकर आ खड़ा हुआ। तोड़-फोड़ का विरोध करने वालों में इस बिल्डिंग के वे पड़ोसी थे जिन्हें इस तोड़-फोड़ से, साथ लगते अपने मकानों को खतरा नज़र आ रहा था। पड़ोस की एक महिला ने तो अपने घर की उन दरारों को भी दिखाया जो जेसीबी के एक-दो झटकों से ही आ गई थी। उनका सवाल एक ही था कि यदि इस बिल्डिंग के तोड़े जाने से उनके मकानों को होने वाली क्षति की पूर्ति कौन करेगा? उनका दूसरा सवाल यह था कि डेढ साल से जब यह बिल्डिंग बन रही थी तब निगम अधिकारी कहां सो रहे थे? उन्होंने उसी वक्त क्यों नहीं इसे तोड़ गिराया?
मकान मालिक ने दबी जबान से बताया कि राजू बिल्डर का सौदा, निगम अधिकारियों से 3 लाख 20 हजार में तय हो चुका था। इसमें से 2 लाख रुपये की अदायगी राजू कर भी चुका है। अब उसके पास शेष रकम का भुगतान करने की गुंजायश न होने के चलते वह सामने नहीं आ रहा। मौके पर मौजूद तमाम लोगों का मानना है कि निगम अधिकारी अपनी शेष रकम की वसूली के लिये यह सब ड्रामा कर रहें हैं। अदायगी होने के बाद सब ठीक-ठाक हो जायेगा।
मान लीजिये कि खट्टर का राम राज्य पूर्णतया भ्रष्टाचार मुक्त है। किसी निगम अधिकारी ने किसी राजू से 2 लाख तो क्या एक पैसा भी नहीं लिया। तमाम लोग झूठे आरोप लगा रहे हैं। फिर भी एक सवाल तो खट्टर सरकार एवं उनके स्थानीय प्रशासन पर बनता ही है कि इतनी बड़ी बिल्डिंग डेढ साल तक कैसे बनती रही? क्या निगम अधिकारियों को बनते वक्त बिल्डिंग नज़र नहीं आती? केवल पूरी बन जाने के बाद ही दिखती है? यह कोई इक्का-दुक्का इमारत का मामला नहीं है, इस तरह की सैंकड़ों इमारतें शहर में बन चुकी हैं और सैंकड़ों निर्माणाधीन हैं।
संदर्भवश यह समझ लेना भी जरूरी है कि शहर की सीवरेज, जलापूर्ति, बिजली अपूर्ति व सडक़ों की क्षमता जैसी बनाई गई है, उसके अनुसार शहर में बहुमंजिला इमारतें बनने से तमाम लोगों को नागरिक सुविधाओं को लेकर भारी संकट का सामना करना साफ नज़र आ रहा है।
लेकिन खट्टर का यह ‘भ्रष्टाचार मुक्त’ प्रशासन पूरे शहर भर में बहुमंजिला इमारतें खड़ी करवा रहा है। बनते वक्त तो ये ‘वैध’ होती हैं और बन जाने के बाद ‘अवैध’ हो जाती हैं। लेकिन कुछ समय बाद ‘ले-दे’ कर वे फिर से वैध हो जाती हैं। यही सारा खेल खट्टर के भ्रष्टाचार मुक्त राम राज्य में खुले तौर पर चल रहा है।