फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा)। अवैध निर्माण के जरिए मोटी काली कमाई करने वाले नगर निगम एन्फोर्समेंट विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों ने हिस्सा बांट कर निगमायुक्त और संयुक्त आयुक्त तक को इस खेल में अपने साथ शामिल कर लिया है। यही कारण है कि शिकायत किए जाने के बावजूद ये आला अधिकारी न तो इनके खिलाफ जांच करवाते हैं और न ही उन्हें उनके पद से हटाया जा रहा है। ईमानदारी का ढिंढोरा पीटने वाले खट्टर की सीएम विंडो पर भी इन मजबूत भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ की गई शिकायत बिना जांच कराए ही दबा दी जाती है। ये भ्रष्ट अधिकारी मोटा सुविधा शुल्क वसूल कर अवैध निर्माण से लेकर अवैध सीवर-पानी कनेक्शन तक सारी सुविधाएं उपलब्ध करा रहे हैं, निगम कर्मचारियों में यहां तक चर्चा है कि एन्फोर्समेंट द्वारा प्रति जोन दस लाख रुपये महीना निगम के आला अधिकारी को पहुंचाया जाता है, इसके एवज में वह अपनी आंखों पर काला चश्मा चढ़ा लेते हैं।
नगर निगम का एन्फोर्समेंट विभाग और इसे चलाने वाले अमर पाल बेलदार व केंद्रीय मंत्री किशनपाल गूजर की सिफारिश पर आउट सोर्सिंग जेई पद पर भर्ती हुआ प्रवीन बैंसला, आदि कर्मचारी भ्रष्टाचार के लिए बुरी तरह से बदनाम हैं। इस विभाग का काम शहर में होने वाले अवैध निर्माण पर अंकुश लगाना है लेकिन इसके उलट ये लोग मोटी घूस लेकर खुद अवैध निर्माण कराते हैं। लोक दिखावे के लिए नगर निगम का यह दस्ता रेहड़ी पटरी वालों को उजाडऩे के साथ साथ छोटे मोटे अस्थायी किस्म के कब्जों को हटा कर अपनी उपयोगिता प्रदर्शित करता रहता है। इसके विपरीत स्थायी या पक्के अवैध निर्माणों को छूने के बजाय उनसे वसूली करता है। शहर में अनेकों जगह लगातार अवैध निर्माण, अतिरिक्त निर्माण जारी है लेकिन पत्ती देने वाले बिल्डर या निर्माणकर्ता के खिलाफ ये कार्रवाई नहीं करते, यहां तक शिकायत किए जाने के बाद भी कार्रवाई नहीं करते।
शहर के अधिवक्ता बी पी समसतंब ने सेक्टर 49 में हो रहे अवैध व अतिरिक्त निर्माण पर कार्रवाई करने के लिए अगस्त-सितंबर 2023 में सीएम विंडो पर शिकायत दी थी। शिकायत में उन्होंने सेक्टर 49 में बिल्डिंग नंबर 618, 686, 1152, 1297, 1300, 1302, 1309, 1311, 1330 और 1343 में अवैध रूप बड़े पैमाने पर कराए गए अतिरिक्त निर्माण पर कार्रवाई करने की मांग की थी। उदाहरार्थ 60 वर्ग गज की रजिस्ट्री वाली जमीन पर 450 वर्ग गज तक अवैध रूप से निर्माण कराया गया। यानी रजिस्ट्री शुल्क के रूप में सरकार को राजस्व की मोटी चपत लगाई गई। यही नहीं अवैध रूप से निर्मित इमारतों में इन भ्रष्ट अधिकारियों ने सीवर-पानी का कनेक्शन दिलाने मेें भी धांधली की। इसके एवज में बिल्डरों से मोटा सुविधा शुल्क वसूलकर हिस्सा-बांट की गई। एडवोकेट बीपी समसतंब के अनुसार ये अवैध निर्माण केवल उदाहरण हैं, पूरे शहर में हर गली मोहल्ले में इस तरह के अवैध निर्माण होते दिख जाएंगे।
