फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा)। सत्ता की चरणवंदना में मशगूल तथाकथित राष्ट्रीय अखबार पत्रकारिता के आदर्शों को ताख पर रख चुके हैं। भाजपा ने लोकसभा सीट के लिए किशनपाल गूजर को तीसरी बार टिकट बांटा तो अखबारों में उनकी सच्ची झूठी तारीफों के पुल बांध दिए गए। बांधे भी क्यों न जातेे चाटुकारिता करने वाले हर अखबार को विज्ञापन से खरीदा जो गया था। विज्ञापन मिलने पर नेता की तारीफ करना मजबूरी हो सकती है लेकिन बढ़ा चढ़ा कर झूठ लिखना तो किसी भी कीमत पर उचित नहीं है। रिपोर्टर को नेहरू कॉलेज और जेएनयू में फर्क भी नहीं पता। कहीं मंत्री को दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू कॉलेज से डिग्री दिलाने की बात लिखी है तो कहीं जेएनयूू से। जेएनयू कॉलेज नहीं विश्वविद्यालय है जो दिल्ली में है, जबकि नेहरू कॉलेज स्थानीय सेक्टर 16 में स्थित है। किशनपाल गूजर को फरीदाबाद लोकसभा का टिकट मिलने पर तथाकथित राष्ट्रीय समाचार पत्र अमर उजाला में बृहस्पतिवार को उनकी प्रशंसा में खबर छपी। इसमें किशनपाल गूजर को जेएनयू से बीए पास और मेरठ यूनिवर्सिटी से परास्नातक बताया गया है। सच्चाई ये है कि किशनपाल गूजर ने पढ़ाई के लिए कभी जेएनयू का मुंह तक नहीं देखा न ही कभी परास्नातक की डिग्री हासिल की।
उन्होंने वर्ष 1982 में सेक्टर 16 स्थित नेहरू कॉलेज से तृतीय श्रेणी में बीए पास किया। एमए करने के लिए उन्होंने जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया लेकिन पढ़ाई में फिसड्डी होने के कारण फेल हो गए। फेल होने पर उन्हें विश्वविद्यालय ने निकाल दिया। इसके बाद उन्होंने गाजियाबाद के एमएमएच कॉलेज से एलएलबी की डिग्री हथिया ली। एमएमएच कॉलेज के बारे में ख्याति है कि यहां बिना कक्षा पढ़े, येन केन प्रकारेण परीक्षा देकर डिग्री हासिल की जा सकती है। वकालत की डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने किसी भी अदालत केस में कोई केस लड़ा हो इसकी जानकारी नहीं मिल सकी। समझ नहीं आता कि अमर उजाला के रिपोर्टर ने क्या भांग खाई थी कि तारीफ में कुछ भी छापे जा रहे हैं।