पाली रोड पर गिरी स्ट्रीट लाइटों का दोष अज्ञात लोगों पर मढक़र एफआईआर दर्ज कराने का आदेश दिया

पाली रोड पर गिरी स्ट्रीट लाइटों का दोष अज्ञात लोगों पर मढक़र एफआईआर दर्ज कराने का आदेश दिया
June 08 14:37 2024

ओमदत्त के भ्रष्टाचार को छिपा रहीं हैं निगमायुक्त मोना ए श्रीनिवास

ऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) भ्रष्टाचार के गढ़ नगर निगम में इतनी लूट कमाई है कि यहां आने वाले आला अधिकारी भी मलाई काटने वालों के साथ होकर उन्हें संरक्षण देने लगते हैं। दो सौ करोड़ के घोटाले में आईएएस सोनल गोयल, एम शाईन और अनिता यादव का नाम मलाई लूटने और भ्रष्ट ठेकेदार-अधिकारियों को संरक्षण देने वालों में शामिल है। निगमायुक्त मोना ए श्रीनिवास भी लगता है इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए भ्रष्ट एक्सईएन ओमदत्त को संरक्षण देने में जुटी हैं। भ्रष्ट ओमदत्त द्वारा पाली रोड पर मानकों की धज्जियां उड़ाते हुए लगाई गईं 800 स्ट्रीट लाइटें स्थापना के एक महीने के भीतर ही उखड़ कर गिरने लगीं। निगमायुक्त को बताया गया कि खंभों को किसी ने जानबूझ कर गिराया है। भ्रष्टाचारी ओमदत्त के चश्में से देखने वाली मोना ए श्रीनिवास ने विस्तृत जांच कराने के बजाय अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने का आदेश दिया है। यदि पुलिस ने ठीक से जांच की तो फिर निगम का भ्रष्टाचार उजागर होने में देर नहीं लगेगी।

पाली स्थित ट्रांसलेशनल स्वास्थ्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (टीएचएसटीआई) में 15-17 जनवरी 2024 को ग्लोबल इम्यूनोलॉजी समिट 2024 का आयोजन किया गया था। इसमें प्रधानमंत्री मोदी को भी आना था। इस पर टीएचएसटीआई प्रबंधन ने पाली मार्ग पर चार किलोमीटर सडक़ पर आठ सौ स्ट्रीट लाइट लगाने और संस्थान में ट्यूबवेल स्थापना के लिए दो करोड़ रुपये जारी किए थे। संस्थान ने नगर निगम को धन तो जारी कर दिया था लेकिन स्ट्रीट लाइटें लगाने के लिए केवल दो सप्ताह का ही समय था। निगम के कई अधिकारियों ने इतने कम समय में स्ट्रीट लाइटें लगवाने में असमर्थता जताई थी। ऐसे में लूट कमाई के लिए बदनाम, भ्रष्ट ओमदत्त ने खंभे लगवाने का जिम्मा ले लिया। एक्सईएन एक करोड़ रुपये से अधिक कीमत का टेंडर नहीं जारी कर सकता इसलिए काम को दो भाग में तोड़ा गया और चौरासी लाख और पैंसठ लाख रुपये के दो टेंडर जारी किए गए।

पूरे काम में लूट कमाई की भरपूर संभावना देखते हुए ओमदत्त ने यह ठेका अपने चहेते ठेकेदार बलदेव एंड कंपनी को बिना ठेका प्रक्रिया अपनाए ही सौंप दिया था। मज़दूर मोर्चा ने घोटाले की आशंका जताते हुए ‘पीएम मोदी के नाम पर नियम कानून ताक पर’ शीर्षक से जनवरी के अंक में ही खबर प्रकाशित की थी। आशंका सही साबित हुई और कार्यक्रम संपन्न होने के तीन सप्ताह के भीतर ही मार्च की शुरूआत में एक रात हवा के झोंके से तीस खंभे उखड़ कर गिर गए थे जबकि सडक़ पर लगे अन्य खंभे और टीएचएसटीआई परिसर में पहले से लगे खंभों पर हवा का कोई असर नहीं हुआ, केवल ओमदत्त द्वारा लगवाए गए खंभे ही गिरे थे।