इन भ्रष्ट अधिकारियों का गुट इतना मजबूत है कि उनकी सीएम विंडो की शिकायत बिना निस्तारण के ही ठंडे बस्ते में डाल दी गई। अधिवक्ता समसतंब का आरोप है कि सीएम विंडो की जांच अमरपाल बेलदार ने रुकवाई है। चीफ इंजीनियर बीके कर्दम का रिश्तेदार होने के कारण अमर पाल बेलदार को अवैध तरीके से एन्फोर्समेंट डिपार्टमेंट में तैनाती मिली हुई है, जबकि उसकी तैनाती वार्ड 18 में है। वार्ड 18 में बेलदारी करना तो दूर वहां जाता ही नहीं है, बावजूद इसके उसे वहीं से वेतन जारी किया जाता है, जाहिर है कि यह सब आला अधिकारियों की मिलीभगत से हो रहा है। दो बार सीएम विंडो पर शिकायत करने के बावजूद कोई कार्रवाई न होने से परेशान एडवोकेट समसतंब ने नवंबर 2023 में निगमायुक्त मोना ए श्रीनिवास से शिकायत कर कार्रवाई करने की मांग की। मोटी कमाई में हिस्सा-बांट का नतीजा यह हुआ कि निगमायुक्त ने उसी एन्फोर्समेंट विभाग के एसडीओ को मामले की जांच सौंप दी जिसके खिलाफ ये शिकायत की गई थी। समझा जा सकता है कि जांच क्या होनी है और रिपोर्ट क्या आनी है। जिन भ्रष्ट अधिकारियों ने मोटा पैसा खाकर इतनी सारी बिल्डिंगों में अवैध निर्माण कराया वह अपने खिलाफ जांच क्या करेंगे भला। उन्होंने 8 दिसंबर 2023 को पत्र लिखकर मामले की जांच कार्यकारी अभियंता या संबंधित संयुक्त आयुक्त से कराए जाने की मांग की। निगमायुक्त ने कार्यकारी अभियंता को जांच करने का आदेश भी जारी कर दिया लेकिन करीब एक महीना बीतने के बाद भी जांच शुरू नहीं हुई है। जांच हो भी तो कैसे, जिन लोगों से अवैध निर्माण की लूट कमाई का हिस्सा लिया गया है उसके खिलाफ कैसे जाएंगे।
समसतंब कहते हैं कि जब तक अमरपाल बेलदार, जेई प्रवीन बैंसला को निलंबित करके इस विभाग से हटाया नहीं जाता तब तक सही जांच नहीं हो सकती। अमर पाल बेलदार पर चीफ इंजीनियर बीके कर्दम का हाथ है। निगम में रेगुलर जेई होने के बावजूद केंद्रीय मंत्री किशनपाल गूजर की अनुकंपा पर संविदा वाले प्रवीन बैंसला को मोटी कमाई वाले पद पर बैठाया गया है। नियमों की धज्जियां उड़ाकर एन्फोर्समेंट डिपार्टमेंट में जबरन तैनात इन दोनों भ्रष्टाचारियों को लगता नहीं कि हटाया जाएगा, क्योंकि पैसे तो और भी दे सकते हैं लेकिन ऐसा करने से अधिकारियों को केंद्रीय मंत्री की नाराजगी भी झेलनी पड़ेगी।
भ्रष्टाचार मुक्त सरकार का ढिंढोरा पीटने वाले सीएम खट्टर की पोल इससे ही खुल जाती है कि वे नगर निगम में हुए दो सौ करोड़ रुपये के घोटाले की विस्तार से जांच कराने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। उन्हें मालूम है कि यदि जांच शुरू हुई तो करोड़ों रुपये के अनेकों अन्य घोटाले भी खुलने लगेंगे जिसमें उनके मंत्री-विधायकों का भी नाम आ सकता है। यही कारण है कि जनता को इंसाफ देने के लिए खोली गई उनकी सीएम विंडो भी अधिकारियों के भ्रष्टाचार की शिकायत पर उसी तरह बंद हो जाती है जिस तरह बीपी समसतंब की।