पद महिलाओं के लिये आरक्षित

पद महिलाओं के लिये आरक्षित
June 04 15:21 2022

बेटे को मेयर बनाने का कृष्णपाल ख्वाब हुआ ध्वस्त

फरीदाबाद (म.मो.) बेशक अभी फरीदाबाद नगर निगम चुनाव की तिथि घोषित नहीं हुई है लेकिन मेयर पद के लिये महिला आरक्षण घोषित कर दिया गया है।

सर्वविदित है कि स्थानीय सांसद एवं केन्द्रीय मंत्री कृष्णपाल गूजर अपने पुत्र देवेन्द्र को राजनीति में स्थापित करने के लिये काफी अरसे से बेचैन हैं। 2014 में सांसद बनने के बाद इनके द्वारा छोड़ी गई तिगांव विधान सभा की सीट की टिकट अपने पुत्र को दिलाने के लिये सिरतोड़ कोशिश की थी। इसी चक्कर में इन्होंने कभी नहीं चाहा था कि कोई भाजपा उम्मीदवार वहां से जीत पाये।

विधायक पद के लिये जब दाल नहीं गली तो बेटे को निगम पार्षद व सीनियर डिप्टी मेयर बना कर संतुष्ट होना पड़ा। कठपुतली मेयर सुमन बाला के होते हुए बेशक मेयर पद की शक्तियों का दुरुपयोग इनका बेटा ही करता आ रहा है लेकिन पद के साथ जुड़े ‘दो शब्द’ सीनियर डिप्टी सीने में कांटों की तरह चुभते हैं। इसी चुभन को दुर करने के लिये मंत्री जी बेटे को मेयर बनाना चाहते थे। इसी चक्कर में उन्होंने आस-पास के दो दर्जन गांवों को निगम क्षेत्र में जुड़वा कर अपना वोट बैंक बढ़ाने का प्रयास भी किया था। इतना ही नहीं मेयर कार्यालय व आवास के नवीकरण पर भी कंगाल निगम के करोड़ों खर्च करा दिये।

इसके विपरीत राज्य के मुख्यमंत्री खट्टर शायद, राजनीति की बिसात पर, सब कुछ कृष्णपाल के हवाले नहीं कर देना चाहते। विदित है कि नई प्रणाली में चयनित होने वाला मेयर किसी भी विधायक तो क्या मंत्री तक से भी अधिक शक्तिशाली होगा। ऐसे में एक ही घर में सत्ता के दो-दो महत्वपूर्ण केन्द्र सौंपने का जोखिम, मुख्यमंत्री उठाना नहीं चाहते।

अब सवाल आता है कि आगामी मेयर चुनाव का दृश्य क्या होगा? भाजपा के पास महिला नेताओं में सीमा त्रिखा, रेणु भाटिया व कुछ हद तक नीरा तोमर को माना जा रहा है। कुछ लोग इस पद के लिये मौजूदा मेयर सुमन लता को भी उम्मीदवार मानते हैं। लेकिन बीते पांच साल में बतौर मेयर उनकी छवि निल बटा सन्नाटा से अधिक कुछ भी न रही। हर काम का सेहरा सीनियर डिप्टी मेयर के सिर पर ही बंधता रहा। इस पूरे दौर में सुमन लता अपनी राजनीतिक एवं प्रशासनिक कुशलता का कोई परिचय देने में पूरी तरह असफल रही। उधर सीमा त्रिखा दो बार की विधायक रह चुकने के बावजूद जनता के बीच अपनी कोई छाप नहीं छोड़ पाई। उनकी कोई छाप है तो हर काम से पैसा कमाने की है।

रेणु भाटिया अभी हाल ही में राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष बन कर बेशक काफी संतुष्ट हैं। इसके बावजूद यदि मेयर पद उनके हाथ लग जाये तो महिला आयोग की अध्यक्षता उसके सामने कुछ भी नहीं है। ऐसे में यदि भाजपा नेतृत्व उन्हें चुनाव लड़ाता है तो वे सहर्ष स्वीकार करना चाहेंगी।

फ़िलहाल  उनके पास अभी तक कोई ऐसा पद नहीं रहा जिस पर वे कोई लूट-मार कर सकती। इसलिये आज के दिन उनकी छवि को साफ-सुथरा कहा जा सकता है। रही बात नीरा तोमर की तो वे कोई बड़े नेताओं की श्रेणी में नहीं आती, वे एक बार नगर निगम पार्षद रह चुकी हैं। वे बेदाग छवि की कर्मठ भाजपा कार्यकर्ता हैं। इस नाते वे भी इस पद के लिये उम्मीदवार हो सकती हैं।

दूसरी ओर कांग्रेस के पास भी कोई बहुत बड़ा विकल्प नहीं है। बल्लबगढ़ क्षेत्र से दो बार की विधायक शारदा राठौर के अलावा पूर्व कैबिनेट मंत्री महेन्द्र प्रताप सिंह की पुत्रवधू एवं विजय प्रताप की धर्म पत्नी वेणुका खुल्लर को पद के लिये बेहतरीन उम्मीदवार समझा जा रहा है। जानकार बताते हैं कि इसी सप्ताह शारदा राठौर, महेन्द्र प्रताप से मिलने गई थीं। शारदा ने उनसे कहा बताते हैं कि यदि उनकी पुत्रवधू चुनाव लडऩा चाहती हैं तो वह टिकट के लिये अपना दावा पेश नहीं करेंगी; यदि वे नहीं लड़ रहीं हैं तो उन्हें महेन्द्र प्रताप अपना आशीर्वाद दें।

जहां एक ओर शारदा राठौर के पास दो बार विधायक होने तथा मुख्य संसदीय सचिव का अनुभव है तो वहीं दूसरी ओर वेणुका खुल्लर के पास बेहतरीन जातीय समीकरण होने के साथ-साथ राज्य के एक जाने-माने राजनीतिक परिवार से सम्बद्ध होना है। कहने की जरूरत नहीं कि आज कल के चुनावों में जातीय वोट बैंक एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस नाते वेणुका पंजाबी वोट बैंक के साथ-साथ गूजर वोट बैंक पर भी अपना मजबूत दावा रखती हैं।

  Article "tagged" as:
  Categories:
view more articles

About Article Author

Mazdoor Morcha
Mazdoor Morcha

View More Articles