तब भी मज़दूर मोर्चा ने पीएम कार्यक्रम के लिए लगीं स्ट्रीट लाइट तीन सप्ताह में ही गिरने लगीं शीर्षक से खबर छाप कर उसमें की गई गड़बडिय़ों और धांधलियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी थी। तब भी निगमायुक्त मोना ए श्री निवास खुद को कृष्णपाल गूजर का बेटा कहने वाले एक्सईएन ओमदत्त के खिलाफ कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पाई थीं।
उल्टे इसकी जांच उन्होंने घोटाले के आरोपी ओमदत्त को ही सौंप दी थी। भ्रष्ट ओमदत्त से उम्मीद भी क्या की जा सकती थी। बताया जा रहा है कि हाल ही में उसने निगमायुक्त को जांच रिपोर्ट सौंपी है जिसमें बताया गया है कि खंभों को किसी ने रंजिश में जानबूझ कर गिराया है। कारण बताया गया कि जितने भी खंभे गिरे हैं वो सब एक तरफ ही गिरे हैं।

पढ़ लिख कर और कंप्टीशन पास कर आईएएस बनी मोना ए श्रीनिवास ने भी रिपोर्ट को उसी चश्में से पढ़ा जो उन्हें ओमदत्त ने पहनाया। मज़दूर मोर्चा ने मार्च के अंक में ही बताया था कि रात में हवा के झोंके से तीस खंभे गिरे जाहिर है कि हवा एक ही दिशा में चली थी और खंभे उसी की दिशा में गिरे थे, यदि कोई जानबूझ कर रंजिशन गिराता तो वह सभी खंभों को एक ही कोण और एक ही दिशा में क्यों गिराता, लेकिन तेज तर्रार आईएएस मोना ए श्रीनिवास को भी रिपोर्ट में दिया गया तर्क एकदम सही लगा।

उन्होंने यह सवाल नहीं उठाया कि खंभों के लिए खोदे गए गड्ढे का मानक पूरा था या नहीं, खंभे का बेस बनाने के लिए कितने घन फुट या घन मीटर की कंक्रीट सीमेंट का इस्तेमाल किया गया। वर्तमान में ये सभी स्ट्रीट लाइटें बेकार हो चुकी हैं रात में इनमें से शायद ही किसी पर एक बल्ब जलता दिख जाए।

जागरूक नागरिकों ने तो इसकी वीडियो बना कर भी निगमायुक्त से शिकायत की और सोशल मीडिया पर भी वायरल किया लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। माना जा सकता है कि सत्ता पक्ष के दबाव और केंद्रीय मंत्री का कथित बेटा होने के कारण निगमायुक्त भ्रष्ट ओमदत्त के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर पा रही हों। यह भी संभव है कि डेढ़ करोड़ रुपये के इस फर्जी काम में जो मोटी मलाई ओमदत्त ने खाई उसके कुछ टुकड़े रिपोर्ट में लगाकर मोना ए श्रीनिवास को भी दिए हों ताकि वो एफआईआर का आदेश दर्ज कर कागजों पर कार्रवाई पूरी करने की औपचारिकता कर दें।

रिपोर्ट के आधार पर निगमायुक्त ने एफआईआर दर्ज कराने का आदेश दिया है। निगमायुक्त को यह समझ लेना चाहिए कि यदि पुलिस ने ईमानदारी एवं गंभीरता से जांच की तो निगम का भ्रष्टाचार उजागर हो जाएगा। जांच अधिकारी यह भी देखेगा कि खंभों की नींव मजबूत थी कि नहीं तो पता चलेगा कि चार गुणे चार फुट की जगह केवल डेढ़ फुट गुणे डेढ़ फुट की ही नींव बनाई गई थी जिस पर करीब दस मीटर ऊंचा खंभे का टिका रहना नामुमकिन है। जांच अधिकारी यह भी बताएगा कि आसपास के अन्य खंभे नहीं गिरे तो ये क्यों गिरा। इसी के आधार पर पुलिस किसी अज्ञात को ढूंढने के बजाय सीधा ओमदत्त पर ही हाथ डालेगी।

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