फरीदाबाद (ममो) पलवल शहर में सन 2008 में विकसित किए गए सेक्टर 14 व 11 जिन्हे ओमेक्स सिटी के नाम से जाना जाता है ,के बारे में वहां के निवासियों द्वारा ओमेक्स गु्रप के विरुद्ध एनजीटी में केस करना महंगा पड़ गया है। ओमेक्स गु्रप ने अपनी लूट के विरुद्ध एनजीटी में शिकायत करने पर नियमानुसार छोड़ी गई ग्रीन बेल्ट को भूमाफिया को बेचने की योजना पर काम शुरू कर दिया है । इन सेक्टरों को बसाने की योजना के समय हरियाणा राज्य के मुख्य नगर योजनाकार द्वारा स्वीकृत नक्शे में छोड़ी गई ग्रीन बेल्ट को अब बेचा जा रहा है जिसे फरीदाबाद से किशनपाल गूजर के सजातीय भू माफिया खरीदकर यहां अवैध कॉलोनी काटने की योजना बना रहे हैं। ये ग्रीन बेल्ट ओमेक्स सिटी फेस एक के दक्षिणी हिस्से में छोड़ी गई थी जो मास्टर प्लान 2031 में दर्शाई गई 75 मीटर चौड़ी मास्टर रोड के साथ लगती 18 मीटर चौड़ी पट्टी के रूप में दिखाई गई थी। यह मास्टर रोड पलवल शहर के अंदर से हथीन व सोहना गुडग़ांव जाने वाले भारी ट्रैफिक को शहर से बाहर से निकालने के लिए प्रस्तावित है इस रोड के लिए भी ओमेक्स सिटी फेस एक में ग्रीन बेल्ट से लगती हुई भूमि अभी तक खाली छोड़ी हुई थी जिसे अब मास्टर रोड के लिए छोड़ी गई जमीन के साथ बेचने की तैयारी हो चुकी है। जब ये सेक्टर बसाए गए थे उस समय खरीददारों को सब्ज़बाग दिखाकर इन सेक्टरों के प्लॉट व फ्लैट मोटे मुनाफे में बेचे गए थे। कंपनी ने इन सेक्टरों के विकास व मूलभूत सुविधाओं के लिए आंतरिक व बाह्य विकास के नाम पर प्रत्येक प्लॉट व फ्लैट खरीददार से हजारों रुपये वसूले थे जो कुल मिलाकर करोड़ों की राशि बनती है, एकत्र कर ली।
इन सेक्टरों के रखरखाव के लिए इनके डेवलपर रोहताश गोयल ने अपनी एक जेबी कंपनी शानवी मैनेजमेंट सर्विसेज प्रा लि भी बना रखी है जिसके पास इन सेक्टरों की साफ-सफाई, बिजली, पानी, सीवरेज आदि का काम है जो प्रत्येक महीने तीन से चार रुपये प्रति गज प्रति प्लॉट साइज के अनुसार लेती है। इस कंपनी ने प्रारंभ के कुछ वर्ष तक तो अपनी सेवाएं ठीक प्रकार दीं लेकिन जब कंपनी के अधिकांश प्लॉट व फ्लैट बिक गए तो मासिक शुल्क लेने के बावजूद भी सेवाएं देना कम कर दिया। इस पर निवासियों ने कंपनी व संबंधित सरकारी अधिकारियों को शिकायतें करनी शुरू कर दी लेकिन कई वर्ष तक न तो कंपनी और न ही सरकार ने कोई सुनवाई की। सडक़, सीवर, कूड़ा, बिजली आदि सेवाएं ठप्प होने पर यहां के एक निवासी ने सन 2021में राष्ट्रीय हरित अधिकरण दिल्ली में शिकायत कर दी। जिसे एनजीटी ने सुनवाई के लिए स्वीकृत कर लिया। एनजीटी में केस के लगते ही कंपनी व प्रदूषण नियंत्रण विभाग हरकत में आ तो गए लेकिन सिवाय एनजीटी को गुमराह करने के किया कुछ नही। एनजीटी में कंपनी ने तो झूठ बोला ही प्रदूषण नियंत्रण विभाग ने भी बिल्डर से मिलकर झूंठी रिपोर्ट पेश कर दी। इसी 30 जनवरी को हुई सुनवाई में शिकायतकर्ता द्वारा एनजीटी के सामने इनके झूँठ की पोल खोल कर रख दी। बताते हैं कि इस पर एनजीटी ने ओमेक्स व प्रदूषण नियंत्रण विभाग को खूब फटकार लगाई और सारी कमियों दूर करने का तीन महीने का समय दिया। इस शिकायत व एनजीटी में लगी फटकार से खुंदक खाए ओमेक्स बिल्डर ने इन सेक्टरों की ग्रीन बेल्ट जो पलवल के 2031 के मास्टर प्लान के 75 मीटर मास्टर रोड के साथ साथ है, जिसे बिल्डर ने इन सेक्टरों को बसाने के समय अपने नक्शे में भी दिखाया हुआ है सहित, फरीदाबाद के भूमाफिया को बेचने का करार करने की तैयारी हो चुकी है। इस बारे में रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन ने जिला योजनाकार, मुख्य योजनाकार, उपायुक्त सहित सभी जगह शिकायत भी कर दी है लेकिन लगता है जिला नगर योजनाकार व अन्य संबंधित विभागों ने आंख और कान दोनो बंद कर रखे हैं ।